जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती, विशेषज्ञों ने चिंता जताई

जागरण संवाददाता जम्मू जलवायु परिवर्तन पर शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी (स्कास्ट) चट्ठा में पांचवीं तीन दिवसीय साइंस कांग्रेस का आयोजन किया गया। साइंस कांग्रेस में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन को विश्व की सबसे बड़ी चुनौती बताया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 07:25 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 07:25 AM (IST)
जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती, विशेषज्ञों ने चिंता जताई
जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती, विशेषज्ञों ने चिंता जताई

जागरण संवाददाता, जम्मू : जलवायु परिवर्तन पर शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी (स्कास्ट) चट्ठा में पांचवीं तीन दिवसीय साइंस कांग्रेस का आयोजन किया गया। साइंस कांग्रेस में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन को विश्व की सबसे बड़ी चुनौती बताया।

जेके एग्रीकल्चरल साइंस कांग्रेस का उद्घाटन जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने किया। डॉ. सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे हैं। औद्योगिक क्रांति से पहले जलवायु परिवर्तन जैसा कोई शब्द नहीं था, लेकिन औद्योगिकीकरण और विकास की गति ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया। अगर इंसान अपनी जीवन शैली में बदलाव लाए और पारंपरिक रहन सहन को अपनाए तो पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई संभव है।

इस मौके पर स्कास्ट के वाइस चांसलर डॉ. केएस रिसम विशेष मेहमान थे, जबकि भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक डॉ. आनंद शर्मा मुख्य अतिथि थे। स्कास्ट के डायरेक्टर रिसर्च डॉ. जेपी शर्मा ने भी जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है कि आज राजस्थान जैसे सूखे प्रदेश में बाढ़ आ रही है और लद्दाख में बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं। नदी-नालों पर अतिक्रमण के चलते भूजल स्तर कम होता जा रहा है, जिससे कृषि क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। साइंस कांग्रेस में देशभर से आए प्रतिनिधि भाग लेने पहुंचे हैं। कार्यक्रम में धन्यवाद भाषण डीन फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर डॉ. डीपी अबरोल ने पेश किया। खाद्य पदार्थो के लिए खतरा बन जाएगा जलवायु परिवर्तन : केएस रिसम

स्कास्ट के वाइस चांसलर डॉ. केएस रिसम ने कहा कि समय रहते जलवायु परिवर्तन की चुनौती से नहीं निपटा गया तो यह खाद्य पदार्थो के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा। मौसम में बदलाव से फसलों, पशुधन व जलजीवों पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। जमीनों की उपज कम हो रही है। फसलों की पैदावार में 20 से 30 फीसद गिरावट आई है। पर्यावरण में कार्बन डाईआक्साइड की बढ़ोतरी हो रही है। साइंस कांग्रेस में हम उन्हीं प्रयासों को खोजेंगे ताकि पर्यावरण को बचा सकें। पर्यावरण का संरक्षण करते हुए संतुलित विकास जरूरी : आनंद शर्मा

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भारतीय मौसम विभाग के उप महानिदेशक आनंद शर्मा ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण करते हुए संतुलित विकास करना होगा। हमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से खेती को बचाना होगा। किसानों को मौसम के अनुरूप खेती के लिए प्रेरित करना होगा। सिचाई के तरीके में बदलाव करना होगा। ड्रिप और स्िप्रकल सिचाई के जरिए पानी को बचाया जा सकता है। पराली को जलाने से ग्रीन हाउस गैस फैल रही है, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। देश की आबादी बढ़ रही है। इसके लिए अतिरिक्त अनाज की जरूरत पड़ेगी। साइंस कांग्रेस में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा होगी फिर रिपोर्ट बनेगी। बाद में उसे सरकार को सौंपा जाएगा।

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