जम्मू-कश्मीर को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थानों को सशक्त-सुदृढ़ बनाया जाएगा

यह व्यवस्था प्रशासन और विकास में लोगों की भागेदारी बढ़ाने के साथ साथ सरकार और जनता के बीच दूरी का पाटने वालेएक पुल का भी काम करती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 05:57 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 05:57 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थानों को सशक्त-सुदृढ़ बनाया जाएगा
जम्मू-कश्मीर को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थानों को सशक्त-सुदृढ़ बनाया जाएगा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। उपराज्यपाल जीसी मुर्मु ने बुधवार को कहा कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त एक कर्मठ और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को सुनिश्चित बनाने के लिए आने वाले दिनों पंचायती राज संस्थानों को पूरी तरह सशक्त-सुदृढ़ बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा प्रदेश की निर्णायक और विकासात्मक प्रक्रिया में आम जनता की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए तीन स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था को प्रभावी होना अनिवार्य है।

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 का एक वर्ष पूरा होने के मौके पर एक बातचीत में उपराज्यपाल जीसी मुर्मु ने कहा कि बीते एक साल में केंद्र शासित जम्मूकश्मीर में आमजन को सशक्त बनाने और उसके कल्याण से जुढ़े कई उपाय लागू किए गए हैं। आम जनता भी इनके असर को महसूस करने का दावा करती है। अब हमारा अगला लक्ष्य पंचायती राज व्यवस्था काे प्रभावी रुप से लागू करना है। हम जल्द ही इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे। जम्मू कश्मीर में पंचायत राज व्यवस्था काे पूरी तरह सशक्त और प्रभावी बनाना ही हमारा सबसे बड़ा सपनाहै। हम इस सपने को वास्तविकता में बदलकर ही रहेंगे।

उन्हाेंने कहा कि जिला प्रधान, ब्लाक प्रधान और ग्राम स्तर पर पंच व सरंपच पर आधारित तीन स्तरीय पंचायत राज व्यवस्था केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में एक नया राजनीतिक-प्रशासकीय ढांचा उपलब्ध कराने में पूरी तरह समर्थ है। यह जम्मू कश्मीर में शांति को बहाल करते हुए विकास व सुशासन को सुनिश्चित बनाने वाला एक वैकल्पिक मॉडल है। यह लोगों में अपनेपन की भावना को मजबूत बनाने के साथ ही आमजन को उसके अपने क्षेत्र का भाग्यविधाता बनाती है। यह व्यवस्था प्रशासन और विकास में लोगों की भागेदारी बढ़ाने के साथ साथ सरकार और जनता के बीच दूरी का पाटने वालेएक पुल का भी काम करती है।

उन्हाेंने बताया कि ब्लाक विकास परिषदों के चेयरमैन अपने अपने क्षेत्र में विकास कार्यां की प्राथमिकता तय कर, उन्हें अमली जामा पहना सकें,इसलिए 25 लाख रुपये की ब्लाक विकास निधि का गठन किया गया है।इसके अलावा अगर किसी आतंकी हिंसा में पंचायत या नगर निकायों के प्रतिनिधियों की माैत हाेती है तो उनके परिजनों के लिए 25 लाख रुपये का बीमा भी सुनिश्चित किया गया है।उपराज्यपाल ने कहा कि इससे निर्वाचित पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों में सुरक्षा की भावना पैदा हुई है और वह आतंकियों की धमकियों के बावजूद अपने काम को बखूबी पूरा करते हुए लोकतंत्र को मजबूत बना रहे हैं।

यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि बीते साल 19 दिसंबर को प्रदेश प्रशासन ने प्रत्येक ब्लाक विकास परिषद चेयरमैन के लिए मासिक मानदेय और भत्तों के तौर पर 15 हजार रुपये की राशि का एलान किया है। इसमें 13 हजार रुपये मासिक मानदेय है, डेढ़हजार रुपय यात्रा भत्ता और पांच सौ रुपये टेलीफोन व मोबाईल फोन खर्च के हैं। इसके अलाव सरपंचों का मानदेय भी अढ़ाईहजार रुपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपये महीना किया गया है। इसके अलावा उनकी प्रतिष्ठा व सम्मान को सरंक्षित बनाए रखने के लिए बीते माह ही प्रदेश प्रशासन ने वारंट ऑफ प्रेसिडेंसी में संशोधन कर बीडीसी चेयरमैन को सेना के एक ब्रिगेडियर के समकक्षदर्जा प्रदान कियाहै। 

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