जम्मू-कश्मीर में हिमायत को लागू करने में विफल रही सरकार, 8 प्रतिशत युवाओं को ही मिला प्रशिक्षण

वर्ष 2019-20 के दौरान भारत सरकार द्वारा 234.94 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार ने हिमायत मिशन के पक्ष में 52.68 करोड़ रुपये जारी किए और 182.26 करोड़ रुपये बरकरार रखे।वर्ष के दौरान 23.83 करोड़ रुपये खर्च हुए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 08:39 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 08:39 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में हिमायत को लागू करने में विफल रही सरकार, 8 प्रतिशत युवाओं को ही मिला प्रशिक्षण
53,547 युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य था, लेकिन सिर्फ आठ प्रतिशत अर्थात 4,494 को ही प्रशिक्षण दिया गया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने जम्मू और कश्मीर में आजीविका मिशन ''''हिमायत'''' को लागू करने में नाकाम रहने की बात कही है। कैग ने कहा कि 2016-19 के बीच 53,547 के लक्ष्य के मुकाबले योजना के तहत केवल 4,494 उम्मीदवारों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया था।

फेडरल ऑडिटर ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि 2016 और 2019 के बीच मंजूर 237.74 करोड़ रुपये में से 134.84 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 2016 से 2019 की अवधि के दौरान 53,547 युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य था, लेकिन सिर्फ आठ प्रतिशत अर्थात 4,494 को ही प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, प्रशिक्षित कुल 4,494 युवाओं में से केवल 732 युवाओं को इस दौरान नौकरियां दी गई। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हिमायत मिशन शुरू किया था जो बाद में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के तहत एक अलग कार्यक्षेत्र के रूप में कार्य करने लगा।

यह प्रशिक्षण, आवासीय और गैर-आवासीय दोनों, अंग्रेजी में संचार कौशल के साथ-साथ तकनीकी कौशल के लिए दिया जाना था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 और 2017-18 के दौरान केवल 123 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन इन वर्षों के दौरान कोई प्लेसमेंट नहीं किया गया था।रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016-17 में मंजूर 46.72 करोड़ रुपये पर 9,200 युवाओं को कुशल बनाने और रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इस दौरान कोई भी प्रशिक्षित नहीं किया गया। अलबत्ता 30.40 करोड़ रुपये का 60 प्रतिशत अपेक्षित परिणाम हासिल किए बिना खर्च किया गया था।

2017-18 में मंजूर 60.10 करोड़ रुपयों से 18,352 युवाओं को कुशल करने के लक्ष्य के मुकाबले, केवल 123 प्रशिक्षित किए गए थे और 28.02 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी किसी को भी रोजगार नहीं दिया गया। साल 2018-2019 में, 25,995 युवाओं में से 4,371 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया और 732 को रोजगार दिया गया। इस पर 76.42 करोड़ रुपये या स्वीकृत राशि का 43 प्रतिशत खर्च किया गया था।

वर्ष 2019-20 के दौरान, भारत सरकार द्वारा 234.94 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार ने हिमायत मिशन के पक्ष में 52.68 करोड़ रुपये जारी किए और 182.26 करोड़ रुपये बरकरार रखे।वर्ष के दौरान 23.83 करोड़ रुपये खर्च हुए। 31 मार्च 2020 के अंत में 314.01 करोड़ रुपये इस्तेमाल नहीं हो पाए। कैग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वर्ष 2019-20 के लिए, कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया था। हालांकि 10,045 बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित किया गया और 2,582 को योजना के तहत नौकरियों में रखा गया था।

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