Kashmir: अब पासपोर्ट के लिए कश्मीरी युवाओं को थाने में देना होगा साक्षात्कार, जानिए क्या है वजह?

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था) मुनीर अहमद खान ने कहा कि पासपोर्ट आवेदक और पुलिस के बीच संवाद किसी भी तरह से बुरा नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 04 Jan 2020 11:39 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jan 2020 11:39 AM (IST)
Kashmir: अब पासपोर्ट के लिए कश्मीरी युवाओं को थाने में देना होगा साक्षात्कार, जानिए क्या है वजह?
Kashmir: अब पासपोर्ट के लिए कश्मीरी युवाओं को थाने में देना होगा साक्षात्कार, जानिए क्या है वजह?

जम्मू, नवीन नवाज। स्थानीय युवकों को रोजगार के नाम पर विदेश भेजने की आड़ में जिहादी फैक्टरियों में पहुंचाने के मामलों का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कश्मीर में पासपोर्ट आवेदकों को संबंधित थाने में बुलाकर उनके इंटरव्यू की एक प्रक्रिया शुरू की है। हालांकि, इसके बारे में कोई औपचारिक आदेश नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों को पुलिस की इस कार्रवाई से कोई एतराज नहीं है। वह इसे अवांछित तत्वों पर रोक के लिए जरूरी बता रहे हैं। पूछताछ कहें या इंटरव्यू यह एसपी या डीएसपी रैंक के अधिकारी द्वारा लिया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने यह प्रक्रिया उन तत्वों की निगरानी के लिए शुरू की है जो पासपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान या फिर उन देशों में जहां जिहादी गुट सक्रिय हैं, में जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद जिहादी तत्व हालात बिगाडऩे के लिए हर तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं। वह सरहद पर सुरक्षाबलों की चौकसी को देखते हुए पासपोर्ट के आधार पर लड़कों को आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेज सकते हैं। पासपोर्ट के आधार पर आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्कर और हवाला ऑपरेटर भी आ-जा सकते हैं।

राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में कहीं कोई बदलाव नहीं है। आवेदक के सत्यापन की प्रक्रिया भी वही है। बस जम्मू कश्मीर में विशेषकर कश्मीर में गत पांच अगस्त से बदले हालात में कुछ आवश्यक एहतियाती कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिस इंटरव्यू और साक्षात्कार की बात की जा रही है, वह नया नहीं है, पहले वह फोन पर ही हो जाता था और थाने में बुलाया जा रहा है।

संवाद से पुलिस के कई मकसद हो जाते हैं हल

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था) मुनीर अहमद खान ने कहा कि पासपोर्ट आवेदक और पुलिस के बीच संवाद किसी भी तरह से बुरा नहीं है। इससे कई मकसद हल होते हैं। इससे यह भी पता चल जाता है कि आवेदक वही है, जिसने आवेदन किया है और वह संबंधित क्षेत्र में ही रहने वाला है।

आतंकी बनने के कई मामले आ चुके सामने

बीते साल तीन फरवरी को उत्तरी कश्मीर के बारामुला में पुलिस ने अब्दुल मजीद बट और मोहम्मद अशरफ मीर नाम के लश्कर के दो आतंकियों को पकड़ा था। यह दोनों पासपोर्ट लेकर ही पाकिस्तान के जिहादी कैंप में ट्रेङ्क्षनग लेने गए थे। यह दोनों पढ़ाई के लिए गए थे। बारामुला का रहने वाला लश्कर आतंकी सुहैब अखून भी वर्ष 2018 में जिहादी बनने के लिए पासपोर्ट पर पाकस्तान गया था। सुहैब गत वर्ष मुठभेड़ में मारा गया है। जुलाई 2017 में अब्दुल रशीद बट पकड़ा गया, वह भी पासपोर्ट लेकर आतंकी ट्रेनिंग कैंप में पहुंचा था। फरवरी 2017 में सोपोर के अमरगढ़ में मारे गए हिज्ब के दो आतंकी अजहरुदीन औ सज्जाद अहमद भी पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने गए और आतंकी बनकर लौटे थे। कुलगाम का रहने वाला सैफुल्ला गाजी भी पासपोर्ट लेकर पाकिस्तान के जिहादी कैंप में पहुंचा था। हमारे पास जब भी पासपोर्ट का कोई आवेदन पहुंचता है, हम उसका संज्ञान लेते हुए पुलिस को सूचित करते हैं। पु़लिस उसके बारे में जांच कर रिपोर्ट देती है। पुलिस की रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई करनी है, यह हमारा अधिकारी तय करता है। आवेदक और पुलिस अधिकारियों के बीच बातचीत से हमारा कोई सरोकार नहीं है। यह पुलिस रिकार्ड के लिए हो सकती है। -बीबी नागर, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी

chat bot
आपका साथी