Kashmir Situation: पीएसए के तहत जेलों में बंद कई नेताओं की हो सकती है रिहाई

यह सूची कश्मीर में सक्रिय विभिन्न एजेंसियों ने तैयार की जिसे बाद में उपराज्यपाल प्रशासन को सौंपा गया। गृह मंत्रालय ने सूची पर विचार किया और इसमें अब अंतिम फैसला लिया जाना है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 12:41 PM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 12:41 PM (IST)
Kashmir Situation: पीएसए के तहत जेलों में बंद कई नेताओं की हो सकती है रिहाई
Kashmir Situation: पीएसए के तहत जेलों में बंद कई नेताओं की हो सकती है रिहाई

जम्मू, जेएनएन। जनसुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए कुछ आरोपितों को प्रशासन रिहा कर सकता है। इनमें से कई आरोपित सेंट्रल जेल जम्मू, श्रीनगर के अलावा बाहरी राज्यों में भी बंद हैं। केंद्रिय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राज्य प्रशासन ने जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जिन आरोपितों को हिरासत में लिया है, उनकी लिस्ट मांगी है। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर के ऐसे 50 लोगों की सूची गृह मंत्रालय को भेजी गई थी, जिन पर पीएसए लागू किया गया था।

यह सूची कश्मीर में सक्रिय विभिन्न एजेंसियों ने तैयार की, जिसे बाद में उपराज्यपाल प्रशासन को सौंपा गया। गृह मंत्रालय ने सूची पर विचार किया और इसमें अब अंतिम फैसला लिया जाना है। अलबत्ता मुख्यधारा से जुड़े राजनीतिज्ञों का इस सूची में नाम नहीं है। गत अगस्त में करीब 450 लोगों को पीएसए के तहत बुक किया गया। प्रशासन ने 26 लोगों जिनमें कश्मीर पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नजीर अहमद रौंगा शामिल है, को गत माह रिहा कर दिया। इसके अलावा कश्मीर चैंबर आफ कामर्स और इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुबीन शाह को भी स्वास्थ्य खराब होने के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद रिहा कर दिया गया। स्वास्थ्य के आधार पर ही दो और लोगों पर लगे पीएसए को खारिज कर दिया गया है।

इसी तरह जमात-ए-इस्लामी के 65 वर्षीय नेता गुलाम मोहम्मद बट निवासी उत्तरी कश्मीर के गांव कुलंगांव हंदवाड़ा, जिन्हें जुलाई में पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था, कि दिसंबर में उत्तर प्रदेश में किसी जेल में मौत हो गई। कश्मीर से करीब 396 लोग अभी भी पीएसए के तहत हिरासत में हैं और उन्हें जम्मू-कश्मीर की विभिन्न जिलों के अलावा बाहरी राज्यों उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान की जेलों में रखा गया है। इनमें मुख्य राजनीतिक दलों के तो नेता शामिल हैं, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती, पूर्व नौकरशाह शाह फैसल, नेकां के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर, हिलाल अहमद लोन, जम्मू-कश्मीर के अडिशनल एडवोकेट जनरल और नेकां सांसद मोहम्मद अकबर लोन के पुत्र, पीडीपी नेता सरताज मदनी, नईम अख्तर सहित अन्य शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक एनसी, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस और अवामी इतेहाद पार्टी के मुख्यधारा के नेताओं को एहतियात के तौर पर घरों में ही नजरबंद रखा गया था। इनमें से आठ पर बाद में पीएसए लगा दिया गया। अलबत्ता पीडीपी नेता पीर मंसूर और अवामी इतेहाद पार्टी नेता बिलाल सुल्तान अभी भी एहतियातन जेल में बंद हैं।

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