जम्मू संभाग के सभी जिलों में खुुुुलेगी जन औषधि स्टोर
राज्य में जेनेरिक दवाईयों को मरीजों तक आसानी से पहुंचाने के लिए जन औषधि योजना को एक बार फिर से लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्य में जेनेरिक दवाईयों को मरीजों तक आसानी से पहुंचाने के लिए जन औषधि योजना को एक बार फिर से लागू करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। रेडक्रॉस सोसायटी जम्मू संभाग के सभी जिलों में स्टोर खोलने की योजना बना रहा है।
मेडिकल कॉलेज के बाहर उसने दो स्टोर को फिर से खोल कर इसकी शुरुआत कर दी है। इस समय राज्य में दो स्तर पर जन औषधि की दुकानें खोली जा रही हैं। एक निजी स्तर पर प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत लाइसेंस हासिल करने वाले लोग दवाईयों की यह दुकानें खोल रहे हैं। दूसरी ओर रेडक्रॉस अपने स्तर पर यह दुकानें खोल रहा है।
राज्य में कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने जन औषधि योजना के तहत दवा की दुकानें खोलने का जिम्मा रेडक्रॉस को दिया था। रेडक्रॉस ने राज्य के कई हिस्सों में दुकानें खोली भी थीं। इनमें मेडिकल कॉलेज व एसएमजीएस अस्पताल भी शामिल हैं। इन दुकानों में दवाएं सस्ती होने के बावजूद यह दुकानें मरीजों का विश्वास जीतने में पूरी तरह नाकाम रही थी। इन दुकानों में पर्याप्त दवा न मिलना भी एक कारण था। राज्य के सभी प्रमुख स्थानों पर खुली दुकानों में 60 से 70 दवाएं ही उपलब्ध थीं।
यही नहीं इनमें अधिकतर जेनेरिक दवा थी, जबकि अधिकांश अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड दवाईयां लिखकर देते हैं। इस कारण भी इन दुकानों में मरीज नहीं पहुंचे थे। फिर इस योजना को लागू करने का जिम्मा ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया को सौंपा गया। योजना का नाम प्रधानमंत्री जन औषधि रखा गया। कई लोगों को इसके लिए लाइसेंस भी दिए गए। मगर कुछ लोगों ने ही दुकानें खोलीं।
जम्मू शहर में भी निजी स्तर पर चार से पांच दुकानें ही हैं। अब रेडक्रॉस फिर से जिला स्तर पर दुकानें खोलने जा रहा है।रेडक्रॉस के ऑनरेरी सेक्रेटरी दिनेश गुप्ता का कहना है कि उनका प्रयास है कि हर जिले में कम से कम एक जन औषधि स्टोर हो और इसमें सभी दवाईयां उपलब्ध हों। उनका कहना है कि जम्मू के सभी अस्पतालों में भी यह दुकानें खोलने की कोशिश है। जेनेरिक दवाईयां बहुत सस्ती हैं और आम आदमी की पहुंच में हैं।
कम नहीं हैं चुनौतियां
जन औषधि प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए अभी बहुत चुनौतियां हैं। इन दुकानों में सिर्फ जेनेरिक दवा ही मिलेगी, लेकिन अभी राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पतालों और निजी क्लीनिकों में ब्रांडेड दवा ही लिखी जाती हैं। राज्य सरकार ने कई बार जेनेरिक दवाईयां लिखने के निर्देश तो जारी किए, लेकिन इनमें कभी भी गंभीरता नजर नहीं आई।