Azadi Ka Amrit Mahotsav : आतंक की नर्सरी में राष्ट्रवाद की पौध, त्राल में गूंजे हिंदोस्तान जिंदाबाद के नारे

Azadi Ka Amrit Mahotsav तिरंगा रैली में शामिल मयमूना नामक एक छात्रा ने कहा कि पहले डर लगता था कि अगर हम हिंदोस्तान जिंदाबाद का नारा लगाएंगे या 15 अगस्त के कार्यक्रम में शामिल होंगे तो हमारे घर पर पत्थर बरसेंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 12 Aug 2022 08:25 AM (IST) Updated:Fri, 12 Aug 2022 08:25 AM (IST)
Azadi Ka Amrit Mahotsav : आतंक की नर्सरी में राष्ट्रवाद की पौध, त्राल में गूंजे हिंदोस्तान जिंदाबाद के नारे
गांदरबल के मनिगाम में भी सीआरपीएफ के 200 कर्मियों ने तिरगा रैली निकाली।

श्रीनगर, नवीन नवाज : पुलवामा जिले के त्राल जिसे कश्मीर में आतंक की नर्सरी कहा जाता है जहां से बुरहान वानी और जाकिर मूसा जैसे आतंकी पोस्टर ब्वाय निकले हैं और जैश ए मोहम्मद के आतंकियों की सबसे सुरक्षित पनाहगाह कहलाता है। उसी त्राल में हजारों छात्र-छात्राएं अपने घरों से निकले और गली-बाजारों से होते मैदान में जमा हुए। सभी जोर-जोर से नारेबाजी और झंडे लहरा रहे थे, लेकिन अब नारों के साथ झंडा बदल चुका था।

हिंदोस्तान जिंदाबाद के जयघोष के साथ हर हाथ में सिर्फ तिरंगा था। करीब 15 हजार छात्र-छात्राओं के साथ बड़ी संख्या में युवाओं ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत त्राल में रैली निकाली। त्राल के स्टेडियम में जमा विद्यार्थियों के साथ अन्य सचिवायुक्त ग्रामीण विकास विभाग और उपायुक्त बडग़ाम बसीर उल हक ने भी संबोधित किया।

पहले डर लगता था : तिरंगा रैली में शामिल मयमूना नामक एक छात्रा ने कहा कि पहले डर लगता था कि अगर हम हिंदोस्तान जिंदाबाद का नारा लगाएंगे या 15 अगस्त के कार्यक्रम में शामिल होंगे तो हमारे घर पर पत्थर बरसेंगे। रैली में शामिल हिज्ब आतंकी जहांगीर अहमद वानी के करीबी रिश्तेदार ने कहा कि यहां काली छाया थी,जिसका असर कइयों पर हुआ। मेरे एक रिश्तेदार पर भी उसका असर पड़ा और उसने बंदूक उठाई। दो साल पहले मारा गया है। हम सच्चे हिंदुस्तानी हैं।

तिरंगे की आन पर कोई आंच नहीं आने देंगे : सिर्फ त्राल में ही नहीं, कुलगाम में भी विशाल तिरंगा रैली हुई,जिसमें छात्र व अन्य लोग शामिल हुए। यह वही कुलगाम है जहां वर्ष 2016 में बुरहान की मौत के बाद आतंकी व अलगाववादी समर्थक रैलियों में आजादी के नारे लगाते थे। बच्चे तिरंगा थामे युवक शपथ ले रहे थे कि मर जाएंगे, मिट जाएंगे लेकिन तिरंगे की आन पर कोई आंच नहीं आने देंगे। अनंतनाग और शोपियां में भी हर घर तिरंगा अभियान के तहत छात्रों ने रैलियां निकाली। राष्ट्रगान प्रतियोगिता भी हुई।

लश्कर के गढ़ में राष्ट्र ध्वज बांटे : उत्तरी कश्मीर में लश्कर ए तैयबा का गढ़ कहलाने वाले बांडीपोरा में करीब 12 हजार छात्रों ने तिरंगा रैली में हिस्सा लिया। विभिन्न शहरों और कस्बों में बड़ी संख्या में पुलिस, शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग और अश्रन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों व कर्मियों और विभिन्न एनजीओ ने भी तिरंगा रैलियां की। राष्ट्र ध्वज भी वितरित किए गए। श्रीनगर में सीआरपीएफ ने बाइक तिरंगा रैली का आयोजन किया। डल झील के किनारे से गुजरते यह रैली निशात में संपन्न हुई। सीआरपीएफ के बैंड ने राष्ट्रभक्ति के ओजपूर्ण गीतों पर आधारित धुनों को भी बजाया,जिससे हरेक के भीतर राष्ट्रभक्ति का जज्बा उमड़ता हुआ महसूस हुआ। गांदरबल के मनिगाम में भी सीआरपीएफ के 200 कर्मियों ने तिरंगा रैली निकाली।

सिर्फ राष्ट्रवाद और तिरंगे का जोश : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ बिलाल बशीर ने कहा कि आज किसी जगह किसी ने यह नहीं कहा कि उन्हें खतरा है, उन्हें जबरन बुलाया जा रहा है। आजादी का नारा देने वाले गुम हो चुके हैं। त्राल आतंक की नर्सरी नहीं रहा है, बांडीपोरा में लश्कर का किला ढह चुका है। हां, सिर्फ राष्ट्रवाद और तिरंगे का जोश है। 

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