Narco Terrorism in Kashmir: नशे के कारोबार पर जिंदा है कश्मीर में आतंकवाद, एक साल में 1600 से अधिक गिरफ्तार

Narco Terrorism in Kashmir डीजीपी के अनुसार वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर में 1672 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। यही नहीं जम्मू-कश्मीर के विभिन्न थानों में इस संबंध में 1132 मामले भी दर्ज किए गए हैं। कुख्यात 35 नशा तस्करों को पीएसए के तहत बुक भी किया गया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 05 Jan 2021 09:36 AM (IST) Updated:Tue, 05 Jan 2021 09:57 AM (IST)
Narco Terrorism in Kashmir: नशे के कारोबार पर जिंदा है कश्मीर में आतंकवाद, एक साल में 1600 से अधिक गिरफ्तार
कश्मीर घाटी समेत राज्य के विभिन्न जिलों में हर दिन पांच से अधिक नशा तस्कर पकड़े जाते हैं।

श्रीनगर, जेएनएन। कश्मीर में चल रहा नशे का कारोबार ही आतंकवाद को जिंदा रखे हुए है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए आतंकवाद के अलावा दूसरी कोई बड़ी चुनौती है तो वह नशीले पदार्थों की बढ़ती तस्करी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नशे के कारोबार में शामिल 1600 से अधिक तस्करों को एक साल के भीतर गिरफ्तार किया है। हद तो यह है कि इतनी संख्या में गिरफ्तारियां व हर दिन नशीले पदार्थ की बरामदी के बाद भी इसमें कोई कमी दर्ज नहीं की गई है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी गत सप्ताह संवाददाता सम्मेलन के दौरान कश्मीर में चल रहे नशीले कारोबार को आतंकवाद के बाद दूसरी बड़ी चुनौती बताते हुए कहा था कि यह इसलिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है क्योंकि इसी कारोबार से होने वाली कमाई से आतंकी संगठनों को वित्तीय सहायता मिलती है और इसी नशे की लत डालकर कश्मीर के युवाओं को भी बरगलाने का काम किया जा रहा है।

डीजीपी द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर में 1,672 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। यही नहीं जम्मू-कश्मीर के विभिन्न थानों में इस संबंध में 1132 मामले भी दर्ज किए गए हैं। कुख्यात 35 नशा तस्करों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत बुक भी किया गया। परंतु स्थिति यह है कि अभी भी इस कारोबार में कोई कमी नहीं आई है। कश्मीर घाटी समेत राज्य के विभिन्न जिलों में हर दिन पांच से अधिक नशा तस्कर पकड़े जाते हैं।

दरअसल कश्मीर में जम्मू-कश्मीर पुलिस समेत अन्य सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादियों पर कसी जा रही नकेल ने पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों के आकाओं की नींद उड़ा दी है। अब वह जम्मू-कश्मीर में भी वही रणनीति अपना रहे हैं जो उन्होंने पंजाब में अपनाई थी। वहां भी आतंकवाद को मिटता देख पाकिस्तान ने वहां बड़ी संख्या में नशीले पदार्थ भेजना शुरू कर दिए थे। इसके पीछे एकमात्र मकसद युवाओं को नशे में डाल उन्हें नशापूर्ति के लिए आतंकवाद का रास्ता अपनाने को मजबूर करना। कश्मीर में भी अब ऐसा किया जा रहा है।

डीजीपी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सालों के दौरान नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ी है। हर दिन इनका सेवन करने वालों की संख्या बढ़ रही है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी बताया था कि जम्मू, हंदवाड़ा, बडगाम और अरनिया में जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नार्को-आतंकवाद मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया तो यह बात स्पष्ट हो गई कि नशे के इस कारबार के पीछे पाकिस्तान को यहां आतंकवाद की आग को जिंदा रखना है।

नशीले पदार्थों से होने वाली कमाई आतंकवादी संगठनों तक पहुंचाई जाती है ताकि वह उसके जरिए अपनी आतंकवादी गतिविधियों को जारी रख सकें। जम्मू-कश्मीर ने आतंकवाद के साथ-साथ अब कश्मीर घाटी समेत राज्य के अन्य जिलों में नशे का कारोबार चलाने वाले राष्ट्र विरोधी तत्वों के खिलाफ अपनी मुहिम तेज कर दी है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार इस वर्ष के दौरान 152.18 किलोग्राम हेरोइन, 563.61 किलोग्राम भांग और 22,230.48 किलोग्राम अफीम और खसखस ​​को जब्त किया गया। इसके अलावा 339603 कैप्सूल, 57925 नशे की बोतलें और 265 नशीले इंजेक्शन भी जब्त किए गए। डीजीपी के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर ने नशे के कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। सभी थाना प्रभारियों को भी इसके खिलाफ नकेल कसने की हिदायत दे दी गई है।

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