धीमी मौत की ओर धकेल रहा तंबाकू, जम्मू में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी

हर जगह मुङो घृणा से देखा जाता लेकिन अचानक आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति ने इस लत से अंकुश को हमेशा के लिए दूर कर दिया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 31 May 2019 12:07 PM (IST) Updated:Fri, 31 May 2019 12:07 PM (IST)
धीमी मौत की ओर धकेल रहा तंबाकू, जम्मू में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी
धीमी मौत की ओर धकेल रहा तंबाकू, जम्मू में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में तंबाकू पदार्थो से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान तो चलाए जाते हैं, लेकिन इसका सेवन करने वालों की संख्या कम होने के बजाए बढऩा चिंता का कारण है। क्योंकि जीएमसी अस्पताल में 50 फीसद कैंसर के मामले तंबाकू पदार्थो के सेवन करने के होते हैं। गैर सरकारी संस्था लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे रिपोर्ट की मानें तो राज्य में 26.6 फीसद लोग तंबाकू पदार्थों का सेवन करते हैं। इनमें 41.6 फीसद पुरुष और 10 फीसद महिलाएं हैं।

राज्य में हर चौथा व्यक्ति तंबाकू पदार्थो का सेवन करता है। यही कारण है कि लोग विशेषकर युवा कई रोगों का शिकार हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में 50 फीसद कैंसर के मामलों का कारण तंबाकू पदार्थो का सेवन होना ही है। साल से अधिक आयु वर्ग के युवा राष्ट्रीय स्तर पर एक माह में सिगरेट पर 399 रुपये और बीडिय़ों पर 93.40 रुपये खर्च करते हैं, लेकिन जम्मू कश्मीर में एक महीने में सिगरेट पर 513 रुपये और बीड़ी पर 114 रुपये खर्च होते हैं। चिंता यह है कि यहां सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध के बावजूद घरों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर लोग प्रभावित हो रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों पर धड़ल्ले से लोग धूमपान करते हैं। हालांकि, पुलिस कभी कभार सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करने वालों पर कार्रवाई करती है।

इच्छा शक्ति से मिली सांसों को जिंदगी

एक दिन में 10 या उससे भी अधिक सिगरेट पीता था। लत छूटने को नहीं थी। परिवार भी परेशान था। हर जगह मुङो घृणा से देखा जाता, लेकिन अचानक आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति ने इस लत से अंकुश को हमेशा के लिए दूर कर दिया। जम्मू के शिव नगर के 30 वर्षीय अंकुश मन्नी आज निजी कंपनी में अकाउटेंट हैं। अब वह दूसरों को धूमपान न करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अंकुश ने दैनिक जागरण से कहा कि जब उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया तो दोस्तों के कहने पर सिगरेट पी ली। उसके बाद इसकी लत गई। पहले तो दिन में एक से दो सिगरेट पीने लगा, लेकिन कॉलेज छोड़ने के बाद लत बढ़ती गई।

दिन में आठ से दस सिगरेट पीना शुरू कर दिए। जब भी सिगरेट पीता तो घरवाले और दोस्त छोडऩे के लिए दबाव डालते। हालत ऐसी हो गई कि साथ बैठने पर हर कोई मुङो चार बातें सुना देता। जब मुङो लगा कि हर तरफ मेरी उपेक्षा हो रही है तो सोचने को विवश कर दिया। मुझमें सिगरेट छोड़ने की इच्छाशक्ति भी थी। मैंने हर सप्ताह एक-एक सिगरेट पीना कम कर दिया। कई बार तो सिगरेट पीने की ललक नहीं होती थी। इस दौरान एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी लग गई।

ऑफिस में भी हर किसी ने इसमें मेरा साथ दिया। मुझे सिगरेट छोड़ने में तीन महीने लगे। अब पूरी तरह से सामान्य जिंदगी जी रहा हूं। अंकुश ने कहा कि लोग कहते हैं कि एक बार जो सिगरेट पीना शुरू करे तो उसे छोड़ा नहीं जाता, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर आपमें इच्छाशक्ति हो तो सिगरेट पीना आराम से छोड़ा जा सकता है। कॉलेज लाइफ में सिगरेट के छल्ले उड़ाना अच्छा लगता है, लेकिन बाद में समझ आती है कि यह तो जिंदगी की सांसों को कम कर रहे हैं।

राज्य में ई-सिगरेट पर लगा है प्रतिबंध

राज्य में प्रशासन ने ई-सिगरेट पर भी प्रतिबंध लगाया है। जम्मू कश्मीर में हालांकि ई-सिगरेट पीने वालों की संख्या का पता नहीं था, लेकिन प्रशासन का कहना था कि बड़ी संख्या में ई-सिगरेट के सेवन से लोग कई प्रकार के रोगों की चपेट में आ रहे हैं।

तंबाकू उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के बारे में करें जागरूक : राज्यपाल

विश्व तंबाकू निषेध दिवस इस बार तंबाकू और फेफड़े के स्वास्थ्य विषय पर मनाया जा रहा है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने संदेश में तंबाकू उत्पादों के सेवन से फेफड़ों पर पडऩे वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धूम्रपान से कैंसर और अन्य बीमारियों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होती है। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की खपत को हतोत्साहित करने के लिए सभी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने पर जागरूकता कार्यक्रम करने जरूरी हैं। - अस्पतालों में अधिकतर कैंसर पीडि़त सिगरेट व तंबाकू के होते हैं। अगर तंबाकू सेवन पर प्रतिबंध लगे तो 50 फीसद कैंसर मामले अस्पतालों में नहीं आए। तंबाकू सेवन करने वालों में आम लोगों की अपेक्षा कैंसर होने की संभावना कई गुणा अधिक होती है। डॉ. राहुल गुप्ता, एसोसिएट प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज जम्मू तंबाकू के खिलाफ लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इसका सेवन करने वालों की संख्या बढऩा चिंता का कारण है। धूम्रपान करने वाले की आयु तंबाकू का सेवन नहीं करने वाले लोगों की तुलना में 22 से 26 फीसद तक घट जाती है। डॉ. दीपक अबरोल, असिस्टेंट प्रोफेसर आनकोलॉजी विभाग में और मेडिकल कालेज कठुआ मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण खैनी व चुटकी से होता है। तंबाकू से निकलने वाले निकोटिन, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रोजन और कार्बन मोनोक्साड सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। अगर तंबाकू का सेवन न हो तो मुंह के कैंसर से बचा जा सकता है। डॉ. प्रवीण लोन, एचओडी इंदिरा गांधी डेंटल कॉलेज

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