जब जवान ने कहा- मेरी फिक्र छोड़ो, उसका काम तमाम करो...

पुलिस दल ने मकान के ऊपरी हिस्से में एक ओर जैसे ही रुख किया अंदर छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। मुठभेड़ शुरू हो चुकी थी।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 19 Oct 2018 09:55 AM (IST) Updated:Fri, 19 Oct 2018 10:24 AM (IST)
जब जवान ने कहा- मेरी फिक्र छोड़ो, उसका काम तमाम करो...
जब जवान ने कहा- मेरी फिक्र छोड़ो, उसका काम तमाम करो...

श्रीनगर, नवीन नवाज। लालचौक से करीब दो किलोमीटर दूर शेरगढ़ी इलाके में स्थित राज्य पुलिस विशेष अभियान दल (एसओजी) के मुख्यालय में मंगलवार को आधी रात खबर पहुंची कि दो पंछी डाउन-टाउन में हैं। सुबह होते ही यह उड़ जाएंगे। कुछ देर में पुलिसकर्मियों का दल साजो-सामान समेत पंछी को पकड़ने के लिए निकलने लगा। इतने में आवाज आई साहब मैं भी आ रहा हूं, यह आवाज थी कमल किशोर की।

उसने इस बात का इंतजार नहीं किया कि वरिष्ठ अधिकारी उसे अभियान पर ले जाना चाहते हैं या नहीं, लेकिन वह उस वाहन में सवार हो गया जो श्रीनगर में वर्ष 2018 का अब तक के दूसरे बड़े अभियान की तरफ जा रहा था। आधी रात पुलिस दल फतेहकदल के शेख अली अकबर मोहल्ले में पहुंच गया। पंछियों (आतंकियों) ने जहां बसेरा बनाया था, पुलिस दल ने तुरंत उसकी घेराबंदी कर तलाशी शुरू कर दी। कमरा-दर-कमरा तलाशी ली जा रही थी। मकान मालिक और उसका परिवार बार-बार दावा कर रहा था कि अंदर कोई नहीं है, लेकिन खबरी की खबर पक्की थी।

पुलिस दल ने मकान के ऊपरी हिस्से में एक ओर जैसे ही रुख किया अंदर छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। मुठभेड़ शुरू हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में मकान ने आग पकड़ ली। आतंकियों की तरफ से गोलियों की बौछार जरूर बंद हो गई, लेकिन वे जिंदा थे। सूरज निकल आया था। आतंकियों के समर्थक लगातार मुठभेड़ स्थल पर जमा हो रहे थे। स्थिति के पूरी तरह बिगड़ने की आशंका बन चुकी थी।

अधिकारियों की परेशानी भी लगातार बढ़ रही थी। अचानक कमल ने कहा कि बाहर इंतजार क्यों करें, अंदर जाकर देखते हैं। इतना कहकर वह उस कमरे की ओर चल पड़े जहां आतंकियों ने पोजीशन ले रखी थी। एक आतंकी मारा गया था। दूसरा जिंदा था। जैसे ही कमल कमरे में दाखिल हुए तो वहां साथी की लाश के पास ही मरने का ढोंग कर लेटे आतंकी ने फायर खोल दिया। कमल समेत चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए।

कमल किशोर ने हिम्मत नहीं हारी और जख्मी साथियों का बचाव करते हुए जवाबी फायर किया। इससे आतंकी भी जख्मी हो गया। घायल कमल को साथियों ने वहां से निकालने और अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन कमल ने कहा कि साहब मैंने उसे गोली मार दी है, देखो इस बार नहीं बचना चाहिए।

मेरी फिक्र छोड़ो बस उसका काम तमाम करो। कमल को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें शहीद लाया करार दे दिया। तब तक वह श्रीनगर में नए जिहादियों की पौध तैयार कर रहे 10 लाख के इनामी आतंकी महराजुदीन बांगरु और फहद मुश्ताक का अंत कर चुके थे।

पार्थिव शरीर पहुंचते ही नम हुई आंखें :

शहीद कमल किशोर रियासी के ग्राम मोड़ के रहने वाले मोहनलाल के सुपुत्र हैं। कमल का पार्थिव शरीर बुधवार शाम को उनके घर पहुंचा। मोहनलाल की चार संतानों में तीसरे नंबर पर कमल किशोर वर्ष 2009 में पुलिस में कांस्टेबल भर्ती हुए थे। कमल के बड़े भाई जम्मू-कश्मीर पुलिस में तो बहन सीआइएसएफ में तैनात है। सुबह जैसे ही लोगों को शहादत के बारे में पता चला तो किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था। बेटे के पार्थिव शरीर से लिपट कर बिलख उठी शहीद की माता गीता देवी तथा पिता मोहनलाल को देख हर किसी की आंखें नम थी।

कई आतंकरोधी अभियानों का हिस्सा रहे थे जांबाज कमल

इंस्पेक्टर शीतल चाढ़क के मुताबिक, शहीद कमल किशोर जांबाज सिपाही थे। मेरे साथ उन्होंने कश्मीर में आतंक के खिलाफ कई अभियानों में हिस्सा लिया। आज भी याद है कि हम श्रीनगर से बाहर आतंकियों को पकड़ने गए थे। आतंकियों ने एक दीवार के पीछे आड़ ले रखी थी और वहां से फायर कर रहे थे। हम उन्हें ठिकाने लगाने की युक्ति सोच ही रहे थे कि कमल दीवार फांद गए। उस समय भी आतंकियों द्वारा दागे गए एक बर्सट से बाल बाल बचे थे।

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