आटोनामी की बहाली, पीएसए हटाने और अनुच्छेद 370 व 35ए संरक्षण के एजेंडे पर आगे बढ़ेगी नेशनल कांफ्रेंस

संसदीय चुनावों के दौरान कश्मीर घाटी में नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जहां भी चुनाव प्रचार करने गए वहां उन्होंने इसका जिक्र किया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 11:18 AM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 11:18 AM (IST)
आटोनामी की बहाली, पीएसए हटाने और अनुच्छेद 370 व 35ए संरक्षण के एजेंडे पर आगे बढ़ेगी नेशनल कांफ्रेंस
आटोनामी की बहाली, पीएसए हटाने और अनुच्छेद 370 व 35ए संरक्षण के एजेंडे पर आगे बढ़ेगी नेशनल कांफ्रेंस

जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में हुकुमत की कमान फिर से संभालने के लिए पूरी तरह बेकरार नेशनल कांफ्रेंस कश्मीर की तीनों संसदीय सीटों को जीतने के बाद पूरी तरह से विधानसभा चुनावों पर अपना ध्यान केंद्रित कर चुकी है। नेकां ने अपने मुद्दे भी तय कर लिए हैं और वह आटोनामी को बहाल करने और जन सुरक्षा अधिनियम को हटाने व अनुच्छेद 370 व 35ए के संरक्षण को लेकर ही आगे बढ़ने जा रही है। जमात ए इस्लामी पर पाबंदी को भी वह मुद्दा बनाने वाली है।

संसदीय चुनावों के नतीजे में नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीर घाटी की तीनों सीटें जीती हैं, जबकि जम्मू की दोनों सीट पर उसने कांग्रेस का समर्थन किया था। लेह की सीट पर नेकां ने कारगिल के मजहबी संगठनों की मदद से चुनाव लडऩे वाले निर्दलीय सज्जाद करगली के समर्थन का एलान किया था। कांग्रेस के दोनों उम्मीदवार और सज्जाद करगली चुनाव हार गए हैं, लेकिन यह तीनों सीटें नेकां के लिए ज्यादा अहम नहीं थी।

संसदीय चुनावों के दौरान कश्मीर घाटी में नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जहां भी चुनाव प्रचार करने गए, वहां उन्होंने संसदीय चुनावों का कम और विधानसभा चुनावों का ज्यादा जिक्र किया। उन्होंने कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी, सड़क, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे नहीं उठाए। उन्होंने अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35ए के संरक्षण की बात की और भाजपा को मुस्लिमों का खलनायक व पीडीपी को उसका एजेंट साबित कर वोटरों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया। नेकां को वोट भी किसी हद तक इन्हीं मुद्दों पर मिले हैं।

कश्मीर की सियासत के विशेषज्ञ रशीद राही ने कहा कि संसदीय चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस पूरी तरह से विधानसभा चुनावों की तैयारी करती नजर आई है। उन्होंने हर जगह और हर रैली में विधानसभा चुनावों की बात की और वही मुद्दे उठाए जिन्हें राज्य सरकार अपने स्तर पर आसानी से हल कर सकती है। जन सुरक्षा अधिनियम जिसे यहां आम भाषा में पीएसए कहा जाता है, को नेकां ने उठाया। इसके अलावा उन्होंने आटोनामी की बात करते हुए अनुच्छेद 35ए व अनुच्छेद 370 के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि इन पर आघात भाजपा व पीडीपी के कारण ही हो रहे हैं। इसलिए आप कह सकते हैं कि उसने संसदीय चुनावों को विधानसभा चुनावों से पहले की अपनी ड्रिल के तौर पर लिया है।

फारूक अब्दुल्ला ने भी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को लामबंद करते हुए कहा कि हमारे लिए इस राज्य का विशेष दर्जा बहुत अहम है। हम इसकी हिफाजत करेंगे, इसे किसी को भंग नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने तो एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह चाहे जितना भी ताकतवर हो जाएं पर अनुच्छेद 370 को नहीं तोड़ सकते।

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम विधानसभा चुनावों के लिए तैयार हैं, यहां लोग चाहते हैं कि जल्द एक चुनी हुई सरकार बने। आटोनामी हमारा सियासी एजेंडा है और हम इस रियासत की स्वायत्ता को कभी नहीं भुला सकते। रियासत में जो आज हालात बिगड़े हैं, उसके लिए कहीं न कहीं रियासत की स्वायत्तता को पहुंचाया गया नुकसान भी जिम्मेदार है। यह इस रियासत के हर आदमी का मुद्दा है, उसकी सियासी चाहतों से जुड़ा है। पीएसए को हम हटाएंगे, लेकिन यह तभी होगा जब हम यहां हुकुमत में होंगे। पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार की गलतियों को भी जनता के बीच उठाया जा रहा है।

नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि हम विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हमने अपने मुद्दे तय कर लिए हैं, बस उन्हें धार देने जा रहे हैं। 370, कश्मीर में आतंकी हिंसा, आटोनामी और जम्मू कश्मीर में बढ़ती आरएसएस की दखल अंदाजी इनमें अहम हैं। इन संसदीय चुनावों में पूरी तरह साफ हो गया है कि कश्मीर की जनता क्या चाहती है। हम अपने मुद्दों को किसी अन्य दल को हाईजैक नहीं करने देंगे।

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