Jammu University: विभागों के विस्तार में सिकुड़ रही जेयू की हरियाली; निर्माण कार्य के लिए पेड़ों को काटा जा रहा
अगर ऐसे ही विस्तार का काम कैंपस में चलता रहा तो सिर्फ इमारतें ही दिखाई देंगी। चलने फिरने के लिए जगह नहीं मिलेगी।
जम्मू, सतनाम सिंह। जम्मू विश्वविद्यालय की हरियाली विभागों के विस्तारीकरण की भेंट चढ़ रही है। विभागों के विस्तार के लिए जगह लगातार कम हो रही है। ऐसे में विभागों के साथ लगती खाली जमीन पर ही निर्माण शुरू किया जा रहा है। इससे पूरे विश्वविद्यालय में खाली पड़ी जमीन और हरियाली कम हो रही है। विस्तारीकरण में पेड़ काटे जाए रहे हैं। इस समस्या का समाधान निकालने में विवि प्रबंधन नाकाम रहा है। यहां तक कि विश्वविद्यालय के पास अब तक कोई पुख्ता योजना तक नहीं है।
जम्मू डिवीजन के दस जिलों की उच्च शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने वाले जम्मू विश्वविद्यालय में अब खाली जगह कम दिखाई देती है। हरियाली कम होती जा रही है। विभागों का विस्तार के लिए निर्माण कार्य के कारण वृक्ष काटे जा रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि तमाम कोशिशों के बावजूद जम्मू विश्वविद्यालय सेना के कब्जे में अपनी जमीन को हासिल नहीं कर पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के समय में विश्वविद्यालय के सामने मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज के साथ मैकेनिकल डिवीजन की 32 कनाल भूमि विवि को सौंपने का फैसला हुआ था। यह फैसला साल 2006 में किया गया था। आज तक इस दिशा में फैसले पर अमल नहीं हो पाया।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन ङ्क्षसह समेत समय-समय पर गृह मंत्रियों, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के समक्ष भी मामले उठे। जम्मू विवि में पिछले डेढ़ दशक में आने वाले सभी वाइस चांसलरों ने विवि के साथ लगती सेना के कब्जे में जमीन को विवि को सौंपने का मामला उठाया। केंद्र को पत्र लिखे गए, लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ हासिल नहीं हुआ। सबसे अहम फैसला पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में राज्य प्रशासनिक काउंसिल ने सेना के कब्जे वाली जमीन को जम्मू विवि को सौंपने पर मुहर लगा दी थी। इसके बावजूद अब तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। हालांकि, सेना को अलग-जगह जमीन देने के प्रबंध करने के लिए कहा गया था। अगर ऐसे ही विस्तार का काम कैंपस में चलता रहा तो सिर्फ इमारतें ही दिखाई देंगी। चलने फिरने के लिए जगह नहीं मिलेगी। इस समय प्रशासनिक विभाग के सामने खाली पड़ी जमीन पर काम हो रहा है। इससे पहले भी परीक्षा विभाग का एक्सटेंशन बनाया गया था।
ऐसे जानिये जम्मू विश्वविद्यालय को
सरकारों की उदासीनता पड़ती रही भारी
पूर्व जम्मू कश्मीर में सरकारों की उदासनीता हमेशा ही जम्मू विवि के विस्तार में बाधा पैदा करती रही है। जब पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मौलाना आजाद मेमोरियल कॉलेज के नजदीक मैकेनिकल डिवीजन की 32 कनाल भूमि जम्मू विवि को देने का फैसला किया तो उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, पूर्व वीसी प्रो. अमिताम मट्टू ने सरकार के साथ राफ्ता तय करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन भी किया था। मैकेनिकल डिवीजन को वैकल्पिक जगह देने में सरकार नाकाम रही। संबंधित विभागों ने कोई परवाह नहीं की। विवि के पत्राचार पर ध्यान नहीं दिया जिसका परिणाम यह है कि आज भी मैकेनिकल डिवीजन वहीं पर है। रही बात जम्मू विवि के साथ लगती सेना के कब्जे वाली जमीन की तो यह मामला काफी उच्च स्तरीय था। इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री तक भी उठा। सेना को जब तक कहीं और जगह नहीं दी जाती है तब तक जगह खाली होना संभव नहीं है।
यह सही है कि हमारे पास जगह कम है। अगर हमें अतिरिक्त जगह मिले तो विकास को बल मिलेगा। नए विभाग बनाने या उनका विस्तार के लिए जगह तो चाहिए ही। एक तरीका यह भी है कि बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएं। हमने सरकार को अतिरिक्त भूमि के लिए प्रस्ताव भेजा है। उम्मीद है कि अतिरिक्त जमीन मिलेगी तो नए विभाग वहां पर खुल जाएंगे। इससे जमीन की समस्या का समाधान हो जाएगा। -प्रो. मनोज धर, वीसी जम्मू विश्वविद्यालय