Kashmiri Pandits: जगटी से जम्मू पहुंचे विस्थापित कश्मीरी पंडित, मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

Kashmiri Pandits प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। मौके पर संबोधित करते हुए शादी लाल पंडिता ने कहा कि यह सरकार कश्मीरी पंडितों के मसले हल नही करना चाहती।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 11:59 AM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 12:33 PM (IST)
Kashmiri Pandits: जगटी से जम्मू पहुंचे विस्थापित कश्मीरी पंडित, मांगों को लेकर किया प्रदर्शन
जिस कश्मीरी पंडित को पैकेज के अधीन नौकरी दी गई, को आधी तनख्वाह दी जा रही है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : तकरीबन दस माह तक जगटी में धरना प्रदर्शन करने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने अब जम्मू की तरफ रुख किया है। मंगलवार को इन विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शनी मैदान में प्रदर्शन किया और जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार के नकारात्मक रवैया ने इन कश्मीरी पंडितों को जम्मू में आने के लिए मजबूर कर दिया है।

प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार व जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए। मौके पर संबोधित करते हुए शादी लाल पंडिता ने कहा कि यह सरकार कश्मीरी पंडितों के मसले हल नही करना चाहती। बार बार गुजारिश की गई कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मासिक राहत 13 हजार रुपये से बढ़ा कर 25 हजार की जाए। लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नही देना चाहती। वहीं कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम पैकेज के तहत दी जाने वाली नौकरियों पर भी हमले हो रहे हैं। जिस कश्मीरी पंडित को पैकेज के अधीन नौकरी दी गई, को आधी तनख्वाह दी जा रही है।

पीएम पैकेज के तहत नौकरी देने व राहत राशि बढ़ाने की मांग को लेकर फिर सड़कों पर उतरे कश्मीरी पंडित pic.twitter.com/eE0m4iVh5o

— lalit kumar (@lalitjagran) August 24, 2021

दो साल तक इसी तनख्वाह पर नौकरी करने के लिए सरकार आदेश निकाले जा रही है। शादी लाल पंडिता ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की लंबे अरसे के बाद भी घाटी वापसी का कोई ब्लू प्रिंट सरकार तैयार नही कर पाई है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों के प्रति गंभीर नही। वहीं राज कुमार ने कहा कि वर्तमान समय में विस्थापित कश्मीरी पंडित मुश्किल के दौर में है। कम राहत राशि से उनका गुजारा नही हो रहा।

अगर सरकार राहत राशि नही बढ़ाना चाहती तो इनके परिवार से किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देकर इनको विस्थापन की गुरबत से बाहर निकाला जाए। अगर सरकार ऐसा नही कर सकती तो कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास कराए। मगर सरकार किसी भी लाइन पर चलने को तैयार नही दिख रही। 

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