आजाद को महासचिव पद से हटाए जाने से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का हौंसला गिरेगा

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से गुलाम नबी आजाद को हटाए जाने से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पार्टी नेताओं का एक खेमा हतोत्साहित हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 13 Sep 2020 05:12 PM (IST) Updated:Sun, 13 Sep 2020 05:12 PM (IST)
आजाद को महासचिव पद से हटाए जाने से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का हौंसला गिरेगा
आजाद को महासचिव पद से हटाए जाने से जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का हौंसला गिरेगा

जम्मू, राज्य ब्यूरो । कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पद से गुलाम नबी आजाद को हटाए जाने से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में पार्टी नेताओं का एक खेमा हतोत्साहित हैं। आजाद के समर्थक हाई कमान के फैसले से खुश नहीं हैं। इस समय कांग्रेस जम्मू कश्मीर में अपना खोया आधार हासिल करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में आजाद को अहम जिम्मेदारी से हटाए जाने का पार्टी पर विपरीत असर पड़ेगा।

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का कोई भी प्रतिनिधि चुन कर नहीं आया था। चूंकि आजाद जम्मू के भद्रवाह के रहने वाले है और पूर्व पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री रहे हैं। पिछले एक दशक से अधिक समय से आजाद का जम्मू कश्मीर की राजनीति में प्रभाव रहा है। पार्टी के जम्मू कश्मीर मामलों की पूर्व प्रभारी अंबिका सोनी जब भी जम्मू कश्मीर का दौरा करती रही है तो आजाद उनके साथ ही आते रहे हैं। जम्मू कश्मीर में पार्टी के किसी मामले को लेकर आजाद ही सबसे अधिक हस्तक्षेप रहा है। पूर्व जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए या लोकसभा चुनाव, उम्मीदवारों के चयन को लेकर गुलाम नबी आजाद की अहम भूमिका होती थी। जब भी जम्मू कश्मीर में पार्टी ने किसी अहम मुद्दे पर सरकार को घेरना होता था तो आजाद विशेष तौर पर जम्मू आते रहे हैं।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आजाद ही सबसे पहले श्रीनगर और जम्मू आए थे। आजाद के समर्थन वाला खेमा पार्टी के जम्मू कश्मीर के प्रधान जीए मीर पर नजर रखे हुए है और देखों, इंतजार करने की स्थिति में है। नाम न छापने की शर्त पर आजाद के एक खास नेता ने कहा कि निश्चित तौर पर जम्मू कश्मीर में पार्टी को धक्का लगा है। हम हर स्थिति पर नजर रखे हुए है। जितनी अच्छे तरीके से आजाद जम्मू कश्मीर को समझ सकते है दूसरे नेता नहीं। पार्टी इस समय जम्मू कश्मीर में अपना आधार मजबूत करने के लिए अहम मुद्दों पर भाजपा को घेर रही है और ऐसे समय में आजाद का महासचिव पद से जाना पार्टी पर विपरीत असर छोड़ेगा।

आजाद के समर्थन वाले नेता पार्टी हाईकमान के फैसले के खिलाफ बिलकुल बोलने को तैयार नहीं है। वह इस समय गतिविधियों पर नजर रखे हुए और इस इंतजार में है कि नई प्रभारी रजनी पाटिल कब दौरा करती है और उनका रवैया कैसे रहता है।

प्रदेश कांग्रेस जम्मू कश्मीर के प्रधान जीए मीर का कहना है कि आजाद को महासचिव के पद से हटाया गया है लेकिन वह कार्यसमिति में बने हुए है। वह बहुत ही वरिष्ठ और सम्मानजनक नेता है। जम्मू कश्मीर में उनकी भूमिका रहेगी। उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। भाजपा को इस पर राजनीति करने का कोई हक नहीं है। भाजपा को पहले अपना घर देखना चाहिए। अंबिका सोनी की जगह रजनी पाटिल को प्रभारी बनाया गया है। फेरबदल के बाद भी पार्टी एकजुट होकर काम करेगी।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी जम्मू कश्मीर के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने गुलाम नबी आजाद को कार्यसमिति में रखा है। कार्यसमिति कांग्रेस की सर्वोच्च बाडी है। पार्टी के अहम मामलों में आजाद अपना सलाह मशवरा देते रहेंगे।

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