शनिवार को है पद्म एकादशी व्रत एवं श्रीवामन जयंती, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व!

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 26 Aug 2020 05:00 PM (IST) Updated:Wed, 26 Aug 2020 05:00 PM (IST)
शनिवार को है पद्म एकादशी व्रत एवं श्रीवामन जयंती, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व!
शनिवार को है पद्म एकादशी व्रत एवं श्रीवामन जयंती, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व!

जम्मू, जागरण संवाददाता : भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पद्मा एकादशी का व्रत 29 अगस्त शनिवार को है। पद्मा एकादशी को परिवर्तनी एकादशी भी कहते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार चातुर्मास के शयन के बाद भगवान विष्णु भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु जी विश्राम के दौरान करवट बदलते हैं। इसलिए इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं।

एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ, जप, तप, तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभ फल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलन को कैसे बनाए रखना है। सिखाता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन, स्नान एवं दान करें।

एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास, मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है।इस दिन ब्राह्मणों एवं जरूरतमंद लोगों को फल, वस्त्र, मिष्ठानादि दक्षिणा आदि यथाशक्ति दान करें। इस दिन श्रीगणेश जी, श्री लक्ष्मीनारायण तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है। श्री लक्ष्मी नारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने। एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है। इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी बहुत महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है। शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है। उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। पद्मा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के श्रीवामन स्वरूप का पूजन होगा। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीवामन जी की जयंती भी है। जिन लोगों को संतान सुख या धन की प्राप्ति करनी हो। उनके लिए इस एकादशी का व्रत अत्यंत कल्याणकारी है।

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