Jammu Kashmir: ऑक्सीजन प्लांट है नहीं, जीएमसी राजौरी में मरीजों को ऑक्सीजन देने में कंजूसी, धूल फांक रहे वेंटीलेटर

ऑक्सीजन की कमी के कारण इसका उपयोग काफी कंजूसी से करना पड़ता है। थोड़ी-थोड़ी ऑक्सीजन सभी के लिए बचाकर चलानी पड़ती है ताकि सभी की सांसें चलती रहें।तीन वेंटीलेटर मिले थे दान में मेडिकल कॉलेज राजौरी को कोरोना काल में तीन वेंटीलेटर स्थानीय लोगों ने मिलकर दान किए थे।

By Edited By: Publish:Sat, 03 Oct 2020 07:45 AM (IST) Updated:Sat, 03 Oct 2020 12:50 PM (IST)
Jammu Kashmir: ऑक्सीजन प्लांट है नहीं, जीएमसी राजौरी में मरीजों को ऑक्सीजन देने में कंजूसी, धूल फांक रहे वेंटीलेटर
कोरोना महामारी में गंभीर पीड़ित मरीजों के लिए सबसे जरूरी चिकित्सा उपकरण वेंटीलेटर ही है।

राजौरी, गगन कोहली: राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल राजौरी..। यहां 38 वेंटीलेटर हैं। इनका होना, न होने के बराबर हैं। क्यों? क्योंकि इनमें से सिर्फ चार ही इस्तेमाल होते हैं। बाकी 34 तो धूल फांक रहे हैं। धूल इसलिए फांक रहे हैं क्योंकि इन्हें चलाने के लिए ऑक्सीजन ही नहीं है। यहां ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। यह अभी फाइलों में है। इसलिए मरीजों को सांस देने के लिए ऑक्सीजन के सिलेंडर सांबा जिले से ढोये जा रहे हैं। वह भी निजी ऑक्सीजन प्लांट से। अगर ऑक्सीजन प्लांट होता तो सभी वेंटीलेटर काम आते।

कोरोना महामारी में गंभीर पीड़ित मरीजों के लिए सबसे जरूरी चिकित्सा उपकरण वेंटीलेटर ही है। वेंटीलेटर के लिए मारामारी रहती है, लेकिन जम्मू कश्मीर के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग की अव्यवस्था तो देखिये 34 वेंटीलेटर ऐसे ही पड़े हैं। वह भी राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हैं। यह चौंकाने वाली जानकारी है। अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए विशेष वार्ड बनाया गया है। इसमें करीब तीस कोरोना मरीज भर्ती हैं। यहां भर्ती गंभीर मरीजों में से कुछ को ही ऑक्सीजन मिल पाती है, वह भी लगातार पूरी मात्रा में नहीं। यहां चारों वेंटीलेटर सिलेंडरों पर निर्भर रहते हैं। खाली होने पर सिलेंडर सांबा के बड़ी ब्राह्मणा भेजे जाते हैं। खपत 40 और मिलते हैं आधे ही मेडिकल कॉलेज राजौरी के पास 137 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं।

अस्पताल में 35 से 40 सिलेंडरों की प्रतिदिन खपत है। खाली सिलेंडरों को भरने के लिए सांबा जिले के बड़ी ब्राह्मणा स्थित निजी ऑक्सीजन प्लांट में भेजा जाता है। यहां कितने सिलेंडर भरे मिलेंगे, इसका पहले से कोई पता नहीं होता है। इसलिए किसी दिन 30 तो किसी दिन 20 तो कभी 15 सिलेंडर ही भरे मिल पाते हैं। ऐसे में अस्पताल में हमेशा ऑक्सीजन की कमी रहती है। एक सिलेंडर तीन घंटे के लिए ऑक्सीजन से भरा एक सिलेंडर तीन घंटे तक ही वेंटीलेटर के लिए काम आ सकता है। इसके बाद इसे बदलना पड़ता है। कोरोना वार्ड में नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि अगर ऑक्सीजन प्लांट हो तो सभी वेंटीलेटर चला सकते हैं।

फिलहाल, ऑक्सीजन सिलेंडर से जोड़कर गंभीर मरीजों को वेंटीलेटर की सुविधा दी जा रही है। कुछ मरीजों को सिलेंडर से ही ऑक्सीजन दी जा रही है। ऑक्सीजन की कमी के कारण इसका उपयोग काफी कंजूसी से करना पड़ता है। थोड़ी-थोड़ी ऑक्सीजन सभी के लिए बचाकर चलानी पड़ती है ताकि सभी की सांसें चलती रहें और इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन बचाई जा सके। तीन वेंटीलेटर मिले थे दान में मेडिकल कॉलेज राजौरी को कोरोना काल में तीन वेंटीलेटर स्थानीय लोगों ने मिलकर दान किए थे। कुछ को स्वास्थ्य विभाग ने लाखों रुपये खर्च करके भेजे, लेकिन इनका कोई भी उपयोग नहीं हो रहा है।

33 लोगों की जा चुकी है जान : राजौरी जिले में कोरोना से अभी तक 33 लोगों की जान जा चुकी है। अगर ऑक्सीजन प्लांट होता और सभी वेंटीलेटर चलते तो संभव है कुछ मरीजों की जान बच जाती। ऑक्सीजन प्लांट के लिए अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। ऑक्सीजन प्लांट तैयार होते ही सभी वेंटीलेटर का इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा। - डॉ. कुलदीप सिंह, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज राजौरी

chat bot
आपका साथी