शिव विवाह में आशीर्वाद लेने उमड़ी संगत

गंग्याल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा चेयरमैन बलदेव सिंह बलोरिया के नेतृत्व में आयोजित किए गए शिव महापुराण कथा सप्ताह में वीरवार को शिव विवाह हुआ। इसमें महिलाओं ने मां पार्वती को कलीरे सूट आदि शादी का सामान भेंट किया। इस मौके पर संत दिनेश भारती ने संगत को निहाल करते हुए कहा कि भगवान शंकर और पार्वती जी के विवाह का प्रसंग बहुत मंगलकारी है। जो इस कथा को सुनता है उसके मनोरथ पूर्ण होते हैं। शिव पुराण में इसकी अति महत्ता बताई गई है। भगवान शंकर बारात के साथ राजा हिमाचल के यहां जाते हैं। ऐसी बारात न किसी ने देखी और न देखेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Mar 2019 03:13 AM (IST) Updated:Thu, 21 Mar 2019 03:13 AM (IST)
शिव विवाह में आशीर्वाद लेने उमड़ी संगत
शिव विवाह में आशीर्वाद लेने उमड़ी संगत

जागरण संवाददाता, जम्मू : गंग्याल वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा चेयरमैन बलदेव सिंह बलोरिया के नेतृत्व में आयोजित किए गए शिव महापुराण कथा सप्ताह में वीरवार को शिव विवाह हुआ। इसमें महिलाओं ने मां पार्वती को कलीरे, सूट आदि शादी का सामान भेंट किया। इस मौके पर संत दिनेश भारती ने संगत को निहाल करते हुए कहा कि भगवान शंकर और पार्वती जी के विवाह का प्रसंग बहुत मंगलकारी है। जो इस कथा को सुनता है, उसके मनोरथ पूर्ण होते हैं। शिव पुराण में इसकी अति महत्ता बताई गई है। भगवान शंकर बारात के साथ राजा हिमाचल के यहां जाते हैं। ऐसी बारात न किसी ने देखी और न देखेंगे। मदमस्त शिव के गण। कोई मुखहीन। कोई विपुल मुख। भस्म लगाए हुए शंकर जी। शंकर जी दूल्हा थे, लेकिन सांसारिक नहीं। वह अविनाशी और प्रलयंकर के रूप में थे। सब कहने लगे, दूल्हा भी कभी ऐसा होता है क्या? गले में सर्पहार। शरीर पर भस्म लपेटे हुए। उनको क्या पता था कि वह दूल्हे के नहीं बल्कि साक्षात शंकर जी के दर्शन कर रहे हैं। तीन दिन तक बारात ने वहां प्रवास किया। अब तो बारात कुछ घंटों की होती है, लेकिन शास्त्रीय परंपरा के अनुसार तब बारात कई दिन ठहरती थी। सारे मंगल कार्य विधि विधान से होते थे।

उन्होंने आगे बताया कि विवाह में पंडितों ने शंकर जी से कहा कि अब आप संकल्प कीजिए। महासंकल्प लेने वाले शंकर जी आज स्वयं संकल्प कर रहे हैं। जिनके संकल्प मात्र से ही सारे कार्य सिद्ध होते हैं। आज उनको पंडित कह रहे हैं कि आप संकल्प कीजिए। शंकर जी संकल्प लेने लगे, तभी पंडितों ने उनसे पूछा आपका गोत्र क्या है? शंकरजी कैसे बताएं कि क्या है गोत्र। कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। सृष्टि के जन्म, पालन और संहार में लगे रहे। शंकर जी का त्रिलोक ही गोत्र है। शंकर जी ने ब्रह्मा जी और विष्णु को देखा। दोनों ने शंकर जी को देखा और हंसने लगे। पंडित जी समझ गए कि उनसे भूल हो गई। पंडित जी ने फेरे कराए और वहीं पर जयमाला की रस्म हुई। पंडित जी ने बारी-बारी से वचन कराए। शंकर और पार्वती जी ने पति धर्म और पत्नी धर्म का पालन करने के लिए वचन भरे। इस दौरान सप्ताह में शंकर पार्वती की मनमोहक झांकी ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भगवान शिव और पार्वती के आगे नतमस्तक होते हुए संगत ने शिव विवाह का खूब मजा लिया। इस मौके पर जम्मू की डिप्टी मेयर पूर्णिमा शर्मा को पार्वती की मां के रूप में कन्यादान करने का सुअवसर मिला। बलदेव बलोरिया ने संगत का आभार जताया।

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