मिसाल बना बांडीपोरा का गांव विवन... दो वर्षों से कोरोना को गांव से घुसने नहीं दिया

कई बार ऐसा हुआ कि बांडीपोरा में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले भी सामने आए परंतु गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमण को लेकर कभी भी कोई लापरवाही नहीं बरती। गांव के लोग बहुत कम पढ़े-लिखे हैं परंतु प्रशासन की हिदायतों का सख्ती से पालन करते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 09:28 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 09:47 AM (IST)
मिसाल बना बांडीपोरा का गांव विवन... दो वर्षों से कोरोना को गांव से घुसने नहीं दिया
गांव में 18 आयु वर्ग से ऊपर के सभी लोग कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज भी ले चुके हैं।

श्रीनगर, जेएनएन : विवन...। उत्तरी कश्मीर में जिला बांडीपोरा में पहाडिय़ों के बीच बसा यह बेहद पिछड़ा गांव कोरोना महामारी को हराने की मुहिम में एक मिसाल बना हुआ है। पिछले दो वर्षों में ग्रामीणों ने कोरोना को गांव में आने ही नहीं दिया। साफ-सफाई, और टीकाकरण को ग्रामीणों ने अपना मुख्य हथियार बनाया। भीड़ से दूरी करोनो से बचाव के लिए जरूरी, इनका सिद्धांत बन चुका है। तीसरी लहर से जग लड़ रहे पूरे देश को विवन गांव से सीखने की जरूरत है।

आपको याद होगा कि विवन वही गांव है, जो पिछले साल 18 वर्ष या उससे ज्यादा की उम्र की आबादी वाले सभी लोगों के टीकाकरण की उपलब्धि अर्जित करने वाला देश का पहला गांव बना था।

बांडीपोरा जिले में वीरवार को भी कोरोना से संक्रमित 130 मरीज मिले हैं। पूरे जिले में इस समय करीब 1611 सक्रिय कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन विवन इस सूची में नहीं है। एलओसी के साथ सटे जिला बांडीपोर के इस गांव में पेयजल, बिजली व स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है, क्योंकि आतंकवाद के चलते गांव में विकास नहीं हो पाया। इंटरनेट की सुविधा से वंचित इस गांव में बहुत कम लोगों के पास स्मार्ट फोन है।

जिला मुख्यालय बांडीपोरा से करीब 28 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में दाखिल होने के लिए 18 किलोमीटर का सफर पैदल ही करना पड़ता है। रास्ते में जंगल, दरिया और पहाड़ हैं। सिर्फ शुरू के 10 किलोमीटर तक ही वाहन की सुविधा उपलब्ध है। इस समय वियान में जाना और भी बहुत मुश्किल है, क्योंकि अधिकांश रास्ते बर्फ से ढके हुए हैं। गांव की आबादी एक हजार से 1200 के बीच है। 99वें प्रतिशत आबादी गुज्जर-बक्करवाल समुदाय से संबंधित और घुमंतु है, जो अक्सर गर्मियों में उच्च पर्वतीय इलाकों में अपने माल मवेशी के साथ चली जाती है।

पहली लहर से लिया सबक : तहसीलदार शेख तारिक ने कहा कि यह सही है कि विवन में कोरोना की दूसरी और अभी जारी तीसरी लहर में स्थानीय लोगों ने खुद को कोरोना महामारी से बचाए रखा है। पहली लहर में इस गांव में कई लोग कोरोना से पीडि़त हुए थे। स्थानीय लोगों ने पहली लहर से सबक लिया और टीकाकरण व उचित दूरी को अपनाया। गांव में प्रत्येक पात्र व्यक्ति को टीका लगे, इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने खुद गांव में घर-घर जाकर लोगों को टीका लगाया। चरागाहों में भी स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे।

मस्जिद में नहीं जाते सर्दी-खांसी जुकाम और बुखार से पीडि़त : विवन गांव के युवक नियाज खटाना ने कहा कि बेशक हमारे गांव में लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन समझदार हैं। हम सभी कोविड-19 को लेकर सरकार द्वारा जारी हिदायतों का पालन करते हैं। गांव में अगर किसी पर कोरोना संक्रमित होने का संदेह होता है तो उसकी स्वास्थ्य जांच जल्द कराई जाती है। गांव में एक दूसरे के साथ हाथ मिलाने के बजाय हम दूर से ही सलाम करते हैं। मस्जिद में वही जाते हैं जिन्हें सर्दी-खांसी जुकाम और बुखार न हो।

रेडियो से मिली जानकारी पर करते रहे अमल : गांव के निवासी निजाम दीन खान ने कहा कि रेडियो पर अक्सर कोरोना से बचने के तरीके बताए जाते थे। दो गज दूरी, मास्क का इस्तेमाल, हाथ मुंह साफ रखना, भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जाना आदि। बस हमने इन तरीकों को अपनाया। वैसे भी बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही गांव के लोग बाहर जाते हैं।

गांव में 15 वर्ष से ऊपर बिना वैक्सीन वाला कोई नहीं : बांडीपोरा के डिप्टी चीफ मेडिकल आफिसर डा. परवेजा ने कहा कि आज गांव में 15 वर्ष से ऊपर कोई ऐसा नहीं है, जिसने कोरोना वैक्सीन न ली हो। पिछले सप्ताह ही 15 से 17 साल के 56 किशोरों को पहली डोज लगी है। गांव में गई स्वास्थ्य विभाग की टीम दो दिन वहीं पर रही और उसने सभी लोगों के टेस्ट भी किए, उनमें से कोई संक्रमित नहीं पाया गया। शुरू में इस गांव में हमें टीकाकरण को लेकर कुछ समस्या आई थी, लेकिन बाद में यह दूर हो गई और विवन पहला ऐसा गांव बना जहां प्रत्येक बालिग को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी थी। गांव में फिलहाल, कोरोना संक्रमण का कोई मामला नहीं है। दूसरों को भी इससे सबक लेना चाहिए।

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