कागजों से जमीन पर नहीं उतरा विकास, केंद्र से अभी तक मात्र 13.59 करोड़ रुपये मिले

कॉरपोरेटर चुने पांच माह हो चुके हैं। उन्होंने चुनावों के दौरान वार्ड वासियों की समस्याओं के जो दावे किए थे, इन पांच महीनों में उनके आसपास भी नहीं पहुंचे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 04:00 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 04:00 PM (IST)
कागजों से जमीन पर नहीं उतरा विकास, केंद्र से अभी तक मात्र 13.59 करोड़ रुपये मिले
कागजों से जमीन पर नहीं उतरा विकास, केंद्र से अभी तक मात्र 13.59 करोड़ रुपये मिले

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू नगर निगम अधीनस्थ 75 वार्डों में पांच महीने बाद भी विकास कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। निकाय चुनावों के दौरान निगमों को मालमाल करने की घोषणाओं के विपरीत जम्मू नगर निगम को अभी तक केंद्र से मात्र 13.59 करोड़ रुपये मिले हैं। हर वार्ड को विकास के लिए 10 लाख रुपये के विकास कार्य करवाने की घोषणा के बावजूद अभी तक विकास के लिए सिर्फ एस्टीमेट ही बन पाए जो निगम की फाइलों में घूम रहे हैं।

कॉरपोरेटर चुने पांच माह हो चुके हैं। उन्होंने चुनावों के दौरान वार्ड वासियों की समस्याओं के जो दावे किए थे, इन पांच महीनों में उनके आसपास भी नहीं पहुंचे। लोग उनमें सवालों की बौछार कर रहे हैं। निगम बनने के बाद से अभी तक घोषणा से ज्यादा कुछ हो नहीं पाने से अधिकतर कॉरपोरेटरों में मायूसी है। नगर निगम की जनरल हाउस की बैठकों में भी कॉरपोरेटर बार-बार कह रहे हैं कि उनका घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। लोग काम मांग रहे हैं। आज तक फंड्स नहीं मिले। दस लाख रुपये के विकास करवाने के लिए भी जो एस्टीमेट दिए गए, उनके टेंडर आज तक नहीं खुले। अधिकतर कॉरपोरेटरों का कहना है कि नगर निगम की इंजीनियरिंग विंग धीमी गति से काम करती है। दो-दो महीनों से फाइलें टेबलों पर घूम रही हैं। काम नहीं हो रहे।

उनका कहना है कि निगम को साढ़े तेरह करोड़ रुपये की पहली किश्त केंद्र सरकार से प्राप्त हुई है। बावजूद इसके कॉरपोरेटरों के काम शुरू नहीं हो रहे। उनका कहना है कि जो कार्य पहले मंजूर हुए थे, उन्हीं को शुरू करवा कर कॉरपोरेटर लोगों को शांत कर रहे हैं। अभी तक सफाई व्यवस्था नहीं बन पाई। अधिकतर स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं। 10-20 लाइटें मिली भी जो वार्ड में ऊंट के मुंह में जीरे समान है।

क्या कहते हैं कॉरपोरेटर

‘पांच महीने हो चुके हैं। आज तक जीरो प्रतिशत काम हुआ है। दस लाख रुपये के विकास कार्य शुरू करने की घोषणा के चलते एस्टीमेट तो तैयार किए गए लेकिन काम शुरू नहीं हुए। एस्टीमेट फाइलों में घूम रहे हैं। हमें लोगों को जवाब देना मुश्किल हो चुका है। ’ -द्वारिका नाथ चौधरी, कॉरपोरेटर एवं कांग्रेस चीफ व्हिप ‘नगर निगम के गठन के समय जो दावे किए गए, वो खाेखले साबित हो रहे हैं। हमने जो वादे किए, अब लोग उसका हिसाब मांग रहे हैं। जल्द फंड्स मिलें ताकि हम लोगों को जवाब दे सके हैं। निगम के अधिकारी कागजों में न उलझाया जाए। लोगों ने काम करवाने भेजा है।’ -प्रीतम सिंह, कॉरपोरेटर वार्ड 55 ‘बड़े अफसोस की बात है कि दावों के बावजूद जमीन पर काम नहीं हो रहे। एस्टीमेट तैयार होने के बावजूद काम शुरू नहीं हो रहे। निगम के अधिकारी कॉरपोरेटरों को भी आम लोगों की तरह ले रहे हैं। हम करने आए हैं। अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।’ -रितु चौधरी, कॉरपोरेटर, वार्ड 7 ‘दस लाख रुपये के विकास करवाने के लिए एस्टीमेट तो बनाए हैं। बहुत छोटी राशी है। इतने में एक गली भी नहीं बनती। हमने प्राथमिकता के हिसाब से अब एस्टीमेट तैयार किए हैं। मगर अभी तक कोई काम शुरू नहीं हो सका। ज्यादा फंड मिलने चाहिए।’ -संध्या गुप्ता, कॉरपोरेटर, वार्ड 15 ‘सारे दावे खाेखले हैं। प्रशासनिक एप्रूवल, टेंडर, एस्टीमेट प्रक्रिया बेहद समय बर्बाद करने वाली है। ऐसे तो काम नहीं हो पाएंगे। दस लाख रुपये वार्ड के विकास के लिए बहुत ही कम हैं। केंद्र सरकार को खूब फंड जारी करने चाहिए। हर वार्ड में एक करोड़ रुपये भी मामूली हैं।’ -इंद्र सिंह सूदन, कॉरपोरेटर, वार्ड 44

फंड्स आ रहे हैं, काम शुरू होंगे

‘पांच महीने में हम काफी बदलाव करने में सफल रहे हैं। फंड्स के अभाव के बावजूद गलियों, नालियों में सफाई व्यवस्था समेत छोटे-मोटे काम कॉरपोरेटरों ने करवाए हैं। अभी तक 13.59 करोड़ रुपये हमें केंद्र से मिले। 30 करोड़ रुपये ग्रांट के रूटीन में मिले हैं। वार्डों में विकास के एस्टीमेट बने हैं। टेंडर मांगे गए हैं। जल्द ही यह कार्य काम पूरे होंगे।’

-चंद्र मोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम

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