रॉ मैटेरियल की आमद पर रोक से जम्मू संभाग में 200 से ज्यादा सीमेंट टाइल फैक्टिरयां बंद

एनजीटी के जो मानदंड निर्धारित किए उनको स्थानीय स्तर पर कोई स्टोन क्रशर व खनन करने वाले ठेकेदार पूरा नहीं करते थे। इससे स्टोन क्रशर व खनन का कार्य बंद हो गया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 10:59 AM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 10:59 AM (IST)
रॉ मैटेरियल की आमद पर रोक से जम्मू संभाग में 200 से ज्यादा सीमेंट टाइल फैक्टिरयां बंद
रॉ मैटेरियल की आमद पर रोक से जम्मू संभाग में 200 से ज्यादा सीमेंट टाइल फैक्टिरयां बंद

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू संभाग में 200 से अधिक सीमेंट टाइल बनाने वाली लघु औद्योगिक इकाइयों में दो माह से उत्पादन नहीं हो रहा है। आवश्यक रॉ-मैटेरियल उपलब्ध न होने के कारण यह स्थिति पैदा हो गई है। जनवरी से रॉ-मैटेरियल की आमद पर रोक लगी है।

सीमेंट टाइल बनाने में सीमेंट के अलावा रेत बजरी रॉ मैटेरियल के रूप में इस्तेमाल होती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जनवरी में सभी स्टोन क्रशर्स के लिए पर्यावरण विभाग की एनओसी अनिवार्य की थी। खड्डों-नालों से खनन करने वाले ठेकेदारों के लिए कई शर्तें निर्धारित कीं। एनजीटी के जो मानदंड निर्धारित किए, उनको स्थानीय स्तर पर कोई स्टोन क्रशर व खनन करने वाले ठेकेदार पूरा नहीं करते थे। इससे स्टोन क्रशर व खनन का कार्य बंद हो गया। स्टोन क्रशर मालिकों व खनन करने वाले ठेकेदारों ने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) के लिए पर्यावरण विभाग के पास आवेदन दिए हैं। एनओसी न मिलने के कारण खनन व स्टोन क्रशर का काम रुका है। सीमेंट टाइल बनाने वाली इकाइयों को रॉ-मैटेरियल उपलब्ध नहीं हो रहा।

इन जगहों पर हैं इकाइयां : जम्मू संभाग में सीमेंट टाइल बनाने वाले 200 से अधिक इकाइयां हैं। सबसे अधिक 60 औद्योगिक इकाइयां सांबा जिले में हैं। सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र बड़ी ब्राह्मणा है। जम्मू जिले में 40 ऐसी इकाइयां हैं। ये इकाइयां अखनूर, नगरोटा, आरएसपुरा, मीरां साहिब, अरनिया व अन्य इलाकों में स्थित हैं। कठुआ में भी 20 ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं। ऊधमपुर में 50 के करीब ऐसी इकाइयां हैं। राजौरी-पुंछ व अन्य जिलों में भी ऐसी इकाइयां हैं। -एनजीटी के निर्देश का पालन करते हुए सभी स्टोन क्रशर व खनन करने वाली कंपनियों को पर्यावरण विभाग से आवश्यक एनओसी हासिल करने का निर्देश दिया गया है। एनओसी मिलने तक किसी को भी स्टोन क्रशर चलाने या खनन करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। - एके खजूरिया, ज्वाइंट डायरेक्टर जियोलॉजी एंड मार्इंनग डिपार्टमेंट -हमारे पास एनओसी के लिए काफी आवेदन आए थे। इनमें से कुछ को एनओसी जारी भी हो चुकी है। शेष पर प्रक्रिया जारी है। एनओसी जारी करने में जन सुनवाई महत्वपूर्ण औपचारिकता है। इसमें समय लगता है। आमतौर पर आवेदन आने के बाद एक से डेढ़ महीने के समय में प्रकिया पूरी होती है। - डॉ. सैयद नदीम, क्षेत्रीय निदेशक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड -नए नियमों के अनुसार आवश्यक एनओसी हासिल करने के लिए संबंधित लोगों को कुछ समय की मोहलत दी जानी चाहिए थी, लेकिन तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया, इससे दिक्कत आई। इस प्रतिबंध से न केवल निर्माण कार्य प्रभावित हुए हैं, बल्कि सीमेंट टाइल बनाने वाली औद्योगिक इकाइयां भी बंद हो गईं। इससे उद्यमियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। -ललित महाजन, प्रधान बड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन नए नियमों के तहत स्टोन क्रशर्स संचालकों व खनन करने वालों ने जनवरी में ही एनओसी के लिए आवेदन कर दिया था, लेकिन अभी तक उन्हें एनओसी जारी नहीं हुई। पर्यावरण विभाग व प्रदेश प्रदूषण बोर्ड को मामले की गंभीरता को समझते हुए इस मुद्दे को प्राथमिकता पर लेना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। इसका नुकसान यह हुआ कि रेत-बजरी पर निर्भर सीमेंट टाइल बनाने वाली इकाइयां बंद हो गईं। - अजय लंगर, उप-प्रधान बड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

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