जम्मू कश्मीर में अब कालेज छात्रा आई पबजी की चपेट में

प्लेयर अंडर ग्राउंड बैटल ग्राउंड यानि मोबाइल फोन पर इन दिनों खेली जा रही पबजी गेम ने जम्मू शहर में एक को मानसिक रोगी बना दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sun, 13 Jan 2019 10:46 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jan 2019 10:47 AM (IST)
जम्मू कश्मीर में अब कालेज छात्रा आई पबजी की चपेट में
जम्मू कश्मीर में अब कालेज छात्रा आई पबजी की चपेट में

जम्मू, जागरण संवाददाता ।  प्लेयर अंडर ग्राउंड बैटल ग्राउंड यानि मोबाइल फोन पर इन दिनों खेली जा रही पबजी गेम ने जम्मू शहर में एक को मानसिक रोगी बना दिया है। दो दिन पहले एक फिटनेस ट्रेनर को बीमार करने के बाद इस गेम की चपेट में अब एक कालेज छात्रा आई है जिसे उपचार के लिए गांधी नगर अस्पताल में उसके परिजन लेकर पहुंचे।

बीस वर्षीय छात्रा पिछले कुछ दिनों से मोबाइल फोन पर पबजी गेम को खेलती आ रही थी और उसे जब उसके परिजनों ने मानसिक तौर पर ग्रस्त देखा तो वे उसे गांधी नगर अस्पताल में ले आए जहां मानसिक रोग विशेषज्ञ डाक्टरों ने उसकी जांच की। बताया जा रहा है कि छात्रा कुछ दिनों से मोबाइन फोन पर मिशन गेम पबजी खेल रही थी और घंटो उसी गेम में लगी रहती थी। इस एक्शन गेम को चार से पांच लोग अलग अलग जगह से खेलते हैं जिन्हें एक आइलैंड पर मिशन दिया जाता है और इस मिशन को पूरा करने वाला विजेता बनता है। इंटरनेट पर खेली जाने वाली इस गेम को खेलने वाले एक दूसरे से बात भी कर सकते हैं और अपने दूसरी साथी को खतरा हाेने पर सचेत भी करते हैं। उधर इस छात्रा के अस्पताल में पहुंचने के बाद अब डाक्टर भी इस गेम से बचने की सलाह लोगों को दे रहे हैं और मोबाइल इंटरनेट की गेम्स को खतरनाक बता रहे हैं।

वहीं मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. जगदीश थापा का कहना है कि मोबाइल इंटरनेट गेम को खेलने वाले अधिकतर युवा ही होते हैं जो उनमें पूरी तरह से खो जातेे हैं। दिमाग का लगातार इस्तेमाल मानिसक रूप से थका देता है और कई बार दिमाग काम करना भी बंद कर देता है। इंटरनेट भी नशे की तरह है। इसका आदि हाे चुका व्यक्ति कई बार सो भी नहीं पाता जो उसे मानिसक रोगी बना देता है।

पांच साल से पच्चीस साल के युवा है मोबाइल के दीवाने

मोबाइल फोन की चपेट में युवा किस कदर आ रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज पांच साल से लेकर पच्चीस साल के युवा तक इसके बुरी तरह से दीवाने हाे चुके हैं। डा. जगदीश थापा का कहना है कि पांच साल के बच्चे भी आज घंटो मोबाइल फोन पर गेम्स खेलते हैं और फोन न मिलने पर वे गुस्से में आ जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को कम से कम फोन इस्तेमाल के लिए दें और उन्हें इससे दूर रखने का प्रयास करें। वहीं डा. थापा का कहना है कि उनके पास पच्चीस वर्ष की आयु तक के कई युवा अवसाद से ग्रस्त होकर आते हैं जिनमें अधिकतर मोबाइल फोन के इस्तेमाल से ग्रस्त होते हैं। इसके अलावा महिलाएं भी उनके पास कुछ ऐसी आती हैं जो खुद को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन पर निर्भर रहती है और अवसाद से ग्रस्त हो जाती है। डा. थापा ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल को कम करने की सलाह लोगों को दी है।

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