किराया नहीं चुका पाने वाले श्रमिकों से खाली करवाए जा रहे कमरे

पेट की आग बुझाने के लिए दूसरों पर निर्भर हो गया श्रम-दाता

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 06:16 AM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 06:16 AM (IST)
किराया नहीं चुका पाने वाले श्रमिकों से खाली करवाए जा रहे कमरे
किराया नहीं चुका पाने वाले श्रमिकों से खाली करवाए जा रहे कमरे

जागरण संवाददाता, जम्मू: श्रमिक लोगों के लिए ऊंची-ऊंची इमारतें बनाते हैं, घर बनाते हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस बुरे वक्त में किराया नहीं चुका पाने से उनको बेघर किया जा रहा है। यह एक बड़ी वजह है कि तंगहाल श्रमिक अपने घर जाना चाहते हैं। घर जाने के लिए आए दिन रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाले श्रमिकों के जत्थे में शामिल ज्यादातर मजदूरों की यही कहानी होती है।

जब लॉकडाउन लगा तो एक महीना उन्होंने किसी तरह बिता लिया, लेकिन उसके बाद उनकी मुसीबतें बढ़ती गई। अब जबकि लॉकडाउन-4 में कुछ रियायतें भी मिली हैं और कई फैक्ट्रियां, बाजार भी खुल गए हैं, तब भी उनकी मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ज्यादातर श्रमिकों के पास अब राशन और पैसा पूरी तरह खत्म हो गया है। ऐसे में सरकार और स्वयंसेवी संगठनों की तरफ से मिलने वाले राशन से वे जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं। यही वजह है कि अब वे जल्द से जल्द अपने गांव लौट जाना चाहते हैं, क्योंकि अब उनके पास कमरे का किराया देने का भी पैसा नहीं है। ------------

लॉकडाउन में मकान मालिक ने दो माह तक कमरे का किराया माफ किया, लेकिन अब उसने मुझे साफ कह दिया है कि किराया दिए बिना उन्हें कमरा नहीं दिया जाएगा। ऐसे में अब मेरे पास परिवार संग घर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। पिछले कई दिनों से जम्मू रेलवे स्टेशन इस आस में चक्कर काटता रहा हूं कि छपरा, बिहार जाने के लिए कोई रेलगाड़ी मिल जाए, लेकिन रेलवे स्टेशन के अंदर प्रवेश ही नहीं करने दिया जा रहा है। सरकार को जल्द से जल्द बिहार और अन्य दूसरे राज्यों के श्रमिकों को भेजने के लिए ट्रेने चलानी चाहिए।

-प्रकाश कुमार, छपरा, बिहार ---

लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में परिवार का पोषण करने के लिए जो कुछ भी बचा कर रखा था, वह खर्च कर दिया। प्रशासन ने एक बार राशन दिया, उसके बाद पूछा तक नहीं। झुग्गी के आसपास रहने वाले कुछ लोग अब उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे पेट भरने के लिए राशन मिल जाता है। हम मजदूरों को हाथ फैलाना पसंद नहीं, लेकिन क्या करें मजबूर हैं। मैं अपने परिवार के साथ घर जाना चाहता हूं, लेकिन रेलगाड़ी कब चलेगी इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही।

-रामदयाल, दरभंगा, बिहार --

जब लॉकडाउन शुरू हो था तो उस समय सर्दी थी, मेरे खुद के और परिवार के गर्मियों के वस्त्र घर पर थे। हर वर्ष गर्मी में हम घर जाते थे, लेकिन इस बार नहीं जा पाए। ऐसे में अब हमारे पास गर्मी के मौसम में पहनने वाले कपड़े नहीं हैं। कोरोना वायरस के चलते उनकी जिंदगी थम गई है। अब तापमान लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में गर्मी के कपड़े नहीं होने से परिवार वालों को बेहद परेशानी हो रही है। कामधंधा है नहीं। पैसे भी खत्म हो गए हैं। इसलिए सरकार से अपील है कि वह उनको जल्द घर भेजने के लिए रेल यातायत को बहाल करे।

-कौसीराम, छतरपुर, मध्य प्रदेश

chat bot
आपका साथी