आज रंग-बिरंगी पतंगों से पट जाएगा आकाश

जागरण संवाददाता जम्मू रक्षाबंधन के त्योहार के दिन हर साल शहर में जमकर पतंगबाजी होती है

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 06:58 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 06:58 AM (IST)
आज रंग-बिरंगी पतंगों से पट जाएगा आकाश
आज रंग-बिरंगी पतंगों से पट जाएगा आकाश

जागरण संवाददाता, जम्मू : रक्षाबंधन के त्योहार के दिन हर साल शहर में जमकर पतंगबाजी होती है। इस बार शहर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, इसके बावजूद युवाओं ने अपने घर से पतंगबाजी करने के लिए पूरी तैयारी की है। ऐसे में रक्षाबंधन के दिन आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से सराबोर नजर आएगा। पतंगबाजी में जोश भरने के लिए छतों पर म्यूजिक सिस्टम भी लगेंगे और पूरा दिन लोगों की छतों से वो-गई, यह गई, चल गई की आवाजें सुनाई देती रहेंगी।

रक्षाबंधन के दिन पतंगबाजी के लिए बच्चे व युवा महीने भर पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं। अंगुलियों पर पट्टी या हाथों में दस्ताने डालकर पतंगबाजी करते हैं। रक्षाबंधन से दो दिन पहले तो पतंगों की दुकानों पर भीड़ लग जाती है। लाइन लगाकर पतंग की खरीदारी होती है, लेकिन इस बार जिले में वीकेंड लॉकडाउन होने के कारण यह सारी खरीदारी शुक्रवार को ही पूरी कर ली गई। जो लोग खरीदारी नहीं कर पाए, उनके लिए सोमवार को भी पतंगों की दुकानें खुली रहेंगी।

इस बार कोरोना महामारी में आवश्यक शारीरिक दूरी के पालन के चलते छतों पर युवाओं की टोलियां शायद कम ही नजर आएं, लेकिन पतंगबाजी के लिए अब तक हुई खरीदारी से तय है कि रक्षाबंधन पर पतंगबाजी में कोई कमी आने वाली नहीं। गली-मुहल्लों में भी रंग-बिरंगी पतंगों से सजी दुकानें बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। सोमवार सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ ही पतंगबाजी का शोर सुनने को मिलेगा।

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लॉकडाउन ने दोगुनी की मस्ती

पतंगबाजी को लेकर बच्चों और युवाओं में यूं तो हर साल उत्साह रहता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज बंद हैं, जिससे इनका उत्साह दोगुना है। न तो अगले दिन स्कूल जाने की चिता है और न ही ट्यूशन की। यही कारण है कि इस बार शहर में पतंगबाजी का सीजन भी दो महीने पहले शुरू हो गया। आमतौर पर रक्षाबंधन के एक महीना पहले ही बच्चे छतों पर पतंगें उड़ाते नजर आते थे, लेकिन इस बार मई-जून में ही आसमान में पतंगें नजर आने लगी थीं।

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इस बार गट्टू से नहीं लड़ेंगे पेच

पूर्वी लद्दाख में चीन ने जो विश्वासघात किया, उसे लेकर स्थानीय पतंगबाजी के बाजार में भी चीन के खिलाफ आक्रोश झलक रहा है। भारतीय सैनिकों की शहादत से गुस्साए लोग इस बार न तो गट्टू की मांग कर रहे हैं और न ही इसकी कहीं चोरी-छिपे बिक्री होती दिख रही है। चीन निर्मित प्लास्टिक मांझे गट्टू पर प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद हर साल रक्षाबंधन व जन्माष्टमी पर पतंगबाजी गट्टू से अछूती नहीं रहती थी। गट्टू के घातक परिणामों के चलते प्रशासन ने जागरूकता भी लाई और सख्ती भी बरती, लेकिन इसके बावजूद पतंगबाजी के सीजन में इसकी चोरी-छिपे बिक्री जारी रही, लेकिन इस बार लोगों ने खुद ही इसका बहिष्कार किया है।

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