25 दिन बीते, डाक्टर नहीं निकाल पाए पांच छर्रे

22 मई को पाक गोलाबारी में गंभीर रूप से घायल हो गया था केसो मन्हासा का पूर्व सैनिक पाक गोलीब

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jun 2018 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jun 2018 07:07 PM (IST)
25 दिन बीते, डाक्टर नहीं निकाल पाए पांच छर्रे
25 दिन बीते, डाक्टर नहीं निकाल पाए पांच छर्रे

22 मई को पाक गोलाबारी में गंभीर रूप से घायल हो गया था केसो मन्हासा का पूर्व सैनिक

पाक गोलीबारी में घायलों के बेहतर उपचार के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं

परिजन बोले, कहां गए स्वास्थ्य मंत्री, सांसदों के बेहतर उपचार के दावे

संवाद सहयोगी, विजयपुर : 22 मई को पाकिस्तान द्वारा सीजफायर का उल्लंघन कर रिहायशी इलाकों को निशाना बनाकर गोलीबारी की गई थी। इसमें गंभीर रूप से घायल हुए सीमावर्ती गांव केसो मन्हासा के निवासी एवं पूर्व सैनिक विकास कुमार पुत्र स्व. करतार चंद के शरीर में लगे मोर्टार के छर्रे न निकालने से उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। लगभग 15 दिन तक अमृतसर के एक नामी अस्पताल में भर्ती रहे विकास कुमार के शरीर में लगे छर्रे को निकाले बिना ही अस्पताल प्रबंधन ने छुट्टी दे दी। विकास के छोटे भाई साहिल ने बताया कि विकास को उस दिन पहले सीएचसी रामगढ़ पहुंचाया गया फिर जीएमसी रैफर कर दिया गया पर डॉक्टरों ने छर्रे निकालने के लिए ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया। परिजन ईसीएचएस के माध्यम से से 23 मई को विकास को अमृतसर के नामी अस्पताल में ले गए और उपचार करवाया पर वहां भी डाक्टरों ने विकास के शरीर से छर्रे नहीं निकाले। पांच दिन पूर्व अस्पताल प्रबंधन ने विकास को छुट्टी दे दी और हफ्ते-हफ्ते बाद जांच करवाने को कहा। अब परिजन घायल को किसी और बड़े अस्पताल में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। साहिल सहित परिवार के अन्य सदस्यों ने कहा कि जनप्रतिनिधि, सांसद, स्वास्थ्य मंत्री ने घायलों को सरकार की तरफ से हर संभव सहायता मुहैया करवाने व राज्य से बाहर भी बेहतर उपचार करवाने के लिए भेजने के दावे किए थे पर हुआ कुछ नहीं। सरकार घायलों की कोई सुध नहीं ले रही और परिजन घायलों का इलाज करवाने के लिए दरबदर हो रहे हैं। क्या घायलों को बेहतर उपचार के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं। सामाजिक कार्यकर्ता अविनाश चौधरी, परमवीर ¨सह ने केंद्र व राज्य सरकार का ध्यान इस ओर दिलाते हुए गोलीबारी में गंभीर रूप से घायलों को बेहतर उपचार हेतु राज्य से बाहर बड़े अस्पतालों में भेजना चाहिए और घायलों व उनके परिजनों की सुध लेनी चाहिए पर ऐसा नहीं हुआ। परिजन घायलों का इलाज अपने खर्चे पर राज्य से बाहर बड़े निजी अस्पतालों में करवाने को मजबूर हैं।

वहीं गोलीबारी में हुए लोगों के परिजन सरकार से खफा हैं क्योंकि सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली और न ही सरकार ने घायलों की सुध ली।

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