हुर्रियत में अपना मोहरा फिट करने के लिए पाक समर्थकों ने चला एकीकरण का दांव

हुर्रियत से जुड़े रहे एक पुराने अलगाववादी नेता ने कहा गिलानी की उपेक्षा आसानी से नहीं की जा सकती लेकिन पाकिस्तान हर हाल में अपना मोहरा ही फिट करना चाहेगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 12:03 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 12:03 PM (IST)
हुर्रियत में अपना मोहरा फिट करने के लिए पाक समर्थकों ने चला एकीकरण का दांव
हुर्रियत में अपना मोहरा फिट करने के लिए पाक समर्थकों ने चला एकीकरण का दांव

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के हुर्रियत कान्फ्रेंस से किनारे के बाद अब अलगाववादी सियासत में बड़े उलटफेर के संकेत हैं। एक ओर गिलानी के उत्तराधिकारी के लिए जोड़-तोड़ चल रही है। इस्तीफे के साथ गिलानी ने कश्मीर में पाकिस्तान के जहरीले इरादों की भी पोल खोलकर रख दी है। उससे कई नेता दबाव में हैं। पाकिस्तान हर स्थिति में हुर्रियत में अपना मोहरा फिट करने में जुटा है। इसे सिरे चढ़ाने के लिए उसके समर्थकों ने हुर्रियत के एकीकरण का दांव खेला है। चर्चा है कि उदारवादी हुर्रियत के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक भी जल्द इस्तीफा दे सकते हैं।

इस बीच, सईद अली शाह गिलानी अभी भी अपने बेटे और अन्य किसी समर्थक के नाम पर सहमति बनाने की मुहिम में जुटे हैं। शायद यही सोचकर गिलानी ने अलगाववादी सियासत में बने रहने का संकेत देते हुए स्पष्ट किया है कि उन्होंंने हुर्रियत से नाता तोड़ा है, अपने एजेंडेे से नहीं।

अलगाववादी सियासत में गिलानी का ही प्रभाव ही है कि अभी भी उनके पुत्र नईम गिलानी हुर्रियत चेयरमैन की दौड़ में बने हुए हैं। हालांकि इस पर हुर्रियत में सहमति बनाना उनके लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में मोहम्मद अशरफ सहराई, डा. कासिम फख्तू या मसरत आलम को कट्टरपंथी हुर्रियत का चेयरमैन बनाए जाने के भी कयास लग रहे हैं। कासिम फख्तू आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने के कारण आजीवन कारावास काट रहा है और मसरत आलम भी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के कारण जेल में है। ऐसे मे मोहम्मद अशरफ सहराई को चेयरमैन बनाया जा सकता है। अशरफ सहराई का पुत्र जुनैद सहराई हिजबुल आतंकी था और पिछले माह श्रीनगर में सुरक्षाबलों के हाथों मारा गया।

गिलानी के इस्तीफे के बाद हुर्रियत कान्फ्रेंस के उदारवादी गुट में भी बदलाव की चर्चा है। कहा जा रहा है कि मीरवाइज पर भी इस्तीफे का दबाव है और दोनों गुटों को एक बैनर तले लाने के बाद उन्हें चेयरमैन बनाया जा सकता है। लेकिन मीरवाइज व उनके कुछ साथी गिलानी गुट के नेताओं के साथ बैठने को राजी नहीं है।

इस बीच, हुर्रियत से जुड़े रहे एक पुराने अलगाववादी नेता ने कहा गिलानी की उपेक्षा आसानी से नहीं की जा सकती, लेकिन पाकिस्तान हर हाल में अपना मोहरा ही फिट करना चाहेगा। पाकिस्तान की नीतियों से असहमत नेताओं को जल्द किनारे किया जा सकता है।

इस बीच, कट्टरपंथी सईद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत से अलग होने के बाद मीडिया में हुई हलचल का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग इसे मेरे खिलाफ एक दुष्प्रचार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हें। लेकिन मैं एक बात साफ कर देता हूं कि मैं सिर्फ हुर्रियत से अलग हुआ हूं, कश्मीर में रायशुमारी की तरहीक से नहीं।

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