Jammu: रोशनी घोटाले को बेनकाब करने वाला संगठन इकजुट जम्मू जल्द रंगेगा सियासी रंग में

कश्मीर में सक्रिय जिहादी तत्व अपने मिशन को जम्मू के रास्ते पूरे देश में ले जाना चाहते हैं और बीते 70 सालों में यहां व्यवस्था ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से एक संप्रदाय विशेष के तुष्टिकरण की नीति को अपनाते हुए जम्मू के जनसांख्यिकी चरित्र को बदलने का प्रयास किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 10:37 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 10:37 AM (IST)
Jammu: रोशनी घोटाले को बेनकाब करने वाला संगठन इकजुट जम्मू जल्द रंगेगा सियासी रंग में
इकजुट संगठन प्रदेश का दूसरा और जम्मू संभाग पर केंद्रित पहला राजनीतिक दल होगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू-कश्मीर में जल्द ही एक नया राजनीतिक संगठन देखने को मिलेगा। यह संगठन कश्मीर और सिर्फ एक समुदाय विशेष की भावनाओं पर केंद्रित नहीं होगा और न ही इसमें पुराने चेहरे नजर आएंगे। वर्तमान में यह एक गैर राजनीतिक, लेकिन सामाजिक संगठन है जो अगले चंद दिनों में पूरी तरह राजनीतिक लबादा ओढऩे के लिए तैयार हो रहा है। प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने जा रहा यह संगठन पूरी तरह जम्मू संभाग के सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित रहेगा। यह संगठन है इकजुट जम्मू। इसी संगठन ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक छत्रछाया में हुए अब तक के सबसे बड़े रोशनी भूमि घोटाले को बेनकाब करते हुए सरकारी जमीन की बंदरबांट वाले कानून को असंवैधानिक घोषित कराया है।

जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद यह संगठन प्रदेश का दूसरा और जम्मू संभाग पर केंद्रित पहला राजनीतिक दल होगा। इसका एजेंडा भी पूरी तरह स्पष्ट है। यह जम्मू संभाग को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने पर केंद्रित होगा। इसी साल मार्च में पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी ने जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) का गठन किया है। जेकेएपी में पीडीपी, कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स कांफ्रेंस से जुड़े रहे नेता और पूर्व विधायक ही नजर आते हैं। इस पार्टी की सियासत परोक्ष रूप से कश्मीर व एक वर्ग विशेष पर आधारित नजर आती है और इसे नेकां व पीडीपी के विकल्प के तौर पर केंद्र सरकार द्वारा किया गया एक प्रयोग माना जा रहा है।

यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब जम्मू संभाग से कोई राजनीतिक संगठन तैयार हो रहा हो, लेकिन राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे इकजुट जम्मू के बारे में कहा जा सकता है कि इसमें राजनीति के चले हुए कारतूस शामिल नहीं हैं। यह जम्मू संभाग के किसी वर्ग विशेष पर नहीं, बल्कि जम्मू संभाग के ङ्क्षहदू-मुस्लिम, सिख, ईसाई व अन्य अल्पसंख्यकों को लेकर आगे बढऩे का दावा कर रहा है।

इकजुट जम्मू के अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर शर्मा ने प्रदेश की सियासत में पूरी तरह से सक्रिय होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि हम अपने संगठन को एक राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकरण कराने जा रहे हैं। इसकी सभी तैयारियां अगले चंद दिनों में पूरी हो जाएंगी। अंकुश शर्मा ने कहा कि हमारे संगठन की प्रत्येक जिला व तहसील स्तर पर इकाइयां हैं। स्थानीय लोगों के फीडबैक के आधार पर ही राजनीति में उतरने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जम्मू संभाग के अधिकारों, यहां के लोगों के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा व आतंकवाद को रोकने के लिए जम्मू का एक अलग राज्य बनना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में सक्रिय जिहादी तत्व अपने मिशन को जम्मू के रास्ते पूरे देश में ले जाना चाहते हैं और बीते 70 सालों में यहां व्यवस्था ने प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से एक संप्रदाय विशेष के तुष्टिकरण की नीति को अपनाते हुए जम्मू के जनसांख्यिकी चरित्र को पूरी तरह बदलने का प्रयास किया है। यहां जमीन पर हुए अवैध कब्जे और रोशनी घोटाला इसकी पुष्टि करता है। उन्होंने कहा कि जम्मू का मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी इससे परेशान हैं।

कठुआ कांड के बाद लाल सिंह ने बनाया था सियासी दल: जम्मू कश्मीर पैंथर्स पार्टी जैसे क्षेत्रीय दल की बुनियाद भी जम्मू ही है, लेकिन वह अपने मूल एजेंडे से जहां कई बार हटता नजर आया है, वहीं, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद उसके राजनीतिक नारों पर भी असर पड़ा है। दो वर्ष पूर्व कांंग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद कठुआ कांड पर तत्कालीन राज्य सरकार के साथ मतभेद होने पर पूर्व मंत्री चौधरी लाल ङ्क्षसह ने डोगरा स्वाभिमान नामक राजनीतिक संगठन बनाकर 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा। यह चुनाव हारने के बाद से इस संगठन की गतिविधियां लगभग ठप पड़ी हुई हैं। हमारा मकसद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं है, बल्कि इसे रोकना चाहते हैं। हम जम्मू संभाग को कश्मीर और कश्मीर केंद्रित सियासत से पूरी तरह से आजादी दिलाना चाहते हैं। -एडवोकेट अंकुर शर्मा, अध्यक्ष, इकजुट जम्मू 

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