Coronavirus Effect: परीक्षाएं रद होना भविष्य के लिए ठीक नहीं मगर सुरक्षा के लिए सही भी

Coronavirus Effect in Jammu Kashmir जम्मू विश्वविद्यालय में साईकोलाजी विभाग के प्रो. चंद्र शेखर का कहना है कि दसवीं कक्षा की परीक्षाएं रद होने और बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं स्थगित होने से कुछ विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को निराशा होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:52 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 07:52 AM (IST)
Coronavirus Effect: परीक्षाएं रद होना भविष्य के लिए ठीक नहीं मगर सुरक्षा के लिए सही भी
जम्मू कश्मीर बोर्ड परीक्षा करवा तो फिर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी परीक्षाएं करवा देनी चाहिए थी।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की परीक्षाएं रद होने को विद्यार्थी इसे अपने भविष्य के लेकर सही नहीं मान रहे है। साथ में अंकों को लेकर चिंतित भी हैं। केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए दसवीं कक्षा की परीक्षा को रद और बारहवीं की परीक्षा को स्थगित कर दिया है। बच्चों के अभिभावक सुरक्षा के लिए लिहाज से इस फैसले को सही तो मान रहे है मगर एक साल तक बच्चों की मेहनत पर पानी फिर जाने से दुखी भी हैं।

बता दें कि जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजूकेशन की दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं इस समय आफ लाइन चल रही है। इन दोनों परीक्षाओं में करीब एक लाख विद्यार्थी बैठ रहे है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या जम्मू कश्मीर में कम हैं। जम्मू कश्मीर में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं के करीब पंद्रह हजार और बारहवीं के दस हजार विद्यार्थी है जो इस समय तैयारियों में जुटे हुए थे। परीक्षाओं को लेकर फैसले होने से उनकी तैयारियों बीच में रह गई है। साथ में मनोबल भी गिरा है।

दसवीं कक्षा के विद्यार्थी वैभव का कहना है कि कोरोना को देखते हुए फैसला तो सही है परंतु अंकों को लेकर चिंता तो रहेगी। हम तो एक साल से तैयारी कर रहे थे। परीक्षाएं हो जाती तो अच्छा होता। दसवीं कक्षा की जोया मानती है कि जिंदगी से उपर कोई नहीं है लेकिन सरकार परीक्षा केंद्रों की संख्या को दोगुना करके शारीरिक दूरी को सुनिश्चित बनाकर भी परीक्षाएं करवा सकती है। हमें तो अब सरकार को फैसला मानना ही है क्योंकि हमारी सुरक्षा के लिए किया गया है।

मनजोत कौर का कहना है कि हमारी तो सारी तैयारी धरी की धरी ही रह गई। हमारी चिंता यह भी है कि क्या हमें उतने अंक मिल जाएंगे जिसकी हमने तैयारी की थी। असमंजस जैसे हालात है। फैसला सही भी है और नहीं भी। अगर जम्मू कश्मीर बोर्ड परीक्षा करवा तो फिर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भी परीक्षाएं करवा देनी चाहिए थी।

जम्मू विश्वविद्यालय में साईकोलाजी विभाग के प्रो. चंद्र शेखर का कहना है कि दसवीं कक्षा की परीक्षाएं रद होने और बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं स्थगित होने से कुछ विद्यार्थियों को निराशा होगी। जो परीक्षाओं में मेरिट हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे थे, वे तो काफी निराश हुए है। शिक्षा की गुणवत्ता पर इसका सीधा असर पड़ेगा। सरकार को भविष्य के लिए महामारी के काल में कुछ कठोर फैसले करने पड़ रहे है ताकि बच्चे सुरक्षित रहें। मनाेवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिल सकते है मगर विद्यार्थियों को निराश नहीं होना चाहिए। जिंदगी सुरक्षित है तो सबका बेहतर ही होगा।

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