Jammu Kashmir: राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाई महाराजा की जयंती पर छुट्टी

अब जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है।भाजपा के अलावा डॉ. कर्ण सिंह से लेकर पैंथर्स पार्टी अमर क्षत्रिय राजपूत सभा ने छुट्टी की मांग उठाइ लेकिन कुछ नहीं हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 23 Sep 2019 04:42 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 04:42 PM (IST)
Jammu Kashmir: राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाई महाराजा की जयंती पर छुट्टी
Jammu Kashmir: राजनीति से आगे नहीं बढ़ पाई महाराजा की जयंती पर छुट्टी

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ विलय करने वाले महाराजा हरि सिंह की आज सोमवार को जम्मू शहर सहित संभाग के विभिन्न जिलों में जयंती मनाई गई है। महाराजा की जयंती पर जम्मू शहर में विशाल रैली का आयोजन किया गया। रैली के माध्यम से एक बार फिर जम्मू वासियों ने महाराज की जयंती पर सरकारी अवकाश घोषित करने की अपनी आवाज बुलंद की। हालांकि यह बात ओर है कि जम्मू वासियों की यह मांग काफी पुरानी है। परंतु अफसोस इस बात का है कि कई वर्षों से इस मांग पर केवल राजनीति ही हो रही है। छुट्टी की मांग करने वालों में उनके पुत्र और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह भी शामिल हैं, लेकिन जितने राजनीतिक दल छुट्टी की मांग करते आए हैं, उसे लेकर उतने गंभीर कभी नजर नहीं आए।

अगर गंभीर होते तो करीब तीन साल पहले विधान परिषद में पारित निजी प्रस्ताव पर मुहर लग गई होती और छुट्टी घोषित हो जाती। 24 जनवरी 2017 को विधान परिषद के सदस्य और महाराजा हरि सिंह के पौत्र अजातशत्रु सिंह ने उनकी जयंती पर सरकारी छुट्टी के लिए निजी प्रस्ताव लाया था। इसे महाराजा के दूसरे पौत्र और उस समय पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य विक्रमादित्य ने उसका समर्थन किया था। यह प्रस्ताव पारित भी हो गया, लेकिन जब प्रस्ताव पारित हुआ तो विपक्षी दलों कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस का एक भी सदस्य सदन में मौजूद नहीं था। बावजूद इसके उम्मीद बंधी कि वर्षों से चली आ रही सियासत पर अब विराम लग जाएगा।

पीडीपी-भाजपा सरकार महाराजा की जयंती पर छुट्टी घोषित कर देगी, लेकिन इंतजार बढ़ता गया। विधान परिषद में बेशक पीडीपी ने भाजपा का साथ दिया हो, मगर छुट्टी घोषित करने में एक बार फिर से कश्मीर की राजनीति हावी रही। महाराजा हरि सिंह की जयंती पर छुट्टी नहीं हो सकी और जम्मू संभाग में विरोध शुरू हो गया। सत्ता में बैठी भाजपा भी इस मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आई। उधर महाराजा के पौत्र विक्रमादित्य पीडीपी में खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे। उन्होंने महाराजा की जयंती पर छुट्टी न होने और जम्मू से भेदभाव सहित कई मुद्दे उठाते हुए विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और पीडीपी को भी अलविदा कह दिया।

इस साल संसदीय चुनावों में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा। अब जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है। इस बार भी भाजपा के अलावा डॉ. कर्ण सिंह से लेकर पैंथर्स पार्टी, अमर क्षत्रिय राजपूत सभा ने महाराजा की जयंती पर छुट्टी की मांग की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

भाजपा व पीडीपी सदस्यों ने की थी तारीफ

तीन साल पहले जिस समय छुट्टी के प्रस्ताव पर चर्चा हुई, सदन में मौजूद भाजपा और पीडीपी के सदस्यों ने महाराजा की जमकर तारीफ की थी। भाजपा के सदस्य अजातशत्रु सिंह, अशोक खजूरिया, विबोद गुप्ता, रमेश अरोड़ा, पीडीपी के विक्रमादित्य व सुरेंद्र चौधरी ने महाराजा के सभी के साथ न्याय करने और उनके सामाजिक कार्यों के लिए सराहा था। पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने तो यहां तक कहा था कि जम्मू कश्मीर का धर्मनिरपेक्ष चरित्र महाराजा हरि सिंह के कारण ही है, लेकिन राज्य सरकार छुट्टी घोषित नहीं कर सकी। 

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