J&K: ओजीडब्ल्यू ने रतनूचक मिलिट्री स्टेशन के फोटो व वीडियो आइएसआइ को भेजे
जम्मू के मीरां साहिब में ज्वाइंट इंटेरोगेशन सेंटर में इन ओवरग्राउंड वर्करों से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पहले और कौन से सैन्य क्षेत्रों की जानकारी पाकिस्तान में भेजी है
जम्मू, विवेक सिंह। जम्मू में आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्करों ने रतनूचक मिलिट्री स्टेशन के पास पकड़े जाने से पहले मोबाइल फोन से इस सैन्य क्षेत्र की जीपीएस लोकेशन सीमा पार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भेज दी थी। सेना ने हाई अलर्ट करने के साथ सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा को उच्चतम स्तर तक पुख्ता कर दिया है।
आइएसआइ को खुफिया जानकारियां भेजने वाले इन ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) का मिशन सैन्य क्षेत्र के बारे में सटीक जानकारी देना था, ताकि इसके आधार पर बाद में आतंकी कार्रवाई करें। ओवरग्राउंड वर्कर डोडा के नदीम अख्तर और कठुआ के मल्हार इलाके के मुश्ताक अहमद ने मंगलवार की दोपहर अपने मोबाइल से वीडियो रिकार्डिग, फोटो व रतनूचक सैन्य क्षेत्र की जीपीएस लोकेशन भेजी थी। मोबाइल की जांच करने के बाद इसकी पुष्टि हुई है। दोनों संदिग्धों के स्मार्टफोन स्कैन किए गए हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया है कि वे आइएसआइ के लिए काम करते थे। इसके लिए उन्हें पैसे मिलते थे।
ओवरग्राउंड वर्करों से पूछताछ जारी
अब जम्मू के मीरां साहिब में ज्वाइंट इंटेरोगेशन सेंटर में इन ओवरग्राउंड वर्करों से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि उन्होंने रतनूचक से पहले और कौन से सैन्य क्षेत्रों की जानकारी पाकिस्तान में भेजी है। राज्य में उनके और कौन साथी हैं। उनका मकसद क्या था और इस साजिश के पीछे कौन है। वहीं, सेना ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। सूत्रों के अनुसार सेना को कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिनके आधार पर कार्रवाई शुरू हो गई है। दो आतंकी समर्थकों के पकड़े जाने के बाद सेना कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती है।
सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा
सैन्य क्षेत्र की जीपीएस लोकेशन सीमा पार पहुंचने के बाद जम्मू में सेना के आला अधिकारियों ने सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा की है। जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास सटे सैन्य क्षेत्रों की सुरक्षा को लेकर भी बैठकें हुईं। अधिकतर यूनिटें सेना की पश्चिमी कमान की राइजिंग स्टार कोर की हैं। इस कोर के साथ सेना की 16वीं कोर ने सुरक्षा को और पुख्ता कर दिया है।
जल्द ही पकड़े जा सकते हैं कुछ सहयोगी
सूत्रों के अनुसार पकड़े गए ओवरग्राउंड वर्करों से मिली जानकारी के आधार पर उनके कुछ और सहयोगियों को भी जल्द पकड़ा जा सकता है। ये पाकिस्तान में जिन नंबरों से संपर्क में थे, उन पर कॉल करने की कोशिशें भी की गई, लेकिन इससे खास फायदा नहीं हुआ। दोनों के पास से पाकिस्तान के करीब एक दर्जन नंबर मिले हैं। वाट्सएप पर उन्होंने कुछ नक्शे भी भेजे थे। सैन्य सूत्रों के अनुसार सीमा पार आकाओं तक इन ओवरग्राउंड वर्करों को पकड़े जाने की सूचना मंगलवार को ही पहुंच चुकी थी। ऐसे में मिले नंबर बंद पाए गए।
चार साल में कई हमले झेल चुके हैं जम्मू के सैन्य क्षेत्र
चार साल में आतंकियों ने जम्मू में सैन्य क्षेत्रों को निशाना बनाने के लिए कई बार हमले किए। रतनूचक मिलिट्री स्टेशन पर गत वर्ष 30 दिसंबर को दो आतंकियों ने रात के अंधेरे में हमला करने की कोशिश की थी। वह हमला करते कि इससे पहल संतरी ने फायरिंग शुरू कर दी थी। इसके बाद आतंकी गोलियां चलाते हुए भाग निकले थे। फरवरी 2018 में आतंकियों ने जम्मू के सुजवां मिलिट्री स्टेशन पर हमला किया था। इसमें छह सैनिक व एक नागरिक शहीद हुआ था। फिदायीन हमला करने वाले तीन आतंकी मारे गए थे। नवंबर 2016 में आतंकियों ने नगरोटा सैन्य छावनी पर हमला किया था, इसमें दो अधिकारियों समेत सात सैनिक शहीद हुए थे। जवाबी कार्रवाई में तीनों आतंकी मारे गए थे।
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