रूप कृष्ण भट्ट की कश्मीरी साहित्य पर पुस्तक का विमोचन

इस पुस्तक में वर्ष 1990 तक के कश्मीरी साहित्य के बारे में जानकारी मिलती है, जो वहां पर आतंकवाद के बाद विस्थापन तक का है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Wed, 21 Mar 2018 01:14 PM (IST) Updated:Wed, 21 Mar 2018 01:14 PM (IST)
रूप कृष्ण भट्ट की कश्मीरी साहित्य पर पुस्तक का विमोचन
रूप कृष्ण भट्ट की कश्मीरी साहित्य पर पुस्तक का विमोचन

जम्मू, जागरण संवाददाता। कश्मीरी साहित्य में सांप्रदायिक सौहार्द पर रूप कृष्ण भट्ट की पुस्तक का मंगलवार को विमोचन हुआ। जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के केएल सहगल में इस पुस्तक का विमोचन अकादमी के सचिव अजीज हाजनी ने किया, जो मुख्यअतिथि थे।

रूप कृष्ण भट्ट सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्विज में प्रोफेसर रह चुके हैं और वह मानव संसाधन विभाग में डायरेक्टर के पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं। 'कॉमन हारमनी इन कश्मीरी लिट्रेचर' नाम से उनकी पुस्तक में कश्मीरी साहित्य में सांप्रदायिक सौहार्द को दर्शाया गया है, जिसमें उन्होंने कश्मीरी भाषा के अलावा वहां की संस्कृति विरासत, रहस्यवादी एवं सूफी कविताओं के साथ आधुनिक कविता व कहानियों के बारे में बात रखी है।

इस पुस्तक में वर्ष 1990 तक के कश्मीरी साहित्य के बारे में जानकारी मिलती है, जो वहां पर आतंकवाद के बाद विस्थापन तक का है। वहीं, पुस्तक के विमोचन के बाद अकादमी के सचिव अजीज हाजिन ने कहा कि कश्मीरी कवियों ने सांप्रदायिक सौहार्द को लेकर कविताओं की रचनाएं लिखी हैं। वहीं, रूप कृष्ण भट्ट का कहना है कश्मीर का इतिहास रहा है कि वहां पर मुस्लिम कवियों ने भी भक्ति गीतों की रचना है, जबकि हिंदू कवियों ने सूफियाना गीत गाए हैं। उनकी इस पुस्तक में हिंदू व मुस्लिम साहित्यकारों के सांप्रदायिक सौहार्द देखने को मिल रही है। 

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