प्राकृतिक जल स्त्रोतों का नहीं हो रहा संरक्षण

विभाग ने क्षेत्रवासियों को फिर से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आज तक कोई भी पहल शुरू नहीं की है

By Edited By: Publish:Thu, 17 May 2018 01:27 AM (IST) Updated:Thu, 17 May 2018 02:51 PM (IST)
प्राकृतिक जल स्त्रोतों का नहीं हो रहा संरक्षण
प्राकृतिक जल स्त्रोतों का नहीं हो रहा संरक्षण

संवाद सहयोगी, बसोहली : तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पानी की दरकार है। पीएचई विभाग द्वारा की जा रही पानी की सप्लाई के बावजूद भी प्राकृतिक स्त्रोतों का आम आदमी के जीवन में अहम स्थान है। जानवरों, कृषि और कपड़े इत्यादि धोने के लिए पानी पूरा नहीं हो रहा।

हर गांव में लोगों की जरूरतानुसार बावली, कुएं, तालाब आदि से पानी की आपूर्ति करनी पड़ रही है, लेकिन इन प्राचीन और प्राकृतिक जलस्रोतों के संरक्षण के लिए आज तक कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है। प्राकृतिक संसाधनों को ठीक करवा कर उनसे फायदा लेने की बात केवल सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के आश्वासनों तक सीमित हैं। आज हर शहर, कस्बे और गांव में पानी की समस्या है। पानी के लिए लोगों को प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहना मजबूरी है, कारण साफ है कि विभागीय स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर फायदा लेने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बन पाई।

बसोहली कस्बे के लोग कभी कुओं तालाब और प्राकृतिक चश्मों के पानी पर निर्भर थे। हर गांव में प्राकृतिक स्त्रोत पर दशा खराब तहसील के लगभग हरेक गांव में पानी का मुख्य स्त्रोत चश्मे, तालाब, कुएं और बावलियां है, मगर हरेक की हालत खराब है। प्राकृतिक जल स्त्रोतों की भरमार होने के बावजूद इनके संरक्षण के लिए किसी ने कोई पहल नहीं की। आज भी जैट की बावली, नगरोटा का तालाब, पलासी का तालाब, माड़ा गांव का कमल का तालाब, सांधर का चश्मा, परूंगल की बावली आदी लोगों को पानी दे रही है, मगर सरकारी तौर पर इन्हे साफ करने अथवा इनको विकसित करने के लिए कोई पहल नहीं हुई। इनके अलावा कई नालों का पानी साफ और पीने के योग्य है, जिनमें झील के पानी को साफ कर मोटर लगाकर, चीरल, कोहर नाला, बियानी, गडोडी, पेडू आदी नालों पर ग्रेवटी सिस्टम लगाकर कई गांवों के पानी की समस्या हल की जा सकती है। वॉटर कंजरवेशन को लेकर एक स्कीम जल्द ही लागू हो रही है, जिसका सर्वे विभाग करवा रहा है। काम अंतिम चरण में है। इस योजना के पूरा होने पर प्राकृतिक पानी के हर स्रोत को विकसित किया जाएगा। चाहे वह ग्रामीण क्षेत्रों में हो या शहरी आबादी वाले क्षेत्र में। इससे लोगों को पेयजल की बेहतर तरीके से आपूर्ति मिलेगी। -राजेश पाधा, बीडीओ बसोहली बीते सात साल, पेयजल आपूर्ति नहीं हुई बहाल संवाद सहयोगी, महानपुर : कस्बे के नजदीकी तथा नौशहरा पंचायत के कुआ गाव में पानी की सप्लाई पिछले करीब सात वर्ष से बंद पड़ी है।

विभाग ने क्षेत्रवासियों को फिर से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आज तक कोई भी पहल शुरू नहीं की है। सात वर्ष पूर्व सड़क मार्ग बनाने के दौरान पाइप उखाड़ी गई थीं, परंतु विभाग द्वारा आज तक जोड़ा नहीं गया है। इस कारण लोगों को खासकर गर्मियों के मौसम में पेयजल की किल्लत से पड़ता है। स्थानीय लोगों ने पीएचई विभाग से इस गाव में दोबारा पेयजल आपूर्ति किए जाने की माग की है। इस संबंध में पीएचई विभाग के एईई राजीव कुमार का कहना है कि सात वर्ष पूर्व सड़क मार्ग बनाने के दौरान पाईप को उखाड़ा था। इसके बाद कुछ पाईप चोरी भी हो गई। इस समय पाईप काफी कम हो चुकी है। कोई योजना भी विभाग के पास नहीं है, जिसके तहत नई पाईप मिल सकें।

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