J&K: प्रदेश कांग्रेस में तीन कार्यवाहक प्रधान बनाने का विरोध शुरू, कहा यह विभाजित करने जैसा

बंद कमरे में हुई बैठक में कई नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर और गुलाम नबी आजाद को प्रदेश में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 05 Jun 2019 03:15 PM (IST) Updated:Wed, 05 Jun 2019 03:15 PM (IST)
J&K: प्रदेश कांग्रेस में तीन कार्यवाहक प्रधान बनाने का विरोध शुरू, कहा यह विभाजित करने जैसा
J&K: प्रदेश कांग्रेस में तीन कार्यवाहक प्रधान बनाने का विरोध शुरू, कहा यह विभाजित करने जैसा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। प्रदेश कांग्रेस को फिर से पटरी पर लाने और तीनों संभागों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए तीन कार्यवाहक प्रधान के फामरूले का विरोध शुरू हो गया है। यह विरोध लद्दाख या जम्मू से नहीं बल्कि कश्मीर से हो रहा है। कश्मीर में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह राज्य को तीन हिस्सों में विभाजित करने जैसा है।

हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस पांच सीटों पर चुनाव लड़ी और पांचों पर उसे मुंह की खानी पड़ी। हार के कारणों पर मंथन के लिए गत रविवार को श्रीनगर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में बैठक हुई थी। इसी बैठक में प्रदेश कांग्रेस को राज्य में फिर से मजबूत बनाने और लोगों को इससे जोडऩे पर चर्चा हुई थी। इस दौरान राज्य के तीनों संभागों के लिए स्थानीय, सामाजिक, राजनीतिक व भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग अध्यक्ष नियुक्त करने का भी सुझाव आया। इस पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने हामी भरी।

बंद कमरे में हुई बैठक में कई नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर और गुलाम नबी आजाद को प्रदेश में कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया। अगर वरिष्ठ नेता जम्मू संभाग में भाजपा द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं तो फिर कश्मीर में हार का क्या कारण है। कश्मीर में कोई ध्रुवीकरण नहीं था।

हार के लिए गुलाम नबी आजाद और जीए मीर को जिम्मेदार ठहराते हुए कई नेताओं ने तीन अध्यक्षों के सुझाव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे गुटबाजी बढ़ेगी। उन्होंने गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी का नाम लिए बिना कहा कि इससे सिर्फ नई दिल्ली में बैठकर जम्मू कश्मीर कांग्रेस का रिमोट अपने हाथ में रखने के शौकीन नेताओं व प्रदेश कांग्रेस में उनके चहेतों को ही फायदा होगा। तीन कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त करने का मतलब यही है कि भविष्य में तीनों संभागों की कांग्रेस का एक दूसरे से कोई सरोकार नहीं होगा।

संगठन की मजबूती पर सभी ने दी राय

जीए मीर ने कहा कि बैठक में बहुत से मुद्दों पर चर्चा हुई। संगठन को कैसे मजबूत बनाया जाए, इस पर सभी ने राय दी है। संगठनात्मक बदलाव और पुनर्गठन के बीच हर संभाग का एक अलग प्रधान बनाने की बात भी सामने आई है, लेकिन यह कहना गलत है कि कांग्रेस राज्य का विभाजन चाहती है और इसके लिए कोई जमीन तैयार कर रही है।

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