जानें कौन हैं फौजुल कबीर, जिनके ब्रांड 'कश्‍मीर विलो' बैट से अब इंटरनेशनल मैचों में होगी रनों की बारिश

इसका श्रेय बीजबेहाड़ा के युवा उद्यमी फौजुल कबीर को जाता है। उन्होंने करीब डेढ़ वर्ष तक इसके लिए कड़ी मेहनत की और आज जम्मू कश्मीर के पहली ऐसे बैट निर्माता हैंजिन्हें उत्पाद को आईसीसी ने मान्यता दी है। दक्षिण कश्मीर में बीजबेहाड़ा को बैट उद्याेग का केंद्र माना जाता है।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 07:54 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 07:54 PM (IST)
जानें कौन हैं फौजुल कबीर, जिनके ब्रांड 'कश्‍मीर विलो' बैट से अब इंटरनेशनल मैचों में होगी रनों की बारिश
इसका श्रेय बीजबेहाड़ा के युवा उद्यमी फौजुल कबीर को जाता है।

श्रीनगर, नवीन नवाज। क्रिकेट जगत में इंग्लिश विलो के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए अब कश्मीर विलो पूरी तरह तैयार हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद आइसीसी ने कश्मीर में मिलने वाली विलो से बनने वाले क्रिकेट के बल्लों (बैट) को अधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय मुकाबलाें में इस्तेमाल की अनुमति प्रदान कर दी है। कश्मीर में विलो आज से नहीं सदियों से है ,लेकिन इसके बल्ले सिर्फ घरेलू और गली क्रिकेट तक सीमित थे। अब इनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगितिओं में रनोंं की बौछार में शामिल हाेने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।

इसका श्रेय बीजबेहाड़ा के युवा उद्यमी फौजुल कबीर को जाता है। उन्होंने करीब डेढ़ वर्ष तक इसके लिए कड़ी मेहनत की और आज जम्मू कश्मीर के पहली ऐसे बैट निर्माता हैं,जिन्हें उत्पाद को आईसीसी ने मान्यता दी है। दक्षिण कश्मीर में बीजबेहाड़ा को बैट उद्याेग का केंद्र माना जाता है। इसे पूरे क्षेत्र में करीब 3000 परिवारों के लिए बैट उद्योग ही प्रत्यक्ष रोजगार का जरिया है। इस क्षेत्र में बैट तैयार करने की छोटी बड़ी करीब 300 इकाईयां हैं। पूरे भारतवर्ष में हर साल करीब पांच लाख बैट तैयार होते हैं और उनमें से 90 प्रतिशत कश्मीर विलो से ही बनाए जाते हैं। विलो का पेड़ पूरे भारत में सिर्फ कश्मीर में ही पाया जाता है। यह पाकिस्तान में भी मिलता है, लेकिन गुलाम कश्मीर के कुछ हिस्सों में। इसके अलावा विलो इंग्लैंड व अस्ट्रेलिया व कुछ अन्य देशों में भी पाया जाताहै,लेकिन बल्ले बनाने के लिए इंग्लिश विलो ही परंपरागत रुप से इस्तेमाल होती आयी है।

कश्मीर विलो का बल्ला इंग्लिश विलो के बल्ले की तुलना में कुछ भारी माना जाता है। फौजुल कबीर का किक्रेट के बल्लों से पुराना नाता है। उन्होंने जब होश संभाली तो खुद को पिता के बैट निर्माण कारखाने में पाया। इस्लामिक यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टैक्नोलाजी अवंतीपोरा से एमबीए की डिग्री प्राप्त करने वाले फौजुल ने कहा कि मेरे पिता का ख्वाब था कि हमोर कारखाने का बना बैट अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी इस्तेमाल करें। करीब सात साल पहले उनका देहांत हुआ है। उन्होंने ही जीआर8 नाम से कारखाना शुरु किया था। मैने अपने भाई नियाज उल कबीर के साथ मिलकर आस्ट्रेलिया,न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया। वहां इस्तेमाल होने वाले क्रिकेट बल्ले देखे। बल्ले बनाने की बारीकियों को खुद समझा। हमने बहुत से लोगों से संपर्क किया,लेकिन कोई हमारे बल्ले खरीदने को तैयार नहीं था। उसने कहा कि हमने ओमान के खिलाड़ियों को किसी तरह मनाया कि वह कश्मीर विलो द्वारा तैयार बल्लों का जरुर इस्तेमाल करें। वह मान गए और बीते साल टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप में उन्होंने हमारे कारखाने में तैयार बैट इस्तेमाल किए। आज ओमान के सभी खिलाड़ी हमारे बल्ले इस्तेमाल कर रहे हैं। हमने आईसीसी मान्यता के लिए संपर्क किया । सभी आवश्यक औपचारिकताओं और नियमों के आधार पर उसने हमारे सामान को अनुमोदित कर दिया है। हम सिर्फ बल्ला ही तैयार नहीीं कर रहे हैं,हम पूरी क्रिकेट तैयार कर रहे हैं।

खिलाड़ियों के हैल्मेट, पैड और कपड़े भी जीआर8 ब्रांड के साथ उपलब्ध कराते हैं और इस सारे सामान को आईसीसी ने अपने मानकों पर परखने के बाद ही अनुमोदित किया है। फौजुल कबीर के अनुसार, ओमान की टीम ने 60 बल्लों की आपूर्ति के लिए कहा है। पाकिस्तानी खिलाड़ी शादाब खान और हसन अली ने भी हमारे द्वारा निर्मिित कश्मीर विलो बैट से खेलने की इच्छा व्यक्त की है।श्रीलंका, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका,स्काटलैंड और आस्ट्रेलिया के कई खिलाड़ी हमसे अब बल्ले मंगवा रहे हैं। दुबई की एक क्रिकेट अकादमी ने भी हमारे साथ संपर्क किया है। पंजाब, दिल्ली, मुंबई से भी कई लोगों ने हमारे पास बल्लों का आर्डर भेजा है। कश्मीर बैट उद्योग से जुड़े कामरान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो क्रिकेट बैट इस्तेमाल होते आए हैं, वह मुख्यत: इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में ही बनते हैं। आस्ट्रेलियाऔर दक्षिण अफ्रीका मे इंग्लैंड से बैट के लिए लकड़ी आयात की जाती है।

पाकिस्तान में भी बैट बनते हैं। आईसीसी द्वारा फौजुल कबीर के कारखापने मे बने बल्लों को अधिकारिक रुप से अनुमोदित किए जाने के बाद अब कश्मीर विलो के बने बल्लों का बाजार बढ़ेगा। इंग्लिश विलो का वर्चस्व टूटेगा। दुनियाभर की बैट निर्माता कंपनियां कच्चा माल कश्मीर से मंगवाने को प्रेरित होंगी या फिर यहीं पर हमारे साथ संपर्क कर,हमारे साथ साझीदारी में बैट तैयार करेंगी। कश्मीर विलो का बल्ला ज्यादा मजबूत है और क्रिकेट के हर फार्मेट पर सही उतरता है।  

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