नियंत्रण रेखा पर स्नाइपर शॉट हमले तेज, पाक एसएसजी कमांडो डेढ़ किमी. दूर से बना रहे निशाना

ऐसी कायराना कार्रवाई करने के बाद अकसर फ्लैग मीटिंगों में पाकिस्तान मुकर जाता है। पाकिस्तान की ऐसी कायराना हरकतों के खिलाफ भारतीय सेना के जवानों में इस समय गहरा रोष है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 11:42 AM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 11:42 AM (IST)
नियंत्रण रेखा पर स्नाइपर शॉट हमले तेज, पाक एसएसजी कमांडो डेढ़ किमी. दूर से बना रहे निशाना
नियंत्रण रेखा पर स्नाइपर शॉट हमले तेज, पाक एसएसजी कमांडो डेढ़ किमी. दूर से बना रहे निशाना

जेएनएन, जम्मू। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान सेना ने स्नाइपर शॉट के हमले तेज कर दिए हैं। सीमा में अब जगह-जगह तैनात पाक स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) कमांडो की संख्या भी बढ़ाई गई है। ये कमांडो करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से सटीक निशाना लगाने में माहिर हैं।

सितंबर 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही पाक सेना ने एसएसजी कमांडों सीमा पर तैनात किए थे। एसएसजी कमांडो की कमान मेजर जनरल ताहिर मसूद के हाथों में है। वह कई दिनों से सीमा का दौरा करके उन जगहों पर शूटर तैनात करवा रहे हैं जिन जगहों पर भारतीय सेना की चौकियां नीचे हैं और दूर से नजर आ रही हैं। ये कमांडो पाक सैनिकों के साथ तैनात रहते हैं। सभी कमांडो के पास अत्याधुनिक स्नाइपर राइफल है। ये हर समय भारतीय चौकियों पर नजर बनाए रखते हैं। जैसे ही कोई जवान मोर्चे से बाहर आता है या फिर ढिलाई बरतता है, उसी समय स्नाइपर शॉट दाग देते हैं।

कहां पर तैनात हैं कमांडो

पाक सेना ने एसएसजी कमतांडों को नौशहरा के उस पार भिंबर, जेमबर रेखास, कोटली आदि कई जगहों में तैनात कर रखा है। हर रोज कमांडो को नए लक्ष्य के साथ सीमा पर भेजा जाता है। बीजी सेक्टर के उस पार नेकयाल में भी कई कमांडो तैनात हैं। यहां से कई बार कमांडो स्नाइपर शॉट दाग चुके हैं।

एसएसजी कमांडो को कड़े निर्देश

सूत्रों की माने तो पाक सेना ने एसएसजी कमांडो को कड़े निर्देश जारी किऐ हैं कि हर रोज भारतीय जनवानों पर स्नाइपर शॉट दाग कर अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जाए। स्नाइपर राइफल से लैस पाक सेना के कमांडो डेढ़ किलोमीटर के दायरे में सटीक निशाना लगा सकते हैं। राइफल की मारक क्षमता 1800 मीटर के आसपास है। इस राइफल से लगाया निशाना सटीक होता है।

एक साल में 12 जवान हुए शहीद

2018 में अब तक स्नाइपिंग के मामलों में 12 के करीब मौतें हो चुकी है। नवंबर में तीन मौतों से पहले सितंबर में भी तीन सुरक्षाकर्मी स्नाइपिंग में शहीद हुए थे। कश्मीर में स्नाइपर अटैक की पहली घटना इस साल 18 सितंबर को पुलवामा में हुई। इसमें एक सीआरपीएफ जवान गंभीर रूप से घायल हुआ। इसके बाद से कश्मीर के त्राल एक सशस्त्र सीमा बल के एक जवान ऐसे हमले में शहीद हुआ। स्नाइपर गन से आतंकवादियों ने एक सैनिक व नौगाम के सीआईएसएफ के जवान को भी शहीद कर दिया।

भारतीय जवानों को एहतियात बरतने को कहा

एक आधुनिक स्नाइपर राइफल 800 से 1800 मीटर दूर तक मार करने की क्षमता रखता है। ऐसी कायराना कार्रवाई करने के बाद अकसर फ्लैग मीटिंगों में पाकिस्तान मुकर जाता है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की ऐसी कायराना हरकतों के खिलाफ भारतीय सेना के जवानों में इस समय गहरा रोष है। ऐसे में मौका मिलने पर अपने जवानों की मौत का बदला लिया जाना तय है। पाकिस्तान ने सीमा पर स्नाइपरों की संख्या बढ़ाई है, ऐसे में इस समय सीमा पर सीमा प्रहरियों व जवानों को कड़ी एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं। 

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