जम्मू कश्मीर के 102 गांवों को अंधेरे से आजादी का इंतजार

राहुल शर्मा, जम्मू यदि पांच मिनट के लिए बिजली गुल हो जाए तो हम तिलमिलाने लगते हैं। लगता है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Jul 2018 09:54 PM (IST) Updated:Thu, 05 Jul 2018 09:54 PM (IST)
जम्मू कश्मीर के 102 गांवों को अंधेरे से आजादी का इंतजार
जम्मू कश्मीर के 102 गांवों को अंधेरे से आजादी का इंतजार

राहुल शर्मा, जम्मू

यदि पांच मिनट के लिए बिजली गुल हो जाए तो हम तिलमिलाने लगते हैं। लगता है जैसे जीवन ही अंधकार में चला गया है। आधुनिकता के इस युग में भी सौ से अधिक गांव अंधेरे में हैं। दावा किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर में कोई घर ऐसा नहीं है जो बिजली की रोशनी से महरूम हो परंतु हकीकत कुछ और ही है।

विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए। सैकड़ों गांवों में बिजली पहुंची, लेकिन 102 गांव अब भी रोशन नहीं हुए। यहां बच्चे दीये की रोशनी में पढ़ाई कर रहे हैं। दीन दयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना के अधीन इन गांवों को जून 30 तक रोशन करने का लक्ष्य था। प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्या' के तहत राज्य सरकार ने भी जनवरी में पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) और जम्मू-कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेकेएसपीडीसी) को 102 गांवों को रोशन करने की जिम्मेदारी सौंपी।

दुर्गम पहाड़ी गांवों में जहां वाहनों का पहुंचना मुश्किल था, ऐसे 54 गांवों को ऑफ ग्रिड यानी सौर ऊर्जा से रोशन करने का निर्णय लिया गया। यह जिम्मेदारी जेकेएसपीडीसी को सौंपी गई। वहीं ग्रिड मोड़ में 48 गांवों को शामिल किया गया। इसका दायित्व पीडीडी को सौंपा गया। पूर्व भाजपा-पीडीपी सरकार ने 28 मार्च को ही इन गांवों को रोशन करने का दावा कर दिया। यह दावा इस आधार पर था कि योजना के तहत यदि बिजली रहित गांव की 10 प्रतिशत आबादी तक भी बिजली पहुंच जाती है तो उस गांव को रोशन माना जाएगा।

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राजौरी के नारला भंबल, कोटचलवाल में पहुंची बिजली

राजौरी जिला में अब कोई भी गांव बिना बिजली के नहीं रह गया है। जिले में नारला, भंबल और कोटचलवाल ही ऐसे तीन गांव थे, जो बिजली रहित थे। गांव में योजना 'सौभाग्या' के तहत बिजली पहुंची है। क्षेत्र में बिजली न पहुंचने का सबसे बड़ा कारण संपर्क मार्ग का न होना रहा है। गांव को सड़क से जोड़ने के साथ ही विकास ने गति पकड़ ली। अब पूरे क्षेत्र को रोशन कर दिया गया है। बिजली विभाग ने लाइन बिछाने के साथ-साथ तीन ट्रांसफार्मर भी लगाए है। ग्रामीण अपने घरों में बिजली की फि¨टग का कार्य कर रहे हैं। गांव निवासी जगदेव ¨सह, अब्दुल रहमान व मुहम्मद शकील का कहना है कि देश को आजाद हुए सात दशक बीत गए परंतु उनका गांव अंधेरे में था। क्षेत्र के किसी भी घर में टीवी नहीं था। लोग मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए भी दूसरे क्षेत्रों में जाते थे। अब नारला भंबल पंचायत के नौ वार्ड बिजली से रोशन हो गए हैं। उन्होंने कहा कि तत्कालीन उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी के प्रयासों से यह संभव हो पाया।

जल्द रोशन होंगे 676 घर

केरी खब्बास, गुंदा खब्बास, बेला खब्बास, नारला भंबल व देरी की 30 बस्तियों में 676 परिवार रहे हैं। इन घरों को रोशन करने के लिए तार बिछाने के साथ ट्रांसफार्मर लगाने का कार्य शुरू किया जा रहा है। तत्कालीन डीसी शाहिद इकबाल ने आदिवासी योजना के तहत इन क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने के लिए 4.14 करोड़ रुपये मंजूर किए। अब कार्य तेजी से चल रहा है। अभी तक 16 किलोमीटर से अधिक तार बिछा दी गई है। इसके अलावा 63केवीए के सात ट्रांसफार्मर व 25 केवीए के 9 ट्रांसफार्मर भी लगाए जा रहे हैं। यह कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। सौर ऊर्जा से रोशन

किए जा रहे गांव

किश्तवाड़ : नौगाम, चंझर, देरी, हंजल, नोपाची, पथगाम, कदरना, रैनी, टिल्लर, येरदू, देहरना, अफती, बरयान, बुसमिना, चोए दरमान, गुमरी, इनसान, मारगी, मुलवरमान, मुंगली, रेकनवास, सुखनाई, टुन, लोसेन, हंगू

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बांडीपोरा : अब्दुल्ला, फारेस्ट ब्लाक, गुंडगुल शेख, किलशीपांई, मलनगाम, मंजगुंड, सारादब

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कुपवाड़ा : ¨मडियां, पतरीन, चुंती वारी, पुछवारी

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लेह (लद्दाख) : ¨लगशेत, योलचूंग, शि¨लगसुंमदा, स्कूमरखा, डिग्गर, कुंदरढोक, लारग्याब, वारिसफिसदन, समद रखचन, तारहिपती

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कारगिल : बटांबिस, चाहइच्छर, करगयाक, टेस्टा, इकचू, उंबाद, टनगोल

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ग्रिड से जोड़े जा रहे गांव

बांडीपोरा : चनदाजी, रंगीनपोरा, शमथान, कुदारा

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रामबन : कालीमस्ता

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रियासी : नंदकोट, मामन कोट, लारह, दीवाल, गुलाबगढ़, बरनसाल, कोरह, शहदूल, दनरोह, दाकीकोट, परनकोट, नारकोट, कनोताह

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राजौरी : कोटचलवाल, भंबल, नारला

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कुपवाड़ा : जुमागुंड, चक्की कालीलोन, अथराटू, परनई, घसला, बिजीदराह, फारेस्ट ब्लाक, किथर, चीचा डच्चन, पलाई, चछोटी, मचैल, घार पाडर, कबन, ओंगई, मुथल, चुग, बटवास, इश्ताहरी, तयारी, चिट्टो, हामोरी, किदरू।

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