खेत खलिहान: पहाड़ाें पर पड़ी बर्फ बनी किसानों के लिए वरदान

बर्फवारी होने से पहाड़ों में लगे गांठ गोभी की मार्केट में कीमत और बढ़ जाएगी। बर्फवारी से इस सब्जी में मिठास बढ़ जाती है और सब्जी बनाने में यह और स्वादिष्ट हाे जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 09 Jan 2019 10:33 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jan 2019 10:33 AM (IST)
खेत खलिहान: पहाड़ाें पर पड़ी बर्फ बनी किसानों के लिए वरदान
खेत खलिहान: पहाड़ाें पर पड़ी बर्फ बनी किसानों के लिए वरदान

जम्मू, जागरण संवाददाता। इस बार पहाड़ों पर थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल बाद हुई बर्फवारी से पहाड़ी खेतों को लंबे समय तक नमीं प्राप्त हो सकेगी। इससे आने वाले सीजन में पहाड़ों पर अच्छी फसल होने की संभावनाएं बन गई है। एक तो समय पर बर्फ पड़ी तो वहीं दूसरी ओर बार बार बर्फवारी हुई। इसको लेकर पहाड़ी किसान खुश है।कारण यह है कि अच्छी बर्फवारी से पहाड़ों पर लंबे समय तक पानी की उपलब्धता बनी रहेगी। वहीं प्राकृति स्रोत जल्दी सूख नही पायेंगे। अप्रैल मई में पहाड़ों पर सब्जियों की नई फसल लगती है। इसमें मूली, शलगम, टमाटर, बैंगन, बंद गोभी, गोभी, फूल गोभी की खेती लगेगी वहीं मक्का लगाने का काम भी आरंभ हो पाएगा। चूंकि पहाड़ों पर ठंड लंबे समय तक होती है, इसलिए किसान अब पालीहाउस के नियंत्रित तापमान में पनीरी उगाता है और अप्रैल मई आते ही पौधे जमीन में रोप देता है। कृषि विभाग प्राणु के एसडीओ सुशील रतन का कहना है कि बारिश का पानी एकदम से बह जाता है मगर बर्फ का पानी धीरे धीरे जमीन में रिसता जाता है। बाद में झरने व दूसरे प्राकृति स्रोत में यही पानी लंबे समय तक चलता है। इसलिए पहाड़ों पर हुई बर्फवारी से लंबे समय तक खेती को लाभ मिलेगा।

और मजेदार हो जाएगा पहाड़ी गांठ गोभी

बर्फवारी होने से पहाड़ों में लगे गांठ गोभी की मार्केट में कीमत और बढ़ जाएगी। बर्फवारी से इस सब्जी में मिठास बढ़ जाती है और सब्जी बनाने में यह और स्वादिष्ट हाे जाता है। इसलिए बर्फवारी का किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है। एसडीओ सुशील रतन का कहना है कि बर्फवारी से भले ही लगी हुई दूसरी सब्जियों पर विपरीत प्रभाव रहता हो मगर गांठ गोभी का स्वाद ही बढ़ जाता है। स्वाद के कारण ही यह गोभी बाजार में महंगे दाम पर बिक जाता है।

ब्रोकली लगाओ दोगुना फायदा कमाओे

गुणों से भरपूर ब्रोकली (हरा गोभी) लगाने वाले किसान इन दिनों माेटा मुनाफा कमा रहे हैं। बाजार में अच्छी मांग के चलते इस सब्जी की हमेशा मांग रही है। सामान्य गाेभी लगाने के मुकाबले में ब्राेकली डेढ़ से दो गुना ज्यादा कमाई करा जाता है। पनोतरे चक के किसान कुलदीप राज जिन्हाेंने नियंत्रित तापमान में तीन कनाल भूमि में ब्रोकली लगाया हुआ है और अब उनकी फसल तैयार हो आई है। बाजार में अच्छे दाम दिला रही है। उन्होंने बताया कि एक किलो के लिए किसानों को अभी भी 50 रुपयेे प्राप्त हो रहा है जोकि पिछले माह जब फसल आरंभ हुई थी, 120 रुपये दाम दिला रही थी। अभी मार्च माह तक ब्रोकली की फसल चलेगी। जब से पता चला है कि गोभी लगाने की बजाए ब्रोकली लगाने में ज्यादा फायदा है, उन्होंने खेती को ब्राेकली में बदल लिया है। अगर और भी किसान इस खेती में आना चाहते हैं तो उनका सिंतबर माह का इंतजार करना पड़ेगा जब इसकी खेती का सीजन आता है। एक माह का समय पनीरी तैयार होने में लग जाता है। एक बार पौधे सही तरीके से लग जाएं तो एक पौधा 400 से 500 ग्राम की फसल दे ही जाता है। बस इस फसल के लिए तापमान का विशेष ध्यान रखना होता है। अगर आप ब्रोकली लगाना चाहते हैं ताे अच्छे बीजों का इस्तेमाल करें।

फिर होगी बारिश

अभी बारिश और होनी है। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के माैसम विशेषज्ञ डा. महेंद्र सिंह ने कहा कि 11 जनवरी से मौसम फिर बिगड़गा और बारिश हाे सकती है। उसके बाद 13 जनवरी को 8 एमएम बारिश होने के आसार हैं। अगले कुछ दिनाें तक दिन का अधिकतम तापमान 16 से 18 डिग्री सेल्सियस तक बना रहेगा। जबकि न्यूनतम तापमान 7 से 9 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। इन इन दिनों खेतों में पानी न दें क्योंकि बारिश के आसार बने हुए हैं। किसान मौसम के मिजाज को देखते हुए खेतों में काम करें।

किसान भाइयों के लिए जरूरी बातें: बारिश के आसार के चलते खेतों में पानी न दें। मधुमक्खी पालको को चाहिए कि मधुमक्खी की कालोनियों को धूप में रखें ताकि तापमान नियंत्रित रहे। माल मवेशी के शेड की खिड़कियों को रात के समय बोरी टाट आदि से ढक दें ताकि ठंड अंदर न आ सके। मवेशियोें काे एकदम ठंडा पानी न पिलाएं। इससे माल मवेशी बीमार पड़ सकता है। मछलियों के तालाब में नियमित तौर पर 2-3 फीसद फीड मिलाई जाए ताकि मछलियों को नियमित तौर से आहार प्राप्त हा सके। पोल्ट्री फार्म में तापमान को नियंत्रित करें। बाहर से ठंड अंदर न आए, इसलिए खिड़कियों पर टाट, बोरी आदि डाली जाए। मशरूम की फसल को हवा भी लगवाएं। इसलिए क्रास वेंटीलेशन हाेनी चाहिए। वहीं शेड के अंदर का तापमान नियंत्रित किया जाना चाहिए नही ताे फसल बढ़ नही पाएगी। 

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