भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने एसीबी से रोशनी जमीन घोटाले की दोबारा जांच करने को कहा

कोर्ट ने पाया कि उक्त जमीन पर दो पुलिस चौकियां भी बनाई गई जिन्हें बाद में हटा लिया गया और देखते ही देखते वहां जम्मू प्लाजा व जेके रिजार्ट नाम के दो बैंक्वेट हाल खड़े हो गए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 11:22 AM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 11:22 AM (IST)
भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने एसीबी से रोशनी जमीन घोटाले की दोबारा जांच करने को कहा
भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने एसीबी से रोशनी जमीन घोटाले की दोबारा जांच करने को कहा

जेएनएफ, जम्मू : मार्बल मार्केट में रोशनी एक्ट की आड़ में सरकारी जमीन पर कब्जा करने के बहुचर्चित मामले में भ्रष्टाचार निरोधक विशेष न्यायालय ने एंटी क्रप्शन ब्यूरो (एसीबी) की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने पूरे मामले की दोबारा जांच करने का निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जांच के दायरे को बढ़ाते हुए हर अतिक्रमणकारीको कानून के दायरे में लाया जाए। मौजूदा केस में सुभाष चौधरी पर सरकारी जमीन पर कब्जा करके जम्मू प्लाजा व जेके रिजार्ट बैंक्वेट हॉल व रिहायशी मकान बनाने तथा पूर्व मंत्री रमण भल्ला, पूर्व विधायक ओम प्रकाश, सेवानिवृत्त एसपी चौधरी, सेवानिवृत्त डीएसपी मिर्जा व मोहन मेकिन द्वारा रिहायशी इमारत बनाने का आरोप है।

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दो आइएएस अधिकारियों, जम्मू के तत्कालीन डिवीजनल कमिश्नर सुधांशु पांडे व तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जम्मू हृदेश कुमार सिंह समेत राजस्व विभाग के अधिकारियों तथा जेडीए अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी जमीन पर कब्जे को बढ़ावा दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट में इन अधिकारियों के अपने पद का दुरुपयोग करने की बात सामने आती है, लेकिन क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट किस आधार पर दी, यह समझ से बाहर है।

कोर्ट ने एसीबी के एसएसपी जम्मू को इस पूरे मामले में जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत की भी जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पाया कि जब सरकार ने जमीन जेडीए के सुपुर्द की तो जेडीए ने तत्काल इसका कब्जा क्यों नहीं लिया? जब जमीन पर निर्माण शुरू हुआ तो जेडीए ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की या फिर अतिक्रमणकारियों से भारी जुर्माने के साथ जमीन की कीमत वसूल क्यों नहीं की? कोर्ट ने पाया कि उक्त जमीन पॉश इलाके में होने के कारण काफी महंगी है और इसके बावजूद जमीन पर कब्जा हुआ और निर्माण भी लेकिन जेडीए नींद में रहा।

कोर्ट ने कहा कि सभी अधिकारियों को पता है कि श्रीनगर व जम्मू शहर में नगरनिगम के अधीन आने वाली सभी सरकारी जमीनें जेडीए को ट्रांसफर कर दी गई है, लिहाजा अपनी जमीन पर हो रहे कब्जे को देख औपचारिकता के लिए मात्र एक-दो संवाद पर्याप्त नहीं। कोर्ट ने कहा कि एसीबी के अंतिम रिपोर्ट में भी कहा गया कि पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों, राजनेताओं, कारोबारियों व मीडिया के लोगों में आपसी गठजोड़ है और यहीं कारण है कि राजस्व विभाग सरकारी जमीनों की निशानदेही नहीं कर रहा।

कोर्ट ने पाया कि उक्त जमीन पर दो पुलिस चौकियां भी बनाई गई जिन्हें बाद में हटा लिया गया और देखते ही देखते वहां जम्मू प्लाजा व जेके रिजार्ट नाम के दो बैंक्वेट हाल खड़े हो गए। लिहाजा इन सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, फिर वो चाहे किसी भी पद पर क्यों न हो।

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