नई शिक्षा नीति एतिहासिक दस्तावेज: सिन्हा

शिक्षा एक शक्तिशाली हथियार है जो विश्व में बदलाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। शिक्षा से समाज में शांति खुशहाली सांप्रदायिक सौहार्द लाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 10:44 AM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 10:44 AM (IST)
नई शिक्षा नीति एतिहासिक दस्तावेज: सिन्हा
नई शिक्षा नीति एतिहासिक दस्तावेज: सिन्हा

राज्य ब्यूरो, जम्मू: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक एतिहासिक दस्तावेज ही नहीं, बल्कि यह बच्चों, अध्यापकों और शिक्षा विशेषज्ञों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। इसका मकसद भविष्य की चुनौतियों का सामना करना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति को निर्धारित समय के भीतर लागू किया जाएगा। राज्य प्रशासन नई शिक्षा नीति के जरिये शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर श्रीनगर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उपराज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में गुणवत्ता और जवाबदेही पर जोर दिया गया है। यह व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा देगी। नेल्सन मंडेला का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा एक शक्तिशाली हथियार है जो विश्व में बदलाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। शिक्षा से समाज में शांति, खुशहाली, सांप्रदायिक सौहार्द लाया जा सकता है। उपराज्यपाल ने वाइस चांसलरों, पूर्व वाइस चांसलरों, विभिन्न डिग्री कॉलेजों के प्रिसिपलों को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति का फायदा विद्यार्थियों तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जाएं। ई-कंटेंट और बातचीत के दौर से ज्ञान को बढ़ावा दिया जाए। अध्यापकों और शिक्षाविदों की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है। विश्व बाजार भारतीय युवाओं की तरफ देख रहा है। अभिभावकों और विद्यार्थियों को इससे काफी उम्मीदें हैं। उपराज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा ने शिक्षा नीति का रोडमैप प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह एतिहासिक कदम है। इससे युवाओं के लिए रोजगार के साधन पैदा होंगे। पाठ्यक्रम में बदलाव होगा। आत्मनिर्भर भारत के लिए शोध जरूरी

उपराज्यपाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए शोध होने चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालयों में शोध गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। नई शिक्षा नीति में इस बात की छूट है कि पाठ्यक्रम और अध्यायों को डिजाइन किया जाए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमें तीन मुद्दों छात्र, अध्यापक और पाठ्यक्रम पर ध्यान देना होगा। जब विद्यार्थी कॉलेज से उत्तीर्ण होकर बाहर निकलें तो उनके पास नौकरी या स्वरोजगार का साधन उपलब्ध होना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि युवाओं को वोकेशनल प्रशिक्षण दिया जाए। प्रदेश के युवा प्रतिभावान

उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए प्रदेश के 14 युवाओं का चयन हुआ है। देश के पहले सौ कॉलेजों में तीन कॉलेज जम्मू कश्मीर के हैं। नई शिक्षा नीति को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा। निर्धारित समय के भीतर इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने विश्वविद्यालयों में फीड बैक सिस्टम को लागू करने पर जोर दिया। जम्मू कश्मीर का गौरव लौटाएं: राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने अध्यक्षीय भाषण में जम्मू कश्मीर की बहु संस्कृति, मूल्यों, सौहार्द का जिक्र किया। वीडियो कांफ्रेसिग के जरिए उन्होंने शिक्षाविदो, विद्यार्थियों से कहा कि वे नई शिक्षा नीति के जरिए जम्मू कश्मीर का गौरव लौटाएं। जम्मू कश्मीर का भौगोलिक वातावरण बहुत अच्छा है। इसका फायदा उठाया जाना चाहिए। एनईपी को लागू कर जम्मू-कश्मीर को बनाएं ज्ञान एवं शोध का केंद्र : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) को अक्षरश: लागू कर जम्मू-कश्मीर को ज्ञान, शोध और अध्ययन का केंद्र बनाने की दृढ़-संकल्प कोशिश की जानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने रविवार को यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित एक सम्मेलन के दौरान की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और नवोन्मेषी बच्चों की कमी नहीं है तथा नई शिक्षा नीति से प्रखर बुद्धि के साथ विद्यार्थी सामने आएंगे। कोविंद ने कहा, ये कदम जम्मू-कश्मीर को एक बार फिर धरती का फिरदौस और मा भारती के ताज का जगमगाता रत्न बना देंगे-जैसा कि मध्यकाल में इसका उल्लेख होता था।

उन्होंने कहा, भारत के पास बेहतरीन जनसाख्यिकी लाभ है, लेकिन इसका सकारात्मक इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब आबादी का पर्याप्त हिस्सा कुशल, पेशेवर तौर पर प्रतिस्पर्धी और वास्तविक मायनों में पूर्ण रूप से शिक्षित हो।

राष्ट्रपति ने कल्हण की राजतरंगिणी और बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय का उदाहरण दिया जो कश्मीर में लोकप्रिय थे और कहा कि भारतीय संस्कृति इनपर विचार किए बिना अपूर्ण है। उन्होंने कहा, हमारी परंपरा और समृद्ध सास्कृतिक विरासत को समझना महत्वपूर्ण है तथा यह केवल हमारी मातृभाषा में ही हो सकता है। यही वह मातृभाषा है जिसे नई शिक्षा नीति में प्रोत्साहित किया गया है, क्योंकि यह हमारे देश के सास्कृतिक लोकाचार से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में थोपी नहीं जाएगी।

chat bot
आपका साथी