इन बातों पर अमल कर किसान बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी, जानिए महत्वपूर्ण बातें!
पिछले साल भारतीय समवेत औषध संस्थान ने सर्वेक्षण करवा कर पाया कि जम्मू मेें केले की व्यवसायिक खेती हो सकती है और उत्पादन भी अच्छा मिल सकता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। आज के जमाने में अगर किसानों को अपनी आमदन बढ़ानी है तो कुछ हटकर सोचना होगा। खेती के साथ साथ बागवानी को भी तरजीह देनी होगी। किसान सामान्य खेती के साथ साथ केले की भी खेती कर सकते हैं। क्योंकि जम्मू में केले की खेती का भी अच्छा वातावरण है। खासकर टीशू कल्चर से अगर किसान केले की खेती करते हैं तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। चूंकि जम्मू में 90 फीसद केला बाहरी राज्यों से आता है और सामान्यतया 60 रुपये दर्जन के भाव से बिकता रहा है।
अगर जम्मू में किसान केले की व्यवसायिक खेती करते हैं तो उनको अच्छे दाम मिल सकते हैं। पिछले साल भारतीय समवेत औषध संस्थान ने सर्वेक्षण करवा कर पाया कि जम्मू मेें केले की व्यवसायिक खेती हो सकती है और उत्पादन भी अच्छा मिल सकता है। टीशू कल्चर से केले की जी-9 वैरायटी तैयार की गई और उसके अच्छे परिणाम मिले। अनुसंधान में पाया कि एक पौधे से 30 किलो तक केले की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आठ से दस कनाल भूमि पर केले की खेती करने वाला किसान साल में 25 से 30 टन केला प्राप्त कर दो से अढ़ाई लाख रुपये तक कमाई कर सकता है।
जम्मू की भूमि केले की खेती के लिए बेहतर
केले की खेती कर रहे शाम सिंह का कहना है कि जम्मू की भूमि केले की खेती के लिए बेहतर है। बस किसानों में मेहनत करने का जज्बा होना चाहिए। इस खेती में पौधे एक ही बार लगाने पड़ते हैं, उसके बाद अपने अाप नए पौधे निकलते रहते हैं। उन्होंने जम्मू के किसानों से कहा कि वे केले की खेती में दिलचस्पी दिखाएं। यह फायदे का सौदा है।
क्या है टीशू कल्चर
केले के पत्ते के भाग को लेकर प्रयोगशाला में नियंत्रित तापमान में विकसित किया जाता है। एक छोटे से अंश से ही बड़ी संख्या में पौधे तैयार कर लिए जाते हैं। इस तरह के पौधों में रोगों सें लड़ने की क्षमता अधिक रहती है और यह पौधे पैदावार भी अच्छी देते हैं। आल कल टीशू कल्चर से ही खेती होने लगी है।
कैसे रखे ख्याल एक बछड़ी के गाए बनने तक
मवेशी बाड़े में बछड़ी का खास ख्याल रखा जाना चाहिए ताकि उसका बेहतर तरीके से विकास हो और 18 माह बाद बछड़ी गाए में तबदील होकर अच्छा दूध दे और आपके कमाई के द्वार खोले। इसलिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के वेटनेरी विंग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डा. निलेश शर्मा का कहना है कि अगर बछड़ी की एक साल उम्र की हो गई हो तो उसकी ओर विशेष ध्यान देने का समय आ गया है। हर तीन माह बाद दवा दिलाई जाए ताकि पेट के अंदर अगर कीड़े पल रहे हों, तो उससे निजात मिल जाए। कीड़ाें के कारण कई बार तीन तीन साल के बाद बछड़ी गाए में परिवर्तित नही हो पाती। कारण यह कि पेट के अंदर कीड़े मवेशी का रक्त चूसते रहते हैं और मवेशी की खुराक पूरी नही हाक पाती। इसलिए मवेशी को दवा कराना जरूरी है। दूसरी ओर संतुलित आहार की ओर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर सब ठीक रहा तो 18 माह बाद एक बछड़ी दूध देने वाली गाए में बदल जाएगी और किसानों को लाभ होगा। इन दिनों रखे खास ख्याल:
-खेतों में फसलों को पानी देना बंद करें क्योंकि बारिश के आसार हैं। -बारिश के बाद नमी बराबर होते ही गेहूं को यूरिया खाद की डोज दी जा सकती है। -अगर खेतों में पानी पहले से ही जमा हो तो उसे बाहर निकालने के लिए प्रयास किया जाए। -माल मवेशी को चिचड़ से दूर रखे और अगर चिचड़ की गिरफ्त में मवेशी हो तो उससे निजात दिलाएं। अगर ऐसा नही किया गया तो मवेशी को रक्त से संबंधित बीमारी हो सकती है। -अगर गाए के थन में सूजन आ गई हो तो यह थनेला हो सकता है तो सूजन वाले थन से 5-6 बार दूध निकाले और फैंक दें। वहीं पशु चिकित्सक से संपर्क किया जाए। -बाग बगीचों की साफ सफाई की जाए। अगर बारिश का पानी जमा है तो उसे निकाला जाए। -मवेशियों को साफ सुथरा पानी पिलाएं। पानी बहुत ज्यादा ठंडा न हो।
इस माह करे इन सब्जियों की खेती
फरवरी माह में भी सब्जी की खेती की जा सकती है। पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी बैंगन, मूली,फलियां, पालक,टमाटर ,मिर्च आदि लगाए जा सकते हैं। अगर किसानों ने सब्जियों की खेती नही की है तो अब यही समय है खेती करने का। अगर आप खेती करने जा रहे हैं तो बीजों की मात्रा का विशेष ध्यान रखें। सभी प्रकार के बैंगन के लिए एक कनाल भूमि में महज 50 ग्राम बीज की जरूरत रहेगी। इन दिनो पूसा चेतकी पूसा मूली लगा सकते हैं और इसके लिए प्रति कनाल 600 ग्राम बीज चाहिए। सभी प्रकार के पालक के लिए दो किलो बीज प्रति कनाल भूमि के लिए इस्तेमाल करें। टामाटर के लिए 40 ग्राम बीज चाहिए।