Jammu : श्रद्धा का महासावन : जब मार्कंडेय ऋषि ने सावण महीने में कठिन तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया

भगवान शिव को सावन बहुत प्रिय है। इसलिए इसी महीने में शिव पूजा का बहुत महत्व होता है। श्रावण का हर दिन अपने आप में खास होता है। सोमवार से रविवार तक हर दिन की गई शिव पूजा से अलग-अलग शुभ फल मिलता है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 06:08 PM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 06:08 PM (IST)
Jammu : श्रद्धा का महासावन : जब मार्कंडेय ऋषि ने सावण महीने में कठिन तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया
पंडित मोहन लाल शर्मा सावन महीने की महत्ता बताते हुए।

जम्मू, जागरण संवाददाता। अब जबकि श्रावन महीने का समापन होने को है तो बता दें कि सावन महीने का हर दिन एक पर्व है। इस महीने की हर तिथि पर व्रत किया जाता है। इस महीने के एक दिन भी पूरे विधि-विधान और भक्ति से व्रत कर लिया जाए तो भगवान शिव को खुशी होती है।सावन महीने के महत्व को पूरी तरह बताने के लिए ही ब्रह्माजी के चार मुख, इंद्र की हजार आंखें और शेषनाग की दो हजार जीभ बनी है।

भगवान शिव को सावन बहुत प्रिय है। इसलिए इसी महीने में शिव पूजा का बहुत महत्व होता है। श्रावण का हर दिन अपने आप में खास होता है। सोमवार से रविवार तक हर दिन की गई शिव पूजा से अलग-अलग शुभ फल मिलता है। इस महीने हर दूसरे-तीसरे दिन कोई शुभ तिथि, तीज-त्योहार और उत्सव होता है। इसलिए ग्रंथों में सावन के महीने को पर्व भी कहा गया है।

कुछ विद्वानों ने मार्कंडेय ऋषि की तपस्या को भी श्रावण महीने से जोड़ा है। माना जाता है कि मार्कंडेय ऋषि की उम्र कम थी। लेकिन उनके पिता मरकंडू ऋषि ने उन्हें अकाल मृत्यु दूर कर लंबी उम्र पाने के लिए शिवजी की विशेष पूजा करने को कहा। तब मार्कंडेय ऋषि ने श्रावण महीने में ही कठिन तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। जिससे मृत्यु यानी काल के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।जैसे ही यमराज उनका प्राण हरने चले वैसे ही भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखकर यमराज नतमस्तक हो गए।

भगवान शिव ने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा और इसकी पूजा की जाएगी। तभी से भगवान शिव के साथ-साथ मार्कण्डेय की पूजा होने लगी, इसलिए शिवजी को महाकाल भी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में बिना कुछ खाए और बिना पानी पिए कठिन व्रत और तपस्या की थी। फिर शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसका एक कारण ये भी है कि भगवान शिव श्रावण महीने में पृथ्वी पर अपने ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि हर साल सावन में भगवान शिव अपने ससुराल आते हैं। अब जबकि सावन महीने के कुछ दिन ही बचे हैं तो हम अगर सावन के इन कुछ दिनों में भी दिल से भगवान शिव की पूजा अर्चना करें तो कल्याण संभव है। 

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