दस जिलों में नहीं, कश्मीर में एकजगह बसना चाहते हैं पंडित
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीरी पंडितों की खुशहाली के लिए केंद्र सरकार भले ही उनके लिए 'नया कश्मीर' के
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीरी पंडितों की खुशहाली के लिए केंद्र सरकार भले ही उनके लिए 'नया कश्मीर' के ब्लू प्रिंट को अंतिम रूप दे रही हो, लेकिन कश्मीरी पंडितों की राय इससे कुछ अलग भी है। वह चाहते हैं कि कश्मीर में उन्हें एकसाथ बसाया जाए, न कि दस जिलों में दस टाउनशिप बनाकर।
पनुन कश्मीर के चेयरमैन डॉ. अग्निशेखर का कहना है कि कश्मीर में पंडितों के जातीय नरसंहार को झुठलाया नहीं जा सकता है। कश्मीर पंडितों की सम्मानजनक वापसी उनके जिलों में नहीं, होमलैंड में ही संभव होगी। पंडितों को उनके जिलों में बसाने के किसी भी प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया जा सकता है वह चाहे केंद्र सरकार का हो या किसी और का। नब्बे के दशक में पंडितों को धर्म के आधार पर खदेड़ा गया था। तब कश्मीर में इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा। पंडितों को यह यकीन दिलाया गया था कि कश्मीर में उनके लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे में उनकी घाटी वापसी तभी संभव है जब वहां पर उन्हें अलग होमलैंड दिया जाए। ऐसी वापसी की तो फिर भागना न पड़े : सुशील पंडित
कश्मीर पंडित नेता सुशील पंडित का कहना है कि कश्मीरी में पंडितों की वापसी के लिए समूल व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसी सम्मानजनक वापसी हो कि कश्मीरी पंडितों को वापसी के बाद फिर से कश्मीर छोड़ भागना न पड़े। हम बाढ़ पीड़ित, भूकंप पीड़ित नहीं, जातीय नरसंहार के पीड़ित हैं। ऐसे में इस बात की पुष्टि होनी चाहिए कि हमारे साथ नरसंहार हुआ है। पंडितों का उन जगहों पर बसना संभव नहीं है जहां से नरसंहार कर उन्हें निकाला गया है। पंडितों की वापसी तभी संभव है जब कश्मीर में उन्हें एक साथ बसाया जाए ताकि उन्हें बंधकों की तरह न जीना पड़े। पंडितों की दुकानें, व्यापार आदि भी वापस होना चाहिए।