राज्यपाल फिर बोले, सामाजिक कायों के लिए दान नहीं करते अमीर लोग

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शनिवार को एक बार फिर दोहराया कि जम्मू कश्मीर सहित पूरे भारत में अमीर लोग सामाजिक व धार्मिक कायोंz के लिए दान नहीं करते।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 11:22 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jan 2019 11:22 AM (IST)
राज्यपाल फिर बोले, सामाजिक कायों के लिए दान नहीं करते अमीर लोग
राज्यपाल फिर बोले, सामाजिक कायों के लिए दान नहीं करते अमीर लोग

जम्मू, राज्य ब्यूरो I राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर दोहराया कि जम्मू कश्मीर सहित पूरे भारत में अमीर लोग सामाजिक व धार्मिक कायोंz के लिए दान नहीं करते। विदेशों में कई अमीर लोग अपनी कमाई का एक बहुत बड़ा भाग गरीबों की सहायता, सामाजिक व धार्मिक कायों के लिए खर्च कर देते हैं।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकांनद भी इस बात को मानते हैं। उन्होंने सभी से अपनी कमाई का कुछ अंशदान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यही स्वामी विवेकांनद जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राज्यपाल स्वामी विवेकांनद जी की जयंती पर स्वामी विवेकांनद अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में कोई ही ऐसा होगा जिसने स्वामी विवेकानंद के जीवन के बारे में पढ़ा होगा और उससे प्रेरित नहीं हुआ होगा। वे पूरी दुनिया में गए और हमारा मान बढ़ाया। उन्होंने भारत की सभ्यता के बारे में दुनिया को बताया। शिकागो में अपने भाषण से सभी को प्रभावित किया। वह कई देशों में गए। स्वामी विवेकांनद सिर्फ सन्यासी ही नहीं थे। उन्होंने कहा कि सन्यासी होना कोई ठगों का काम नहीं है, आराम नहीं जैसा कि आजकल बन गया है। उन्होंने कहा था कि जितने सन्यासी मठों में बैठे हैं, उन्हें गांवों में भेज दें ताकि वे वहां पर रहने वालों को प्रौढ़ शिक्षा दे सकें। उन्हें मुफ्त में खाना खाने का कोई अधिकार नहीं है। स्वामी विवेकानंद सन्यासी होने के बावजूद बहुत ही कर्मशील थे। पूरे दुनिया में घूमते थे। उन्होंने देश की आत्मा को समझा था।

एक बार संसद में आरिफ मुहम्मद खान ने कहा अगर विवेकानंद का दर्शन और धर्म हिंदू है तो मैं भी हिंदू होने को तैयार हूं। इस तरह से उन्होंने हिंदू धर्म की छवि बनाई थी। उन्होंने कहा कि इंसान जो है उसे बैसे ही जीना चाहिए। स्वामी जी जो पहनते थे, उसी को जीते थे। अगर गेरूआ पहनते थे तो उसकी मर्यादा को जीते थे। परंतु आज कल तो आधा दर्जन गेरुए बाले जेल में है। उनका जिक्र करते भी शर्म आती है। उन्होंने कहा कि अगर संघ में हो तो उसे जियो। अगर राजनीति में हैं तो उसे जियो।

मैं लिखा हुआ नहीं बोलता

राज्यपाल ने कहा कि वे पिछले कई दशकों से राजनीति में रहे हैं और अब एक ऐसे पद पर हैं जहां पर भाषण भी लिखा हुआ बोलना पड़ता है। लेकिन वह लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ते हैं। कई बार मैं किसी अन्य संदर्भ में बोलता हूं लेकिन कयों को यह बुरा लगता है। उन्होंने अस्पताल चलाने के लिए पूर्व रक्षा राज्यमंत्री प्रो. चमन लाल जी की भी प्रशंसा की।

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