बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी देने के अध्यादेश को मंजूरी

12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा देने वाले अहम अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 18 May 2018 09:20 AM (IST) Updated:Fri, 18 May 2018 09:58 AM (IST)
बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी देने के अध्यादेश को मंजूरी
बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को फांसी देने के अध्यादेश को मंजूरी

जम्मू, राज्य ब्यूरो। 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने के दोषियों को फांसी की सजा देने वाले अहम अध्यादेश को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। जम्मू एंड कश्मीर क्रिमिनल कानून संशोधन अध्यादेश 2018 और जम्मू एंड कश्मीर प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्युसल हिंसा अध्यादेश 2018 को राज्य मंत्रिमंडल ने 24 अप्रैल को मंजूरी दी थी जिसके बाद इन्हें राज्यपाल के पास भेजा गया। इसे कल मंजूरी दे दी गई।

जम्मू एंड कश्मीर क्रिमिनल कानून संशोधन अध्यादेश 2018 के तहत 12 वर्ष की कम आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी देने का प्रावधान रखा गया है। 16 वर्ष तक की आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को 20 वर्ष के कारावास की सजा या उम्र कैद होगी। उम्र कैद का मतलब पूरी आयु जेल में रहना होगा।

16 वर्ष से कम आयु की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी भी पूरी जिंदगी जेल में रहेंगे। 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म में दोषियों को मौत की सजा होगी। अध्यादेश के तहत जांच का काम दो महीने में पूरा करना होगा। मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी करनी होगी। अगर देरी की जाती है तो इसकी सूचना सर्वोच्च न्यायालय को देनी होगी। पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को सुने बिना मामले में जमानत नहीं होगी।

गौरतलब है कि कठुआ मामले में जम्मू कश्मीर समेत देश में फैले आक्रोश को देखते हुए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि ऐसे वारदातों को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने 21 अप्रैल को अध्यादेश लाकर 12 वर्ष से कम उम्र की आयु की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान शामिल किया। उसके बाद राज्य सरकार ने दो अध्यादेश लाए।

दूसरे अध्यादेश जम्मू एंड कश्मीर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्युसल हिंसा अध्यादेश 2018 के तहत यौन उत्पीड़न करने पर सजा का प्रावधान शामिल किया है। यह अध्यादेश बच्चों के मैत्रीपूर्ण तरीकाकार के प्रावधान उपलब्ध करवाएगा। इसमें रिपोर्टिग, सुबूतों की रिकॉर्डिग जांच शामिल होंगे। ऐसे मामलों की सुनवाई के लिये विशेष अदालतें बनाई जाएगी।

यह अध्यादेश यह सुनिश्चित करेगा कि सभी शिक्षण संस्थान बच्चों की सुरक्षा यकीनी बनाए और यौन उत्पीड़न के मामलों को गोपनीय रखा जाए।राज्यपाल ने कहा कि गृह विभाग इन पर सख्ती से कार्रवाई करे और अध्यादेशों के तहत मामलों की जांच की निगरानी के लिए तंत्र बनाए।

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