Maha Shivratri 2021: कश्मीर वापसी, जम्मू-कश्मीर में खुशहाली-शांति की प्रार्थना के साथ कश्मीरी पंडितों की हैरथ पूजा संपन्न

Maha Shivratri 2021 कश्मीरी पंडितों में हैरथ पूजा एक पर्व की ही तरह होती है। इसका श्रीगणेश 10 मार्च शाम को हुआ था। कश्मीरी पंडितों ने अपने अपने घरों में भगवान शिव पार्वती के अलावा भैरो व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की थी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 13 Mar 2021 10:58 AM (IST) Updated:Sat, 13 Mar 2021 10:58 AM (IST)
Maha Shivratri 2021: कश्मीर वापसी, जम्मू-कश्मीर में खुशहाली-शांति की प्रार्थना के साथ कश्मीरी पंडितों की हैरथ पूजा संपन्न
शादी लाल पंडिता ने बताया कि पहले कश्मीरी पंडित घाटी में यह त्योहार मनाया करते थे।

जम्मू, जागरण संवाददाता: शिवरात्रि पर्व पर कश्मीरी पंडितों द्वारा आरंभ की गई हैरथ पूजा शनिवार तड़के पूरी हुई। तीन रात तक लगतार भगवान शिव, माता पार्वती की पूजा हुई। सुबह कश्मीरी पंडितों ने अपने अपने घरों में पूजा स्थल पर भगवान को भाेग लगाया और जम्मू-कश्मीर की खुशहाली के लिए कामना की।

वहीं मटके में भिगोए प्रसाद रूपी अखरोट निकाले और अब यह श्रद्धालुओं में वितरित किए । यह प्रसाद बांटने का क्रम अगले एक माह तक चलेगा। वहीं शनिवार दोपहर को कश्मीरी पंडित नदी, नहर के घाट पा जाएंगे और वहां पर भगवान शिव को अर्पित फूलों को प्रवाहित करेंगे।

कश्मीरी पंडितों में हैरथ पूजा एक पर्व की ही तरह होती है। इसका श्री गणेश 10 मार्च शाम को हुआ था। कश्मीरी पंडितों ने अपने अपने घरों में भगवान शिव, पार्वती के अलावा भैरो व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित की थी। शाम पांच बजे से अगले दिन तड़के तीन बजे तक भगवान शिव की पूजा अर्चना का कार्यक्रम चलता रहा। अंत में भगवान को भोग लगाया जाता है।

कश्मीरी पंडितों में शिवरत्रि का त्योहार बहुत ही खास होता है। इसकी तैयारियां लगभग दस दिन पहले ही आरंभ हो जाती हैं। आरंभ के कुछ दिन घरों की साफ सफाई चलती है और फिर एक दिन घर के कपड़े धोए जाते हें और पूरे घर को शुद्ध किया जाता है। उसके बाद लड़कियां अपने मायके आती हैं और स्नान करती हैं। वहीं माता पिता अपनी बेटी को उपहार स्वरूप कुछ न कुछ सामान जरूर देते हैं।

साफ सफाई, तमाम तैयारियां शिवरात्रि के एक दिन पहले ही पूरी कर ली जाती हैं। शादी लाल पंडिता ने बताया कि पहले कश्मीरी पंडित घाटी में यह त्योहार मनाया करते थे। लेकिन अब वे विस्थापित हैं लेकिन पूरी उम्मीद है कि भगवान शिव प्रसन्न होंगे और कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी जरूर होगी। 

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