Jammu Kashmir:उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- पंजबख्तर मंदिर परिसर में नहीं होगा कोई निर्माण

उपराज्यपाल ने अचानक मंदिर पहुंचकर बहुमंजिला पार्किंग और व्यावसायिक केंद्र बनाने को लेकर मचे बवाल को किया शांत

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 08 Sep 2020 09:08 AM (IST) Updated:Tue, 08 Sep 2020 09:08 AM (IST)
Jammu Kashmir:उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- पंजबख्तर मंदिर परिसर में नहीं होगा कोई निर्माण
Jammu Kashmir:उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- पंजबख्तर मंदिर परिसर में नहीं होगा कोई निर्माण

जम्मू, जागरण संवाददाता। शहर के ऐतिहासिक पंजबख्तर मंदिर परिसर में प्रस्तावित बहुमंजिला पार्किंग और व्यवसायिक केंद्र बनाने के लिए निकले टेंडर से मचे बवाल के बीच सोमवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा अचानक मंदिर पहुंचे। उन्होंने पंजबख्तर मंदिर में पूजा-अर्चना की और परिसर में पार्किंग स्थल के विरोध में धरने पर बैठे लोगों से भी मुलाकात की। उपराज्यपाल से लोगों को आश्वासन दिया कि मंदिर की भूमि से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी और न ही परिसर में कोई निर्माण होगा।

कोर्ट ने भी लगाया स्टे :

पंजबख्तर मंदिर की जमीन पर पार्किंग और व्यवसायिक केंद्र बनाए जाने को लेकर उपजे विवाद पर डिस्ट्रक्ट एंड सेशन जज यश कोतवाल ने स्टे लगा दिया है। कोर्ट ने यह स्टे मंदिर के संरक्षक सुरेश शर्मा की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद दिया। शर्मा ने याचिका में तर्क दिया था कि मंदिर की जमीन राजा महाराजाओं के जमाने की है, जिस पर नगर निगम और जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) का कोई अधिकार नहीं है।

इस बीच, जम्मू की डिप्टी कमिश्नर सुषमा चौहान ने जम्मू विकास प्राधिकरण की वाइस चेयरपर्सन बबीला रकवाल से जवाब तलब किया है। रकवाल से पूछा गया है कि उन्होंने बीते 18 अगस्त को बोर्ड की बैठक के दौरान मंदिर में प्रस्तावित निर्माण का जिक्र क्यों नहीं किया। इसके टेंडर बोर्ड बैठक से दो दिन पहले ही क्यों जारी किए गए, जिससे यह लगता है कि यह परियोजना जेडीए की अपनी है। डिप्टी कमिश्नर ने जेडीए की वाइस चेयरपर्सन से अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

क्या है पूरा मामला :

14वीं शताब्दी में जम्मू शहर में बने ऐतिहासिक पंजबख्तर मंदिर परिसर के करीब आठ कनाल भूमि पर पार्किंग  और मार्केटिंग कॉम्पलेक्स बनाने के लिए पिछले दिनों नेशनल हाईवे इंफ्रास्टक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) ने टेंडर निकाला। इसकी जानकारी मिलने पर गत शनिवार को मंदिर संचालक, हिन्दू  संगठनों और राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध किया। उसके बाद नगर निगम ने प्रस्तावित जमीन निगम की नहीं होने की बात बताकर किनारा कर लिया। जेडीए ने भी माफी मांगी और आनन-फानन टेंडर रद करवाया। उसके बाद अब उपराज्यपाल और कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया।

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