Jammu Kashmir : सोमवार को है Kartik Purnima, रविवार दोपहर 12.48 बजे से शुरू होकर सोमवार दोपहर 3 बजे होगी समाप्त

कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर रविवार दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी और 30 नवंबर सोमवार को दोपहर 03 बजे समाप्त होगी। पूर्णिमा का व्रत करते हैं वह 29 नवंबर रविवार को व्रत करें और जो दिवा पूर्णिमा का व्रत करते हैं।

By VikasEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 01:41 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 01:41 PM (IST)
Jammu Kashmir : सोमवार को है Kartik Purnima, रविवार दोपहर 12.48 बजे से शुरू होकर सोमवार दोपहर 3 बजे होगी समाप्त
कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को है।

जम्मू, जागरण संवाददाता । कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर सोमवार को है। पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर रविवार दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी और 30 नवंबर सोमवार को दोपहर 03 बजे समाप्त होगी। जो भक्त रात्रि पूर्णिमा का व्रत करते हैं वह 29 नवंबर रविवार को व्रत करें और जो दिवा पूर्णिमा का व्रत करते हैं। वह 30 नवंबर सोमवार को करें। भीष्म पंचक 29 नवंबर रविवार को समाप्त होंगे।

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था। इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी। इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा की रात को बछड़ा दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है।जब चंद्रोदय हो रहा हो, तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छरू कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता है।

कार्तिक महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा, नदी सरोवर आदि में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालु स्नान कर दीप, दान, हवन, यज्ञ, घी, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, तेल, तिल दान करते हैं। इस विशेष दिवस पर विधि-विधान से पूजा अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है और इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।इस दिन पूजा करने से श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान शिव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। अतः इसलिए इस दिन गुरू नानक जयंती भी मनाई जाती है।कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तरी भारत का सबसे बड़ा किसान मेला बावा जित्तो देव स्थान झिड़ी सामाचक्क में लगता है। हालांकि इस वर्ष कोरोना के चलते मेले का आयोजन नहीं होगा।इसी दिन अधिकतर बिरादरियों की अपने-अपने देव स्थान, दाती, दादी सयावती के स्थान पर मेलों का आयोजन किया जाता है। खारके लगते हैं। पूर्णिमा के दिन घर के आस पास जरूरत मंद लोगों को यथा शक्ति दान अवश्य करें। पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं।

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