आरएसएस के प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर सुचेत सिंह का निधन, दोपहर दो बजे होगा अंतिम संस्कार
शुक्रवार दोपहर बाद दो बजे शास्त्रीनगर श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।ब्रिगेडियर सुचेत सिंह को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत का काफी करीबी माना जाता था। पिछले साल जब मोहन भागवत जम्मू आए थे तो वह उनका हाल जानने भी गए थे।
जम्मू, जागरण संवाददाता : राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आरएसएस) के जम्मू कश्मीर के प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर सुचेत सिंह का वीरवार देर रात 10:15 बजे निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। ब्रिगेडियर सुचेत सिंह 79 वर्ष के थे।वह मूलत: जम्मू के सुचेतगढ़ के रहने वाले थे और वर्तमान में सैनिक कालोनी में रहते थे। शुक्रवार दोपहर बाद दो बजे शास्त्रीनगर श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।ब्रिगेडियर सुचेत सिंह को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत का काफी करीबी माना जाता था। पिछले साल जब मोहन भागवत जम्मू आए थे तो वह उनका हाल जानने भी गए थे।
नागपुर में जब भी महत्वपूर्ण बैठकें होती थीं तो ब्रिगेडियर सुचेत सिंह को भी वहां बुलाया जाता था। वह जम्मू कश्मीर में भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों का लगातार मार्गदर्शन करते रहे। वर्ष 2008 में हुए अमरनाथ भूमि आंदोलन मे भी उनका अहम योगदान रहा। अमरनाथ यात्रा व बूढ़ा अमरनाथ यात्रा मार्ग पर लगने वाले लंगरों के सुचारु संचालन में भी ब्रिगेडियर सुचेत सिंह ने अहम भूमिका निभाई। आरएसएस के प्रांत संघ चालक के निधन पर विभिन्न संगठनों ने शोक जताया। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्राथना की।
उपराज्यपाल ने जताया शोक : ब्रिगेडियर सुचेत सिंह के निधन पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह ऐसे राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित किया। जीवन भर मानव सेवा में जुटे रहे। उनके निधन से जो क्षति हुई है। उसकी पूर्ति संभव नहीं है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए उन्होंने परिवार को यह दुख सहने की शक्ति देने के लिए प्रार्थना की।
राष्ट्र उत्थान के लिए करते रहते थे प्रेरित : सनातन घर्म सभा की ओर से जारी शोक संदेश में सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम दधिचि ने कहा कि उनकी यादों को इस जीवन में समेटना संभव नहीं है। वह हमेशा काम करने और राष्ट्र के उत्थान में विश्वास करते थे। उनकी काम करने की लगन हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी। उनके जाने से समाज को जो क्षित हुई है। उसकी पूर्ति संभव नहीं है। वह बेशक शिशुकाल से स्वयंसेवक नहीं थे, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद आरएसएस से जुड़ कर उन्होंने जो कार्य किए। किसी भी स्वयंसेवक के लिए मार्ग दर्शन का कार्य करने वाले हैं।