मलेरिया अब महामारी नहीं: जम्मू-कश्मीर में बदल रही तस्वीर, घट रहे मलेरिया के मरीज

अगर जम्मू कश्मीर में कहीं पर भी एक भी मामला दर्ज होता है तो उस घर के आसपास के पचास घरों में स्प्रे होता है ताकि मच्छर को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 Apr 2020 10:41 AM (IST) Updated:Sat, 25 Apr 2020 10:41 AM (IST)
मलेरिया अब महामारी नहीं: जम्मू-कश्मीर में बदल रही तस्वीर, घट रहे मलेरिया के मरीज
मलेरिया अब महामारी नहीं: जम्मू-कश्मीर में बदल रही तस्वीर, घट रहे मलेरिया के मरीज

जम्मू, रोहित जंडियाल। कभी मच्छरों की दहशत से परेशान रहे जम्मू कश्मीर में मलेरिया की तस्वीर लगातार बदल रही है। मच्छरों की दहशत तो है, लेकिन लगातार अभियानों ने मलेरिया के मामलों में रिकॉर्ड कमी की है। यहां तक कि पिछले साल मलेरिया के 105 मामले दर्ज हुए थे तो इस वर्ष पहले तीन महीनों में सिर्फ चार ही मामले सामने आए। कोविड-19 के कारण लगातार चल रहे स्वच्छता अभियानों और एंटी फा¨गग से इसमें और बेहतरी की उम्मीद है।

मलेरिया विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में 168 मामले दर्ज हुए थे। 2019 में यह कम होकर मात्र 105 ही रह गए। इस साल मार्च तक तो मात्र चार ही मामले सामने आए हैं। 2019 में जो मामले आए उनमें कठुआ जिले में सबसे अधिक 23, राजौरी में 22, पुंछ में 17 और जम्मू शहर व ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में कुल 27 मामले थे। इसके अलावा ऊधमपुर में सात और रियासी जिले में पांच मामले दर्ज हुए थे। स्टेट मलेरियालोजिस्ट डॉ. सीमा गुप्ता का कहना है कि जम्मू कश्मीर से मलेरिया के मामले लगातार कम हो रहे हैं। यह अच्छा संकते हैं। जब तक एक भी मामला है, तब तक अभियान जारी रहेगा। लगातार तीन साल तक जब कोई भी मामला नहीं आएगा, तब जम्मू कश्मीर को पूरी तरह से मलेरिया मुक्त कहा जा सकता है।

पिछले साल चार लाख से अधिक लोगों के सैंपल लिए गए थे। उसमें मात्र 105 ही मामले आए हैं। उम्मीद है कि इस साल मामले और कम होंगे। यह जम्मू कश्मीर के लिए सुखद है।

कभी हजारों में आते थे मामले: जम्मू कश्मीर में नब्बे के दशक में मलेरिया के मामले हजारों में आते थे। साल 1996 में राज्य में 14289 मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद लगातार मामलों में कमी आई। साल 1999 में 3357 लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई। साल 2000 में 3022 मलेरिया के मरीज सामने आए। साल 2009-10 में मात्र 802 मरीज ही मलेरिया के रह गए।

एक मामला आने पर अभियान: अगर जम्मू कश्मीर में कहीं पर भी एक भी मामला दर्ज होता है तो उस घर के आसपास के पचास घरों में स्प्रे होता है ताकि मच्छर को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। डीटीटी के छिड़काव के अलावा एंटी लारवा और एंटी मासक्यूटो स्प्रे भी की जाती है। डॉ. सीमा ने कहा कि मलेरिया की दवा की कोई कमी नहीं है।

ऐसे होता है मलेरिया: यह रोग मादा एनॉफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। सबसे खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम तथा प्लास्मोडियम विवैक्स माने जाते हैं। हालांकि, जम्मू कश्मीर में प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम के मामले बहुत कम हैं।

यह हैं लक्षण मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार होना, सिर दर्द, पसीना आना, उल्टियां व दस्त, पेट में दर्द होना प्रमुख हैं। एंटी फागिंग और स्वच्छता अभियान से और बेहतरी की उम्मीद

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