Jammu Kashmir: मनरेगा के 1000 करोड़ के बकायाजात के लिए प्रशासन को लीगल नोटिस

पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार मनरेगा को लेकर गंभीर नही है। दिसंबर 2018 के बाद से इस योजना के तहत कोई नया विकास कार्य शुरू नही हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 11:58 AM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 02:33 PM (IST)
Jammu Kashmir: मनरेगा के 1000 करोड़ के बकायाजात के लिए प्रशासन को लीगल नोटिस
Jammu Kashmir: मनरेगा के 1000 करोड़ के बकायाजात के लिए प्रशासन को लीगल नोटिस

जम्मू, राज्य ब्यूरो। महात्मा गांधी नेशनल रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत दिहाड़ी लगाने वाले जम्मू कश्मीर के श्रमिक वर्ष 2015 से भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। योजना के तहत खरीदी गई निर्माण सामग्री के बकायाजात 4911.92 लाख रुपये हैं। वहीं, प्रशिक्षित श्रमिकों के भुगतान के लिए 311.64 लाख रुपये और अप्रशिक्षित श्रमिकों को 4985.93 लाख रुपये की राशि जारी होना बाकी है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में मनरेगा योजना के तहत बकायाजात 10,209.49 लाख रुपये हैं।

यह जानकारी जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा के माध्यम से एडवोकेट गगन ओसवाल की ओर से प्रशासन को दिए गए लीगल नोटिस में है। इसमें यह भी बताया गया है कि पिछले चार सालों से मनरेगा के तहत विकास कार्यों में दिहाड़ी लगाने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी ने मिलना मानवाधिकारों का हनन है। प्रशासन पंद्रह दिन के अंदर अगर बकाया जारी नही करेगा जो जम्मू कश्मीर व लद्दाख के पंच-सरपंच आंदोलन शुरू कर देंगे। लीगल नाेटिस जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रामाण्यम, ग्रामीण विकास विभाग की सचिव शीतल नंदा के साथ अतिरिक्त सचिव, जम्मू व कश्मीर के निदेशकों व मनरेगा योजना के अधिकारियों को दिया गया है।

पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि जम्मू कश्मीर सरकार मनरेगा को लेकर गंभीर नही है। दिसंबर 2018 के बाद से इस योजना के तहत कोई नया विकास कार्य शुरू नही हुआ है। ऐसे हालात में हमें यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शर्मा ने बताया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ यह मुद्दा राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी उठाया गया था। किसी ने भी गरीबों के मुद्दे को हल करने की दिशा में अब तक गंभीरता नही दिखाई। जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने भी मनरेगा के बकायाजात के मामले को नजरअंदाज किया। ऐसे हालात में मनरेगा योजना के दिहाड़ीदारों का भी जम्मू कश्मीर प्रशासन पर से विश्वास उठ गया है।

अगर 25 नवंबर तक इस मामले में कार्रवाई नही हुई तो पंच, सरपंच बकाया जारी करने की मांग को लेकर सड़काें पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि लीगन नोटिस जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के वकील गगन ओसवाल के माध्यम से दिया गया है। अनिल शर्मा ने जोर दिया कि जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल इस मामले में केंद्र सरकार से बातचीत कर मनरेगा के बकायाजात जारी करवाने की दिशा में कार्रवाई करें। इसके साथ ग्रामीण विकास विभाग मनरेगा अधिनियम के तहत लोकपाल बनाने के साथ मनरेगा के दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी भी बढ़ाए। हिमाचल प्रदेश व पंजाब व हरियाणा में मनरेगा के तहत ग्रामीणों को ज्यादा दिहाड़ी मिल रही है।

2015 के बाद से भुगतान का इंतजार कर रहे हैं श्रमिक

महात्मा गांधी नेशनल रोजगार गारंटी योजना के तहत दिहाड़ी लगाने वाले जम्मू कश्मीर के श्रमिक वर्ष 2015 से भुगतान का इंतजार कर रहे हैं। योजना के तहत खरीदी गई निमार्ण सामग्री आदि के बकायाजात 4911.92 लाख रूपये हैं। वहीं प्रशिक्षित श्रमिकाें के भुगतान के 311.64 लाख रूपये व अप्रशिक्षित श्रमिकों को 4985.93 लाख रूपये की राशि जारी होना बाकी है। ऐसे में जम्मू कश्मीर में मनरेगा योजना के तहत बकायाजात 10,209.49 लाख रूपये हैं। यह जानकारी जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा के माध्यम से एडवोकेट गगन ओसवाल द्वारा दिए प्रशासन को दिए गए लीगल नोटिस में है।

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