कोट भलवाल जेल नहीं, आतंकियों की ऐशगाह

जागरण संवाददाता, जम्मू : आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर की जेलें लंबे समय से विवादों में रही है

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 09:00 AM (IST)
कोट भलवाल जेल नहीं, आतंकियों की ऐशगाह
कोट भलवाल जेल नहीं, आतंकियों की ऐशगाह

जागरण संवाददाता, जम्मू : आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर की जेलें लंबे समय से विवादों में रही हैं। एक बार फिर देश की अति संवेदनशील कोट भलवाल जेल सुर्खियों में आई है। रविवार को जिला पुलिस व राज्य पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के जवानों ने जेल में दबिश दी। जेल से दो मोबाइल फोन, तीन पेन ड्राइव, छोटा गैस चूल्हा के अलावा बर्तन, चाकू बरामद किए हैं। इतना ही नहीं कच्ची सब्जियां भी मिली हैं, जिससे पता चला है कि कैदी अपना मन पसंद खाना जेल की मेस के बजाय अलग बनाया करते थे। यह सामान जेल परिसर के भीतर बने बैरक में से बरामद हुआ है। यह बैरक बंद पड़ा हुआ था। जेल से बरामद मोबाइल फोन व पेन ड्राइव को जांच के लिए पुलिस के साइबर सेल में भेज दिया है। जम्मू-कठुआ रेंज के डीआइजी विवेक गुप्ता का कहना है कि फोन तथा पेन ड्राइव से डाटा डी-कोड में करीब दो दिन का समय लग जाएगा। इन इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की जांच से पता चल पाएगा कि मोबाइल फोन से किन नंबरों पर डायल किया गया है। पुलिस को नहीं मिले सिमकार्ड

कोट भलवाल जेल में बरामद दो मोबाइल के सिमकार्ड नहीं थे। जवानों ने पूरे जेल परिसर को खंगाला। पुलिस को आशंका थी कि छापेमारी की खबर से कैदियों ने सिमकार्ड को तोड़ कर फेंक न दिया हो। पहले भी विवाद में रह चुकी है कोर्ट भलवाल जेल

कोट भलवाल जेल के मजबूत किले को तोड़ कर दो बार खूंखार आतंकी फरार हो चुके हैं। वर्ष 1999 के जून में मेजर इरफान समेत तीन आतंकी फरार हो गए थे। उसी साल सितंबर में दोबारा जेल में सुरंग बनी और इसे नाकाम बना दिया गया। दोनों मामलों में तत्कालीन जेल सुप¨रटेंडेंट पर इसकी गाज गिरी। मामला कुछ साल शांत रहा। इसके बाद 2006 में बैरकों से सुख सुविधाओं का सामान मिला था। उस समय के जेल सुप¨रटेंडेंट गुरमीत ¨सह को सस्पेंड कर दिया। अतिरिक्त महानिदेशक का तबादला हो गया था। बहुचर्चित अमनदीप हत्याकांड मामले में वर्ष 2010 को सुपारी किलरों से बातचीत कराने और नागर ¨सह का समर्थन करने पर उस समय के जेल सुप¨रटेंडेंट मिर्जा सलीम बेग सस्पेंड हुए थे और उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। मामला अभी शांत हुआ ही हुआ था कि वर्ष 2013 में जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी सना उल्लाह पर हमला हो गया। सुरक्षा में कोताही बरतने पर जेल सुप¨रटेंडेंट रजनी सहगल को सस्पेंड कर दिया गया। पुरानी तकनीक के हैं जेलों में लगे जैमर

राज्य की विभिन्न जेलों में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के प्रयोग के मामले लगातार प्रकाश में आते रहते हैं। गत वर्ष श्रीनगर सेंट्रल जेल में आतंकी नवीद के भागने के बाद जेल की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगे थे। उस समय जांच में यह बात सामने आई थी कि जेल में लगे मोबाइल फोन के जैमर फोर जी मोबाइल नेटवर्क को रोक नहीं सकते। जैमर केवल टू जी नेटवर्क पर अंकुश लगाने में कामयाब होते हैं। श्रीनगर सेंट्रल जेल से उस समय एनआइए के छापे के दौरान 25 मोबाइल और सिम बरामद हुए थे। कैदी धड़ल्ले से थ्री जी और फोर जी नेटवर्क का प्रयोग कर रहे थे।

कोट भलवाल में मसूद अजहर भी रह चुका है बंद

कोट भलवाल जेल में जैश-ए- मुहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर भी बंद रह चुका है। उसे कंधार विमान अपहरण काड के दौरान तीन अन्य दुर्दात आतंकियों के साथ रिहा किया गया था। मौजूदा समय में जेल में खूंखार विदेशी आतंकियों सहित कश्मीर के अलगाववादी भी बंद हैं।

जम्मू की सभी जेलों की होगी सुरक्षा जांच :

पुलिस महानिदेशक (डीजी) जेल दिलबाग ¨सह ने कहा कि कोट भलवाल के अलावा जम्मू संभाग की सभी जेलों की सुरक्षा जांच की जाएगी। कश्मीर संभाग में हर दो माह के बाद जेलों की जांच होती है। इसी की तर्ज पर जम्मू की सभी जेलों में भी जांच होगी। कोट भलवाल जेल में मोबाइल फोन व अन्य सामान कैसे पहुंचा, इसकी जांच के आदेश जारी कर दिए गए है।

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